कुछ ख़ानदानी अमीर होते हैं तो कुछ लोग साधारण परिवारों में पैदा होकर भी नई ऊंचाइयां हासिल करते हैं. हालांकि, दोनों तरह के अमीरों में एक बात कॉमन है कि वो अपनी पैतृक संपत्ति की सही देखरेख से या अपनी कमाई की सही इन्वेस्टमेंट के दम पर इसे और बढ़ा सकते हैं. हालांकि, इस दुनिया में, खास कर भारत जैसे देश में अमीरों की संख्या वैसे ही बहुत कम है. अमीर ख़ानदान में पैदा होना आपके हाथ में नहीं है. आप अपनी मेहनत और लगन से पैसा तो कमा सकते हैं, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि इस तरीक़े से आप अमीर बन ही जाएंगे.
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म्यूचुअल फ़ंड कहां से ख़रीदें
Where should I buy mutual funds in India: मार्केट में तमाम म्यूचुअल फ़ंड स्कीमें मौजूद हैं, और कई तरीक़े हैं जिनके ज़रिए उनमें निवेश कर सकते हैं. किसी भी डायरेक्ट और रेगुलर स्कीम में ऑनलाइन या ऑफ़लाइन दोनों तरीक़ों से निवेश कर सकते है. यहां हम म्यूचुअल फ़ंड में निवेश के 6 प्रमुख तरीक़े बता रहे हैं
इंटरमीडियरी के ज़रिये: मार्केट में अलग-अलग तरह के इंटरमीडियरी मौज़ूद हैं. इनमें ज़्यादातर बैंक, राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर पर मौज़ूद डिस्ट्रीब्यूटर कंपनियां, कुछ स्टॉक ब्रोकर (ऑनलाइन ब्रोकर सहित) और बड़ी संख्या में व्यक्ति और छोटी फ़ाइनेंशियल एडवाइजरी कंपनियां शामिल हैं.
IFAs के ज़रिये: IFAs यानी कि इंडिपेंडेंट फाइनेंशियल एडवाइजर ऐसे व्यक्ति होते हैं जो म्यूचुअल फ़ंड निवेश में मदद करने के लिए एजेंट के रूप में काम करते हैं. वे एप्लीकेशन फॉर्म भरने में आपकी मदद करते हैं और इसे AMC में जमा भी करते हैं.
सीधे AMC के ज़रिये: आप सीधे AMC के जरिये भी म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं. यदि आप पहली बार किसी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर रहे हैं, तो आपको AMC के ऑफिस जाना पड़ सकता है.
ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिये: ऐसे कई थर्ड-पार्टी ऑनलाइन पोर्टल हैं जिनके जरिये आप AMCs की अलग-अलग म्यूचुअल फ़ंड स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं. निवेश करते समय आसान फ़ंड ट्रांसफर सुविधा देने के लिए ज़्यादातर पोर्टल ने बैंकों के साथ हाथ मिलाया हुआ है.
अपने बैंक के ज़रिये: बैंक भी एक इंटरमीडियरी की तरह काम करते हैं और अलग-अलग AMCs की फ़ंड स्कीम्स को डिस्ट्रीब्यूट करते हैं. आप अपनी बैंक शाखा के ज़रिये सीधे फ़ंड स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं.
डीमैट और ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट के ज़रिये: यदि आपके पास डीमैट अकाउंट है, तो आप इस अकाउंट के जरिये म्यूचुअल फ़ंड स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं.
म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश के तरीक़ों के बारे में विस्तार से यहां जानिए.
नौकरी के साथ कैसे शुरू करें म्यूचुअल फ़ंड में निवेश
हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि आप छोटी रक़म से भी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं. यानी अगर आपके पास निवेश के लिए पैसे कम हैं तब भी फ़ंड में निवेश शुरू करने में कोई दिक़्क़त नहीं होगी. हां, निवेश की दुनिया में ये बात ज़रूर अहम हो जाती है कि आप निवेश शुरू कब कर रहे हैं. नौकरी शुरू करने के साथ या 30 साल की उम्र से पहले निवेश शुरू करना सबसे अच्छा होता है. हमारे देश में आमतौर पर लोग 60 साल की उम्र के बाद नौकरी से रिटायर हो जाते हैं. यानी कामकाज की उम्र 60 साल तक मानी जाती है.
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म्यूचुअल फ़ंड में कैसे तेज़ी से बढ़ता है पैसा
How money grows in mutual fund: अगर आप 30 साल की उम्र से पहले निवेश शुरू करते हैं, तो आपको निवेश करने के लिए लंबा समय मिलता है. इसके अलावा एक वक़्त के बाद कंपाउंडिंग की ताक़त आपकी रक़म को बहुत तेज़ी से बढ़ाती है. आपके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न भी आपके लिए रिटर्न कमाता है, यानी मुनाफ़े पर मुनाफ़ा मिलता है. यह सिलसिला सालों तक चलता रहता है. इसे कंपाउंडिंग कहते हैं. जब आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का फ़ैसला करते हैं, और इसके बारे में जानकारी इकठ्ठा करते हैं, तब आपको पता चलता है कि बाज़ार में आपके लिए 30 से ज़्यादा म्यूचुअल फ़ंड की कैटेगरी मौजूद हैं. अब सवाल उठता है कि आपका पहला म्यूचुअल फ़ंड कौन सा हो.
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पहला म्यूचुअल फ़ंड कौन सा हो?
Mutual Fund Investment First Scheme: आमतौर पर किसी के लिए भी पहला म्यूचुअल फ़ंड (Mutual Fund) ऐसा होना चाहिए, जो उसकी ज़रूरत पूरी करे. उसके फ़ीचर्स को समझना आसान हो और आसानी से निवेश किया जा सके. तो, एक शुरुआती निवेशक यानी आपके लिए टैक्स सेविंग फ़ंड या अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड में से कोई भी आपका पहला फ़ंड हो सकता है. आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश की शुरुआत कर रहे हैं, ऐसे में बेहतर होगा कि आपका ज़्यादा पैसा इक्विटी में लगाएं. इसकी एक ख़ास वजह भी है. आपका इक्विटी में पहले से कोई निवेश नहीं है. नए निवेशक आमतौर पर पहले से बैंक FD , PPF और दूसरी तय आमदनी वाले विकल्पों में निवेश करते हैं. अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो आपको इक्विटी फ़ंड्स में निवेश करना चाहिए. यहां आपको इक्विटी में निवेश के जोख़िम से डरने की ज़रूरत नहीं है. इक्विटी में निवेश में तेज़ उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन आप लंबे समय तक, यानी 5 साल या इससे ज़्यादा समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपके लिए इस उतार-चढ़ाव से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.
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टैक्स सेविंग फ़ंड
टैक्स सेविंग फ़ंड को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स यानी ELSS के नाम से भी जानते हैं. ये इक्विटी फ़ंड होता है. यानी आपका पूरा पैसा इक्विटी में लगता है. इस फ़ंड में निवेश करके आप सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट भी हासिल कर सकते हैं. आप ELSS में सालाना ₹1.5 लाख तक निवेश कर के ये छूट हासिल पास सकते हैं. क्योंकि ये एक इक्विटी फ़ंड है. ऐसे में आपको लंबे समय के लिए निवेश करना चाहिए. हालांकि, इसके लिए इन फ़ंड्स में 3 साल तक का लॉक-इन पीरियड होता है. यानी आप 3 साल से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपकी टैक्स छूट का फ़ायदा नहीं मिलेगा. इन फ़ंड्स से अच्छे रिटर्न की वजह से आमतौर पर निवेशकों का अनुभव बेहतर रहा है, और फ़ंड पर मिलने वाली टैक्स छूट कुल रिटर्न को बढ़ा देती है.
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अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड
अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड यानी एक ऐसा फ़ंड, जो इक्विटी (equity) और डेट (debt) में निवेश करता है. SEBI के निए नियमों के तहत, अब अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड 65 फ़ीसदी से 80 फ़ीसदी तक इक्विटी में निवेश कर सकते हैं और बाक़ी पैसा डेट में लगा सकते हैं. इस अनुपात को बनाए रखने के लिए फ़ंड मैनेजर समय-समय पर री-बैलेंसिंग करता है. फ़ंड मैनेजर तय रेशियोको बनाए रखने के लिए इक्विटी या डेट के हिस्से को ख़रीदताया बेचता है. इसे री-बैलेसिंग कहते हैं. जैसे कि एक फ़ंड मैनेजर अपने अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड में 70:30 का अनुपात रखना चाहता है और इक्विटी का अनुपात 75 हो जाता है और डेट का 25 रह जाता है, तो वो 5 फ़ीसदी इक्विटी बेचकर डेट में लगा देगा, जिससे 70: 30 का अनुपात फिर से बन जाए. इसी तरह से अगर इक्विटी डेट का अनुपात 65:35 हो जाता है तो फ़ंड मैनेजर 5 फ़ीसदी डेट को बेचकर इक्विटी में लगा देगा और 70:30 का अनुपात फिर से जाएगा.
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अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड्स का सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि ये प्योर इक्विटी फ़ंड्स की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित हैं. जब बाज़ार चढ़ता है, तो ये फ़ंड तेज़ी से बढ़त बनाते हैं. लेकिन जब बाज़ार गिरता है, तो ये थोड़ा कम तेज़ी से गिरते हैं. इस तरह से ये फ़ंड अच्छे समय में हुए फ़ायदे को बचाए रख पाते हैं.
आपका, अपने पहले फ़ंड के निवेश का अनुभव ही इस बात को तय करेगा कि आप आगे का निवेश किस तरह से करेंगे. ऐसे में, आप अपने पहले फ़ंड निवेश को ज़्यादा जटिल नहीं बनाएं. आप इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करके चीज़ों को आसान बना सकते हैं. इससे आपको ऊंचा रिटर्न पाने में मदद मिलेगी. अगर आप टैक्स बचाना चाहते हैं, तो ELSS फ़ंड्स आपके लिए बिल्कुल सही होंगे. एक आखिरी बात, आप निवेश की शुरुआत करते समय लंबे समय को ध्यान में रखिए.
कैसे चुनें बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड
अच्छे रिटर्न के लिहाज़ से म्यूचुअल फ़ंड एक बेहतर विकल्प है. हक़ीक़त में, हर कोई अपने लिए बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड ही चुनना चाहता है. इस मामले में धनक (dhanak.com) आपकी मुश्किल आसान कर सकता है. इसमें निवेश के लिए सबसे अच्छे लगने वाले फ़ंड को फ़ाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. इस तरह से हम 1 स्टार से 5 स्टार तक की रेटिंग देते हैं. और, जिन फ़ंड्स को निवेश के लायक़ नहीं मानते है, उन्हें कोई रेटिंग नहीं दी जाती. हमारे इस फ़ीचर को इस्तेमाल करिए और निवेश के ज़रिए खुद को आर्थिक तौर पर सफ़ल बनाएं. स्टॉक चुनने का तरीक़ा विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें.
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