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म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो को कैसे गिरावट से सुरक्षित करें?

जानिए अपने म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो को भारी उतार-चढ़ाव से कैसे बचा सकते हैं

Mutual fund portfolio: How to protect from downturns? in HindiAI-generated image

मैं अपने म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो को कैसे सुरक्षित करूं? जब बाज़ार में तेज़ी आती है, तो आमतौर पर निवेशक अपनी होल्डिंग्स को बेचने के बजाय निवेश बनाए रखते हैं, लेकिन बाज़ार में गिरावट की चिंता बनी रहती है. लंबे समय के निवेश की सुरक्षा के लिए क्या किया जा सकता है? - धनक सब्सक्राइबर

म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो को हेज करना यानि सुरक्षा देना आसान नहीं है. जब भी इक्विटी मार्केट में गिरावट आती है, तो इंडेक्स-सेंसेक्स, निफ़्टी, स्मॉल कैप इंडेक्स आदि सभी एक साथ गिर जाते हैं. असल में, म्यूचुअल फ़ंड बिल्ट-इन हेजिंग का विकल्प नहीं देते हैं, इसलिए बेहतर यही है कि अपने पोर्टफ़ोलियो को अलग-अलग एसेट क्लास में डायवर्सिफ़ाई करें.

पर्सनल एसेट एलोकेशन का नियम सबसे सही तरीक़ा हो सकता है. मिसाल के तौर पर, 50 फ़ीसदी इक्विटी में और 50 फ़ीसदी डेट में एलोकेट करके अपना पोर्टफ़ोलियो बैलेंस किया जा सकता है. जैसे-जैसे इक्विटी बाज़ार चढ़ता है, ये एलोकेशन बदल सकता है. अगर इक्विटी संभावित रूप से 70 फ़ीसदी तक बढ़ जाती है तो ऐसी स्थिति में, इक्विटी का 20 फ़ीसदी बेचकर उसे डेट में ट्रांसफ़र करने से आंशिक तौर पर पोर्टफ़ोलियो को सुरक्षा मिल सकती है.

बीते सालों के बाज़ार पर ग़ौर करें तो पता चलता है कि कम समय के उतार-चढ़ाव को देखते हुए भविष्यवाणी करना मुश्क़िल है और बाज़ार को टाइम करने यानि अंदाजा लगाने की कोशिश में अक्सर मौक़े गंवाने की आशंका भी रहती है.

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इसके बजाय, रीबैलेंसिंग के नियमों के साथ एक अनुशासित एसेट एलोकेशन की स्ट्रैटजी ज़्यादा असरदार हो सकती है. उदाहरण के लिए, जब भी किसी एसेट क्लास का टारगेट एलोकेशन से 10-15 फ़ीसदी दूर चला जाता है, तो रीबैलेंसिंग से निवेशकों को बाज़ार में तेज़ी और गिरावट दोनों से फ़ायदा उठाने का मौक़ा मिलता है. डेट के लिए एलोकेट की गई रक़म के साथ, निवेशक मंदी के दौरान इक्विटी में पैसा लगा सकते हैं. बग़ैर डायवर्सिफ़िकेशन के नज़रिए के, गिरावट के दौरान एक पूरी तरह इक्विटी आधारित पोर्टफ़ोलियो में निवेश करने के लिए पैसे की कमी हो सकती है.

ऑटोमेटेड एसेट एलोकेशन और रीबैलेंसिंग की स्ट्रैटजी एक बफ़र के तौर पर काम कर सकती है, जो समय के साथ रिटर्न को बढ़ाती है और बाज़ार में गिरावट की स्थिति में आपके नुक़सान को कम कर सकती है. ये नज़रिया जहां मंदी के ख़िलाफ़ सुरक्षा देकर मानसिक तौर पर सुकून दे सकता है, वहीं, बाज़ार में तेज़ी आने पर ग्रोथ का फ़ायदा मिल सकता है.

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