पिछले कुछ महीनों में, मैं जिन निवेशकों से मिली हूं उनमें से ज़्यादातर का एक ही मक़सद है - वो अमीर बनना चाहते हैं. पैसा इकट्ठा करने के कारण कई हो सकते हैं, मगर उनकी चाहत एक जैसी ही है.
बाद में, मैं अपने साथ जुड़े कुछ निवेशकों के बारे में भी बात करूंगी जो भीड़ से बिल्कुल अलग थे.
हालांकि, चूंकि ज़्यादातर लोग अपनी संपत्ति बढ़ाना चाहते हैं, तो ऐसा कैसे किया जा सकता है? मैं इसे सरलता से बताना चाहूंगी. पैसा इकट्ठा होना तीन बातों पर निर्भर करता है:
- आप कहां निवेश करते हैं
- आप कितनी पूंजी किसी ख़ास एसेट/ एसेट क्लास में निवेश करते हैं
- क्या आपका व्यवहार उस एसेट के मुताबिक़ है, जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं
अब, आइए हर एक वजह की अलग से जांच करें.
आप कहां निवेश करते हैं?
क्लाइंट्स के पास निवेश के कई विकल्प हैं, जिनमें डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट या अलग-अलग ऑप्शन के ज़रिये किए जाने वाले इन्वेस्टमेंट शामिल हैं. निवेश के कुछ आम विकल्प कुछ इस तरह के हैं:
- इक्विटी: स्टॉक, म्युचूअल फ़ंड, PMS (पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट सर्विस), या AIF (ऑल्टेरनेटिव इन्वेस्टमेंट फ़ंड)
- डेट: स्मॉल सेविंग स्कीम्स, फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, बॉन्ड, या डेट म्युचूअल फ़ंड
- सोना या कमोडिटी: गहने, सिक्के, ETF (एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड), म्यूचुअल फ़ंड, या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
- ज़मीन/ प्रॉपर्टी: रेजिडेंशियल या कमर्शियल प्रॉपर्टी, या REIT (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट)
हर एसेट या एसेट क्लास, बुनियादी तौर पर एक दूसरे से अलग है. ये निवेश के अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करती हैं, और एक-दूसरे से अलग काम करती हैं. इनमें से हरेक में निवेशकों को एसेट क्लास के नीचे दिए पहलुओं को समझने की ज़रूरत है:
- एसेट क्लास का स्वभाव
- अनुमानित रिटर्न
- रिटर्न में उतार-चढ़ाव
- लिक्विडिटी
- निवेश के लिए सबसे अच्छी समय सीमा
- लिक्विडेशन पर टैक्स
- व्यवस्थित प्रोसेस और ट्रांसपरेंसी
- रेग्युलेशन
- बिज़नस करने में आसानी
- इन्वेस्टमेंट की मिनिमम यूनिट
हो सकता है ये लिस्ट पूरी न हो, लेकिन इसमें अहम पहलुओं को शामिल किया गया है.
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आप किसी ख़ास एसेट/ एसेट क्लास में कितना पैसा निवेश करते हैं?
किसी ख़ास एसेट या एसेट क्लास में कितना पैसा निवेश करना है, ये तय करते समय रिस्क और रिवॉर्ड के बीच बैलेंस बनाना ज़रूरी है. अलग-अलग एसेट में पैसे का स्ट्रैटजिक एलोकेशन निवेश पोर्टफ़ोलियो के पूरे परफ़ॉरमेंस पर काफी ज़्यादा असर डालता है.
डाइवर्सिफ़िकेशन निवेश मैनेजमेंट में एक प्रमुख सिद्धांत है, और इसमें किसी एक निवेश के परफ़ॉरमेंस का असर कम करने के लिए अपने निवेश को अलग-अलग एसेट्स में एलोकेट करना शामिल है. डाइवर्सिफ़िकेशन के पीछे आइडिया ये है कि अलग-अलग एसेट में, समय के साथ रिटर्न के अलग-अलग पैटर्न हो सकते हैं, और कई सारे एसेट रखकर, ज़्यादा स्टेबल और कंसिस्टेंट रिटर्न पाने की संभावना होती है.
कैपिटल का एलोकेशन जोख़िम सहने की क्षमता, फ़ाइनेंशियल गोल, निवेश की समय सीमा और निवेशक की स्थिति के आधार पर किया जाना चाहिए. निवेश के लंबे समय और ज़्यादा जोख़िम लेने की क्षमता वाले युवा निवेशक इक्विटी में ज़्यादा एलोकेशन चुन सकते हैं, जो ऐतिहासिक रूप से बेहतर रिटर्न की पेशकश करते हैं. दरअसल, इनमें उतार-चढ़ाव ज़्यादा होता है. दूसरी ओर, रिटायरमेंट के क़रीब या रिस्क की कम क्षमता वाले निवेशक, बॉन्ड जैसे फ़िक्स्ड इनकम वाले एसेट में ज़्यादा एलोकेशन चुन सकते हैं, आमतौर पर ये कम जोख़िम वाले माने जाते हैं, मगर फिर इनमें रिटर्न भी कम मिलता हैं.
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क्या आपका व्यवहार निवेश किए गए एसेट के स्वभाव के मुताबिक़ है?
आख़िर में, हमें अपनी ज़रूरतों को, अपने चुने हुए इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की ख़ूबियों के हिसाब से अपने पोर्टफ़ोलियो में रखना चाहिए. निवेशकों के लिए किसी भी निवेश के लाइफ़ साइकल के पूरा होने तक निवेश को बनाए रखना काफ़ी ज़रूरी होता है.
लेकिन कुछ निवेशक ऐसे भी हैं, जो दुनिया में सबसे बेस्ट चीज़ें चाहते हैं. इनमें से कुछ ख़्वाहिशें तो अजीबोग़रीब हैं:
- बिना या कम अस्थिरता के इक्विटी रिटर्न
- कम गिरावट और तुरंत रिकवरी वाले इक्विटी रिटर्न - अपने इंक्रीमेंटल अमाउंट का निवेश करने के लिए इतना बहुत है.
- लिखित में किसी डिफ़ॉल्ट के न होने की गारंटी वाले वेंचर डेट के ज़रिये, जो FD से ज़्यादा ब्याज़ देने वाले डेट निवेश हों.
- ऐसे प्रोडक्ट जहां हम टैक्स का भुगतान न करने या इसे टालने का तरीक़ा निकाल सकते हैं.
एक ऑब्ज़र्वर के नाते, मुझे कभी-कभी ख़्याली पुलावों पर कुछ कहना बड़ा चुनौती भरा लगता है. मैं मन में सोचती हूं कि, “क्या आप मुझसे मज़ाक कर रहे हैं?” लेकिन बस मुस्कुरा कर रह जाती हूं और बातचीत आगे बढ़ा देती हूं. इससे कभी-कभी मुझे शादी के विज्ञापन में अक़्सर देखी जाने वाली बेसिर-पैर की मांगें याद आती हैं, जहां लोग विरोधाभासी गुणों की लंबी लिस्ट के साथ एक आदर्श साथी की तलाश करते हैं.
ख़्वाबों की दुनिया से बाहर निकलो दोस्तों. सच तो ये है कि आपको ये सब मिल सकता है, लेकिन ये नियम नहीं, बस एक आस है जो कभी-कभी सच भी हो सकती है.
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