जून 2023 के तीसरे हफ़्ते में, सेंसेक्स अब तक के सबसे हाई लेवल पर पहुंच गया. इसे समाचार पत्रों और सोशल मीडिया चैनलों में अच्छा ख़ासा कवरेज मिला. बुल मार्केट में ख़ुशी का दौर है क्योंकि इक्विटी निवेश बढ़ रहा है, नेट वैल्यू बढ़ रही है और लोगों में संतुष्टि की भावना पैदा हो रही है.
लेकिन क्या चीज़ आपको अमीर बनाती है?
क्या ये सिर्फ़ इक्विटी बाज़ारों में तेजी का मामला है? बिल्कुल नहीं. अमीर बनना आपके व्यवहार और एसेट एलोकेशन पर निर्भर करता है. ये आपके पूरे पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी में निवेश का प्रतिशत है. 'Investors' Journeys' की तीन स्टोरी की इस सीरीज के दूसरे भाग में हम आपको इस बारे में ही बता रहे हैं.
अमन और राहुल का मामला
इस लेख में, हम दो दोस्तों - अमन और राहुल के उदाहरण का इस्तेमाल करते हुए एसेट एलोकेशन के प्रभाव पर चर्चा करेंगे.
चलिए, एक ऐसे परिदृश्य को मान लें जहां स्टॉक मार्केट मौजूदा स्तर से दोगुना और आधा हो जाता है. स्थिर डेट रिटर्न (भले ही उनमें भी उतार-चढ़ाव हो, फिर भी ये कम होता है) मान लें तो अमन और राहुल दोनों ₹1 लाख के कॉर्पस के साथ शुरू करते हैं. अमन 20 प्रतिशत इक्विटी में और बाकी डेट में निवेश करता है, जबकि राहुल इस अनुपात को उलट देता है और 20 प्रतिशत डेट में और बाकी इक्विटी में निवेश करता है.
अगर शेयर मार्केट इंडेक्स एक साल के बाद दोगुना हो जाता है, तो इक्विटी निवेश की वैल्यू भी दोगुनी हो जाती है. इसका असर राहुल पर ज़्यादा पड़ेगा, क्योंकि उसे अपने दोस्त अमन से तीन गुना ज़्यादा फ़ायदा होगा.
इसी तरह, COVID जैसे मुश्किल हालात इक्विटी बाजार पर निगेटिव असर डाल सकते हैं. बाजार मूल्य के आधा होने की बात मान लें तो राहुल को अमन के मुक़ाबले आठ गुना ज़्यादा नुकसान होगा.
मार्केट 60,000 पर
अमन | राहुल | |
---|---|---|
कुल कॉर्पस (₹) | 1,00,000 | 1,00,000 |
एसेट एलोकेशन | ||
इक्विटी (%) | 20 | 80 |
डेट (%) @7% | 80 | 20 |
अमाउंट (₹) | ||
इक्विटी | 20000 | 80000 |
डेट | 80000 | 20000 |
मार्केट 1,20,000 पर
अमन | राहुल | |
---|---|---|
कुल कॉर्पस (₹) | 1,00,000 | 1,00,000 |
एसेट एलोकेशन | ||
इक्विटी (%) | 20 | 80 |
डेट (%) @7% | 80 | 20 |
अमाउंट (₹) | ||
इक्विटी | 40000 | 1,60,000 |
डेट | 85600 | 21400 |
कुल वैल्यूएशन (₹) | 1,25,600 | 1,81,400 |
मुनाफ़ा/(नुक़सान) (₹) | 25600 | 81400 |
मार्केट 30,000 पर
अमन | राहुल | |
---|---|---|
कुल कॉर्पस (₹) | 1,00,000 | 1,00,000 |
एसेट एलोकेशन | ||
इक्विटी (%) | 20 | 80 |
डेट (%) @7% | 80 | 20 |
अमाउंट (₹) | ||
इक्विटी | 10000 | 40000 |
डेट | 85600 | 21400 |
कुल वैल्यूएशन (₹) | 95600 | 61400 |
मुनाफ़ा/(नुक़सान) (₹) | -4400 | -38600 |
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जैसा कि आप देख सकते हैं, एसेट एलोकेशन का आपके नुकसान या फ़ायदे पर बड़ा असर पड़ता है. इक्विटी निवेश आदर्श रूप में लंबे समय यानी लगभग सात साल से ज़्यादा के लिए होना चाहिए. पुलक प्रसाद (Pulak Prasad) और वॉरेन बफ़े (Warren Buffett) जैसे लोग लंबे समय के लिए निवेश करते हैं.
लंबे समय में देखें तो निवेश में एंट्री के समय की अहमियत कम है. अगर बाज़ार दोगुना हो जाता है, तो क्या इससे आपको ख़ुशी होगी अगर आपने उस समय निवेश किया होता जब बाज़ार 60,000 के बजाय 58000 पर था? इसके विपरीत, जब बाजार आधा हो जाता है, और आपने 58,000 पर निवेश किया होता तो क्या ये आपको दुखी करता? चाहे निवेश के समय बाजार 58,000 पर था या 60,000 पर, दोनों ही मामलों में, लोअर एंट्री लेवल होने से रिटर्न पर कम असर कम असर पड़ेगा.
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जब बाजार में भारी उतार-चढ़ाव होता है या जब आप लंबे समय के लिए निवेश करते हैं, तो बाजार में आपके एंट्री प्वाइंट के असर की अहमियत कम हो जाती है.
हम सही एलोकेशन कैसे तय करते हैं?
पर्सनल फ़ाइनेंस सब्जेक्टिव है यानी हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग है और सबके लिए कोई एक-सा अनूठा रूल मौजूद नहीं है. हालांकि, हम एक सही इक्विटी एलोकेशन पर पहुंचने के लिए अब तक के मौजूदा पिछले आंकड़ों पर विचार कर सकते हैं.
भले ही इक्विटी बाज़ारों में सालाना लगभग 10-20 प्रतिशत की गिरावट आती है, लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि 43 सालों में से 34 सालों में इंडेक्स की क्लोज़िंग पॉज़िटिव रही है. दरअसल, ये एक ट्रेंड है लेकिन इससे आगे भी ऐसा ही होने की गारंटी नहीं मिलती. अतीत में, कुछ साल के दौरान अक्सर राष्ट्रीय या ग्लोबल फैक्टर्स के चलते इसमें 30-60 प्रतिशत का भारी सुधार हुआ है. यह इक्विटी का परिवर्तनशील स्वभाव है.
एलोकेशन तय करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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अगर आपको शॉर्ट से मीडियम टर्म (एक से तीन साल) के लिए फ़ंड चाहिए, तो इक्विटी सेविंग फ़ंड जैसे डेट या हाइब्रिड फ़ंड में एलोकेशन करना समझदारी है.
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केवल उतना ही एलोकेट करें जितना आप अपने फ़ाइनेंशियल गोल्स को प्रभावित किए बिना 10-20 प्रतिशत की अस्थायी गिरावट को सहन कर सकें.
- अगर अस्थायी नुकसान आपकी परेशानी बढ़ा रहा है, तो दूर रहने पर विचार करें या उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए अपने दिमाग को तैयार करने पर काम करें. किसी भी निवेश के चलते आपको इतना परेशान नहीं होना है कि डॉक्टर पास जाना पड़ जाए.
इसका पहला भाग पढ़ें:
वो क्या है जो आपको अमीर बनाएगा?
श्यामली 20 साल से ज़्यादा वक़्त से एसेट मैनेजमेंट की दुनिया से जुड़ी हुई हैं, जो बेहद अमीर निवेशकों से लेकर नए निवेशकों तक, सभी के साथ काम कर रही हैं. निवेश के मानवीय पहलू को समझने और निवेशकों के साथ सहानुभूति रखने की उनमें ख़ूबी है, जिससे उनके लेख दूसरों से अलग नज़र आते हैं. उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है.