फंड वायर

वैल्यू रिसर्च एक्सक्लूसिव: मल्टी-कैप फ़ंड्स पर हमारी पहली रेटिंग जारी!

हम रेटिंग देने के साथ मल्टी-कैप की तुलना फ़्लेक्सी-कैप से कर रहे हैं ताकि आप जानें कि आपको कहां निवेश करना चाहिए

Multi-Cap Fund Rating: See our multi-cap ratings for the first time!AI-generated image

आख़िरकार मल्टी-कैप फ़ंड्स के लिए फ़ैसले की घड़ी आ गई है. वैल्यू रिसर्च धनक में हमने उन्हें रेटिंग देने के लिए अपने लाल और हरे मार्कर निकाल लिए हैं. दरअसल, हाल ही में 10 मल्टी-कैप फ़ंड्स ने अपनी तीसरी सालगिरह पूरी की है, इसलिए हमने सोचा कि पूरे ज़ोर-शोर से उन्हें अपनी कसौटी पर कसा जाए और वैल्यू रिसर्च रेटिंग से नवाज़ा जाए.

पहली मल्टी-कैप फ़ंड रेटिंग

निप्पॉन इंडिया मल्टी कैप फ़ंड हमारी पहली लिस्ट में टॉप पर है, जिसे परफ़ेक्ट फ़ाइव स्टार रेटिंग मिली है, जबकि क्वांट एक्टिव टेबल के दूसरे छोर पर है.

यहां 10 मल्टी-कैप फ़ंड्स की लिस्ट है, जिनमें से हरेक को हमने रेटिंग दी है, ये वो फ़ंड्स हैं जिन्होंने अपना तीसरा साल पूरा कर लिया है.

स्कीम वैल्यू रिसर्च रेटिंग 3-साल के रिटर्न (%) एसेट (₹ करोड़)
निप्पॉन इंडिया मल्टी कैप 5 23.4 38,678
कोटक मल्टीकैप 4 23.5 14,799
ICICI प्रूडेंशियल मल्टीकैप 4 18.5 14,152
बड़ौदा BNP परिबास मल्टी कैप 3 17.1 2,739
ITI मल्टी कैप 3 16.8 1,360
इन्वेस्को इंडिया मल्टीकैप 3 16.4 3,810
आदित्य बिड़ला सन लाइफ़ मल्टी कैप 3 14.8 6,234
महिंद्रा मैनुलाइफ़ मल्टी कैप 2 17.3 4,735
सुंदरम मल्टी कैप 2 14.4 2,759
क्वांट एक्टिव 1 15.5 10,531
नोट: डायरेक्ट प्लान की रेटिंग. तारीख़ 31 अक्तूबर 2024 तक. रिटर्न 14 नवंबर 2024 तक .

मल्टी-कैप फ़ंड का संक्षिप्त इतिहास

चलिए 2020 में वापस लौटें, जब कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने मल्टी-कैप फ़ंड के लिए 'फ़ोर्स्ड मैंडेट' या बाध्यकारी आदेश जारी किया था.

कई लोगों को लगा कि इससे मल्टी-कैप फ़ंड बर्बाद हो जाएंगे. क्योंकि जब मल्टी-कैप फ़ंड पेश किए गए थे, तो दो अलग कैटेगरी - फ्लेक्सी-कैप और मल्टी-कैप - बेमानी लग रही थीं. उनमें फ़र्क़ ये था कि फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड हर मार्केट कैप में आज़ादी से पैसे लगा सकते थे, जबकि मल्टी-कैप फ़ंड को सेबी के तय किए एलोकेशन की सीमाओं को मानना पड़ता था (लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में कम से कम 25 प्रतिशत निवेश). शुरू में, ये अंतर मनमाना और निवेशकों के हितों के ख़िलाफ़ लगा.

आज देखें तो, मल्टी-कैप फ़ंड्स ने अपनी क्षमता साबित कर दी है, हालांकि तीन साल किसी नई कैटेगरी के लिए बहुत बड़ा अर्सा नहीं होता इसलिए वे अभी भी अपने शुरुआती दौर में ही कहे जाएंगे. मगर, ₹1.75 लाख करोड़ (फ़्लेक्सी-कैप के लिए ₹5.97 लाख करोड़ की तुलना में) के एसेट बेस के साथ, मल्टी-कैप फ़ंड ने एक नई कैटेगरी होने के बावजूद प्रभावित करने वाली ग्रोथ दिखाई है. ग़ौर करने वाली बात है कि मल्टी-कैप फ़ंड्स की संख्या 2021 की शुरुआत में सिर्फ़ आठ थी जो आज आज 33 पहुंच गई है, ये निवेशकों और तमाम फ़ंड हाउस के बीच उनकी बढ़ती लोकप्रियता को दिखाता है.

मल्टी-कैप फ़ंड्स के लिए क्या कारगर रहा?

1. परफ़ॉर्मेंस, ख़ासतौर से फ़्लेक्सी-कैप के मुक़ाबले

पिछले तीन साल में मल्टी-कैप फ़ंड्स की सालाना दर 17.8 प्रतिशत रही है, जबकि फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स की दर 14.1 प्रतिशत रही.

क्यों? फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स अक्सर लार्ज कैप पर ज़्यादा निर्भर रहते हैं, जिनका एवरेज एलोकेशन 75 प्रतिशत होता है. दूसरी ओर, चूंकि मल्टी-कैप फ़ंड्स को मिड और स्मॉल कैप में कम-से-कम 50 प्रतिशत निवेश करना होता है, इसलिए इन सेगमेंट्स में हाल ही में हुई तेज़ी ने मल्टी-कैप फ़ंड्स को काफ़ी बढ़ावा दिया है.

2. सुलझा हुआ एसेट एलोकेश

सेबी के 'फ़ोर्स्ड मैंडेट' ने मल्टी-कैप फ़ंड्स के पक्ष में काम किया है. चूंकि मल्टी-कैप फ़ंड में निवेशकों का कम से कम 50 प्रतिशत पैसा मिड और स्मॉल कैप में निवेश करना ज़रूरी है, इसलिए वे इन दो सेगमेंट में ज़्यादा निवेश की चाह रखने वाले और लंबे समय का निवेश करने वालों के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकते हैं.

इसके अलावा, एलोकेशन के ज़रूरी होने की वजह से मल्टी-कैप फंड पोर्टफ़ोलियो को समय-समय पर बैलेंस करना पड़ता है, जिससे ये टैक्स के लिहाज़ से सस्ते बन जाते हैं.

3. लिक्विडिटी की कमी नहीं

मल्टी-कैप फ़ंड के लिए मैंडेट की अनिवार्यता एक वरदान है, इसका एक और कारण ये है कि इसमें लिक्विडिटी बफ़र भी है. मिड और स्मॉल कैप को केवल 25 प्रतिशत एलोकेट करके, वे लिक्विडिटी की कमी से बचते हैं जो मिड और स्मॉल-कैप फ़ंड में पैदा हो सकती है क्योंकि उन्हें अपने-अपने सेगमेंट में कम-से-कम 65 प्रतिशत निवेश करने की ज़रूरत होती है. इस तरह से सबसे बड़े मल्टीकैप फ़ंड के पास लिक्विडिटी की चिंता खड़ी होने से पहले ही ग्रोथ की काफ़ी जगह मिल जाती है.

हमारी राय

भले ही मल्टी-कैप फ़ंड्स ने लॉन्च के बाद से ही बेहतरीन रिटर्न दिया है, लेकिन ये कहना जल्दबाज़ी होगी कि ये जारी रहेगा या नहीं. अभी तक ये केवल उत्साह से भरे बाज़ार में ही मौजूद रहे हैं.

चूंकि मिड और स्मॉल कैप ऐतिहासिक रूप से बाज़ार में गिरावट के दौरान लार्ज कैप की तुलना में ज़्यादा गिरावट देखते हैं, इसलिए मंदी के दौर में उनका प्रदर्शन देखना अभी बाक़ी है.

इसलिए, मल्टी-कैप फ़ंड में तभी निवेश करें जब:

  • आपके पास कम-से-कम 5 या 7 साल के लॉन्ग-टर्म निवेश का प्लान हो
  • आपमें मिड और स्मॉल कैप के उतार-चढ़ाव झेलने के लिए ज़्यादा रिस्क उठाने की क्षमता हो.

क्या आप कोई ख़ास फ़ंड तलाश रहे हैं? हमारे रिकमेंड किए फ़ंड आपको यहां मिलेंगे.

ये भी पढ़ें: मल्टी कैप बनाम फ़्लेक्सी कैप: डाइवर्सिफ़ाई करने का बेस्ट तरीक़ा

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


टॉप पिक

IDFC फ़र्स्ट बैंक बार-बार क्यों मांग रहा है पैसा?

पढ़ने का समय 5 मिनटKunal Bansal

NPS के इंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन से क्या इस साल टैक्स बच सकता है?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

जिस दिन इन्फ़ोसिस को बेच देना चाहिए था: वैल्यूएशन से जुड़ा एक मुश्किल सबक़

पढ़ने का समय 5 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

Nasdaq बढ़ा 9%, मेरा ETF सिर्फ़ 1.7%! क्या ये धोखा है?

पढ़ने का समय 3 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा गोल्ड, क्या आपको अब भी इसमें ख़रीदारी करनी चाहिए?

पढ़ने का समय 4 मिनटउज्ज्वल दास

म्यूचुअल फंड पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

कुछ न करके जीतना

टैरिफ़ वॉर से मची मार्केट की उठा-पटक कैसे निवेशक के मनोविज्ञान समझने का एक ज़बरदस्त तरीक़ा हो सकती है.

दूसरी कैटेगरी