म्यूचुअल फंड कोर्स

आपका पहला म्‍यूचुअल फ़ंड कैसा हो?

म्यूचुअल फ़ंड कोर्स की सीरीज़ के पार्ट-5 में पहला म्‍यूचुअल फ़ंड चुनने के तरीक़े को विस्तार से समझते हैं

म्यूचुअल फ़ंड में निवेश की शुरुआत कैसे करें?Anand Kumar

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9:45

Which mutual fund is best for first time investor: यूं तो म्‍यूचुअल फ़ंड्स, इक्विटी इन्‍वेस्टिंग को काफ़ी आसान बना देते हैं लेकिन एक नए निवेशक के लिए सही फ़ंड का चुनाव मुश्किल होता है. पहला फ़ंड चुनना काफ़ी अहम है क्‍योंकि यही तय करता है कि आपके निवेश का सफ़र कैसा रहेगा. एक ख़राब चुनाव आपका भरोसा तोड़ सकता है और आप निवेश करना ही छोड़ सकते हैं. यहां हम यही बात करेंगे कि आप अपना पहला म्यूचुअल फ़ंड कैसे चुनें.

पूरा प्‍लान...!

स्‍टेप 1 - म्यूचुअल फ़ंड कैटेगरी चुनें

पहले फ़ंड का चुनाव उतना भी मुश्किल नहीं जितना कहा जाता है. आप भी अपने फ़ंड निवेश की शुरुआत नीचे बताए तरीक़े से कर सकते हैं.

केस-1: इक्विटी के लिए नए हैं और टैक्‍स बचाना आपका गोल नहीं है

हम रेकमेंड करते हैं कि आप लंबे समय में वेल्‍थ बनाने के लिए एग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड के साथ शुरुआत करें. ये फ़ंड आपके पैसे का बड़ा हिस्‍सा इक्विटी (equity) में निवेश करते हैं और उसका कुछ हिस्‍सा डेट (debt) में रखते हैं. डेट वाला हिस्‍सा गिरावट के समय वैल्यू बनाए रखने में मदद करता है. एक एसेट क्‍लास के तौर पर डेट, स्‍टॉक मार्केट पर निर्भर नहीं होता है और ऐसे में, ये कम अवधि के उतार-चढ़ाव से आज़ाद रहता है. इसलिए एग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड पहली बार निवेश कर रहे है निवेशकों के लिए सही होता है. ये आपको निवेश बनाए रखने में और गिरावट होने पर फ़ंड में बने रहने में मदद करता है. ये बात किसी भी नए निवेशक के लिए ये काफ़ी अहम होती है.

ये भी देखिए - टॉप रेटिंग वाले अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड की लिस्ट

केस-2 आप इक्विटी निवेश के लिए नए हैं और टैक्‍स बचाना चाहते हैं

कुछ म्‍यूचुअल फ़ंड ऐसे हैं जो पैसे बनाने के अलावा आपके इनकम टैक्‍स का बोझ भी कम करने में मदद करते हैं. इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 80C के तहत टैक्स सेविंग फ़ंड्स में निवेश करके आप एक साल में ₹1.5 लाख तक के निवेश पर टैक्स छूट पा सकते हैं. ये इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्‍स स्‍कीम (ELSS), प्‍योर इक्विटी फ़ंड्स हैं, जो तमाम कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. पर ध्यान रखिए, ये फ़ंड तीन साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं यानी निवेश के तीन साल तक आप अपना पैसा फ़ंड से नहीं निकाल सकते. इसका फ़ायदा भी है कि एक बार निवेश करने के बाद नए निवेशकों का निवेश कम से कम तीन साल के लिए बना रहता है और इसका शानदार फ़ायदा भी उन्हें दिख जाता है. अगर आप टैक्‍स देते हैं और 80C की टैक्स छूट का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो अपनी बचत के लिए एक या दो 'ELSS फ़ंड' ज़रूर चुनें.

ये भी देखिए - टॉप रेटिंग वाले ELSS फंड

केस-3: इक्विटी इन्‍वेस्टिंग का पहले से अनुभव है और टैक्‍स सेविंग गोल नहीं है

अगर आपको इक्विटी निवेश का चार-पांच साल का अनुभव है लेकिन आप म्‍यूचुअल फ़ंड के खेल में नए हैं, तो आप 'फ़्लेक्‍सी-कैप फ़ंड को चुन सकते हैं. ये ELSS फ़ंड्स की तरह ही होते हैं, बस इनमें तीन साल का लॉक-इन पीरियड नहीं होता और हां, टैक्‍स बचत का फ़ायदा भी नहीं मिलता. दूसरे इक्विटी फ़ंड से उलट, इन दोनों क़िस्म के फ़ंड्स के पास अपने निवेश के लिए स्‍टॉक चुनने के लिए पूरी आजादी होती है.

ये भी देखिए - टॉप रेटिंग वाले ELSS फंड

तमाम म्‍यूचुअल फ़ंड ऑप्‍शंस की भूलभुलैया में खो जाने की ज़रूरत नहीं है. आप ऊपर बताई गई हमारी टॉप रेटिंग वाले म्‍यूचुअल फ़ंड की लिस्‍ट से फ़ंड चुन सकते हैं. इससे फ़ंड चुनने का आपका काम काफ़ी आसान हो जाएगा. ये रेटिंग दूसरे फ़ंड की तुलना में दिए गए फ़ंड के लॉन्ग-टर्म रिस्‍क एडजस्‍टेड रिटर्न पर आधारित है. ये शुद्ध रूप से एक क्‍वांटिटेटिव एक्‍सरसाइज़ है और इस रेटिंग में कोई सब्‍जेटिक्‍व इनपुट नहीं है.

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स्‍टेप 2: चुनी गई कैटेगरी से फ़ंड चुनें

बेस्‍ट फ़ंड की पहचान के लिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. आपके पास टॉप रेटिंग वाले फ़ंड की लिस्‍ट है. अब आपको सिर्फ़ ऐसे फ़ंड्स से बचना हो जिनमें...

  • फ़ंड का फ़ंड मैनेजर हाल में बदला हो. इससे फ़ंड की परफ़ॉरमेंस हिस्‍ट्री कम भरोसेमंद हो जाती है.
  • जिन फ़ंड्स का एक्‍सपेंस रेशियो, उसकी कैटेगरी के दूसरे फ़ंड्स की तुलना में काफ़ी ज़्यादा हो. एक्सपेंस रेशियो यानी ख़र्च के ज़्यादा होने से आपका मुनाफ़ा या रिटर्न कम हो जाता है, ख़ासतौर पर लंबे समय के निवेश में.

समय के साथ, आप कई चीज़ें सीखेंगे, जिससे फ़ंड चुनने का आपका तरीक़ा बेहतर होता जाएगा. लेकिन इसी वक़्त आपको सबकुछ जानने की ज़रूरत नहीं है. याद रखें, जब हम कार चलाना सीखते हैं, तो हम पहले ही दिन कार को हाइवे पर नहीं चलाने लगते. कार हो या निवेश, धीमी शुरुआत अच्छी होती है और निरंतरता को बनाए रखना ज़रूरी होता है.

स्‍टेप 3: हर महीने निवेश करना शुरू करें

चुने गए फ़ंड में, चाहे कम निवेश करें, मगर नियमित निवेश करें. आप ₹100-500 महीने की शुरुआत भी अच्छी है. आप सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान यानी SIP के साथ व्‍यवस्थित निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. ये निवेश का ऐसा तरीक़ा है जहां निवेशक एक निश्चित अंतराल पर अपनी तय हुई रक़म निवेश कर सकता है. इस तरह से हर महीने आपकी तय की हुई तारीख़ पर आपके बैंक अकाउंट से पैसा कट जाता है और फ़ंड में चला जाता है. आप इसे EMI जैसा समझ सकते हैं लेकिन ये एक अच्‍छी EMI है.

SIP VS एकमुश्‍त निवेश: एकमुश्‍त निवेश (lump sum investment) की तुलना में SIP के जरिए निवेश के कई फ़ायदे हैं

  • अगर आप अपनी बचत का बड़ा हिस्‍सा एक ही बार में (एकमुश्त) निवेश करते हैं और निवेश के तुरंत बाद मार्केट में बड़ी गिरावट आ जाती है, तो होगा ये कि आप डर कर अपना निवेश बेच देंगे और शायद जीवन भर दोबारा इक्विटी का नाम न लें. इससे लंबे समय में वेल्‍थ बनाने का आपका लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा.
  • लेकिन अगर बहुत बड़ी रक़म दांव पर नहीं लगी होगी, तो आप कम-से-कम एक पूरी मार्केट साइकल में निवेश बनाए रखेंगे. इसका फ़ायदा तब पता चलेगा जब आप इक्विटी निवेश के फ़ायदों को समझने लगेंगे और ये समझ जाएंगे कि लंबे समय के लिए इक्विटी निवेश करने पर आप किस तरह से पूंजी खड़ी कर सकते हैं.
  • थोड़ा-थोड़ा पैसा निवेश करने से निवेश की लागत औसत हो जाती है क्‍योंकि इक्विटी मार्केट गिरने पर आपको ज़्यादा यूनिट मिलती हैं और इक्विटी मार्केट बढ़ने पर आपको कम यूनिट मिलती हैं.

स्‍टेप 4: कम-से-कम दो-तीन साल तक निवेश जारी रखें

निवेश की शुरुआत के आपके प्‍लान का सबसे सबसे ज़रूरी स्‍टेप है, निवेश को बनाए रखना.

निवेश की इस स्‍टेज का सबसे अहम हिस्‍सा जल्‍दी अमीर बनने के लिए बड़ी रक़म निवेश करना नहीं, बल्कि बिना परेशान हुए अगले दो-तीन साल तक निवेश को लगातार जारी रखना है, फिर मार्केट चाहे किसी भी हाल में हो. इक्विटी मार्केट और आपके म्‍यूचुअल फ़ंड में उतार चढ़ाव आएंगे ही. मार्केट भारत चीन या भारत पाकिस्‍तान संघर्ष को लेकर, या फिर कोराना जैसी घटनाओं पर तेज़ी से रिएक्‍ट कर सकता है. लेकिन लंबे समय के इक्विटी इन्‍वेस्‍टमेंट की संभावनाओं पर इसका बहुत मामूली असर होगा. इसलिए, इक्विटी निवेशक के लिए सबसे बेहतर क़दम ये होगा कि वो ऐसे शोरगुल को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करें और अपना निवेश जारी रखें. लेकिन कहना आसान है और करना मुश्किल. इस तरह के कम-से-कम एक फेज़ से गुज़रना आपके सीखने की प्रक्रिया का अहम हिस्‍सा है.

आंख मूंद कर सिर्फ़ हमारी बात निर्भर रहने के बजाए, बेहतर होगा कि आप इक्विटी इन्‍वेस्टिंग में अपना भरोसा बनाएं. इसका सबसे बेहतर तरीक़ा है कि सीमित रक़म के साथ, एक अर्से तक इक्विटी इन्‍वेस्टिंग का अनुभव लिया जाए. इसलिए हमारी सलाह है कि चाहे जो हो, अपनी SIP कम-से-कम अगले तीन साल तक जारी रखें. जब मार्केट में गिरावट आएगी, तो आपको ऐसी बातें सुनने को मिलेंगी कि अब सब कुछ बुरा होने वाला है. लेकिन आपको इन मार्केट एक्‍सपर्ट्स की बातों को अनसुना करते हुए निवेश जारी रखना है. आपको इसका ईनाम मिलेगा और ये आपको इक्विटी निवेशक के तौर पर तैयार कर देगा. हमेशा के लिए हमारी एक आसान सी सलाह है- मार्केट में तेज़ी या गिरावट की वजह से अपनी SIP बंद न करें या निवेश से पैसा न निकालें.

अगर आप अपने निवेश के सफ़र के पहले तीन साल के लिए इस प्‍लान पर अमल करते हैं, तो काफ़ी संभावना है कि एसेट क्‍लास के तौर पर इक्विटी पर आपका भरोसा मज़बूत हो जाएगा. म्‍यूचुअल फ़ंड के बारे में आप काफ़ी चीज़ें जान जाएंगे और साथ ही ये भी जान जाएंगे कि इसमें निवेश कैसे करें. ये वो समय होगा जब आप अपने लंबे समय के फ़ाइनेंशियल गोल के बारे में सोच सकते हैं क्‍योंकि आप गोल की प्‍लानिंग और बड़ी रक़म निवेश करने के लिए ज़्यादा तैयार होंगे. ये प्‍लान निवेश शुरू करने के लिए है, निवेश बनाए रखने का काम आपका है. तो फ़ाइनेंशियल प्‍लानिंग, एसेट एलोकेशन जैसी मुश्किल शब्‍दावली में फंसने की ज़रूरत नहीं है. बस एक शुरुआत करें.

लेकिन अपना पहला ट्रांज़ैक्‍शन कैसे और कहां करें? ये जानने के लिए इस म्यूचुअल फ़ंड कोर्स सीरीज़ के पार्ट-5 को ज़रूर पढ़ें.

इस सीरीज के दूसरे भाग-
1. आपको अमीर बना सकता है निवेश!
2. निवेश शुरू करने का सही समय!
3. वैल्थ पाने का रास्ता
4. म्‍यूचुअल फ़ंड से दोस्‍ती अच्छी है
6. प्‍लान पर अमल करें
7. अगला कदम: निवेश को ट्रैक करें
8. निवेश से पहले कर लें ये काम


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