ये 1992 की शुरुआत की बात है. मार्केट की सेहत बताने वाला बैरोमीटर -- सेंसेक्स -- 2,000 का आंकड़ा पार करने वाला था. पर इसके बाद जो हुआ वो निवेशकों के लिए किसी सपने से कम नहीं था. सिर्फ़ तीन महीने के अंदर, ये बैरोमीटर 4,000 के पार हो गया, जो एक तेज़ बुल रैली थी.
इस सरगर्मी के दौरान, यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (UTI) ने UTI मास्टरगेन 92 लॉन्च किया. ये एक और फ़ंड -- UTI MEP 92 -- के बाद आया था, जिसने अपने NFO (न्यू फ़ंड ऑफ़र) के ज़रिए ₹1,251 करोड़ इकट्ठे किए थे.
पर ये अच्छा वक़्त ज़्यादा दिन नहीं रहा. हर्षद मेहता घोटाले का ख़ुलासा हुआ और मार्केट में बड़ी गिरावट आई.
इस उथल-पुथल और निवेशकों की घबराहट के बावजूद, मास्टरगेन 92 ने अपने NFO पीरियड के दौरान ₹4,472 करोड़ की भारी पूंजी जमा की. आज तक सिर्फ़ छह इक्विटी और दो हाइब्रिड फ़ंड्स ही अपने NFO में इस आंकड़े को पार कर पाए हैं.
अब तक के सबसे बड़े NFOs
फ़ंड का नाम | कैटेगरी | लॉन्च की तारीख़ | NFO राशि (₹ करोड़) |
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SBI बैलेंस्ड एडवांटेज़ | डायनामिक एसेट एलोकेशन | Aug-21 | 14,551 |
BHARAT 22 ETF | लार्ज कैप | Nov-17 | 14,499 |
ICICI प्रुडेंशियल फ़्लेक्सीकैप | फ़्लेक्सी कैप | Jul-21 | 9,808 |
SBI मल्टीकैप | मल्टी कैप | Mar-22 | 8,170 |
रिलायंस फ़ोकस्ड लार्ज कैप |
फ़्लेक्सी कैप | Mar-06 | 5,790 |
रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज़ | लार्ज और मिड कैप | Feb-08 | 5,660 |
NJ बैलेंस्ड एडवांटेज़ | डायनामिक एसेट एलोकेशन | Oct-21 | 5,216 |
एक्सिस मल्टीकैप | मल्टी कैप | Dec-21 | 5,042 |
UTI मास्टरगेन 92 | फ़्लेक्सी कैप | May-92 | 4,472 |
नोट: सिर्फ़ इक्विटी और हाइब्रिड फ़ंड्स को शामिल किया गया है. रिलायंस फ़ोकस्ड लार्ज कैप फ़ंड और रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज़ फ़ंड को क्रमशः निप्पॉन इंडिया फ़ोकस्ड इक्विटी फ़ंड और निप्पॉन इंडिया विज़न फ़ंड के साथ मर्ज़ कर दिया गया था. UTI मास्टरगेन 92 का नाम बदलकर UTI फ़्लेक्सीकैप कर दिया गया है. |
अगर 7 फ़ीसदी की सालाना महंगाई दर से इसे 32 साल के लिए एडजस्ट किया जाए, तो इसका मतलब फ़ंड ने (अपने NFO के ज़रिए) ने आज के हिसाब से लगभग ₹39,000 करोड़ जमा किए थे. अगर इस राशि को साल 1992 में सेंसेक्स में निवेश किया गया होता, तो अब ये बढ़कर ₹95,000 करोड़ से थोड़ा ज़्यादा हो गई होती, क्योंकि सेंसेक्स तब से लेकर अब तक 21 गुना से ज़्यादा बढ़ चुका है.
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लंबा सफ़र
नाम बदलने से लेकर फ़ंड्स के एब्सॉर्ब किए जाने तक, फ़ंड अपने 32 साल के सफ़र में हर तरह के अनुभव से गुज़रा, यहां तक कि मास्टरगेन 92 ने अपना 'क्लोज़-एंडेड फ़ंड' का स्टेटस भी छोड़ा. यानी, इसने साल 1997 से निवेशकों का पैसा लेना शुरू किया.
अभी (31 जनवरी 2024 तक) ये फ़ंड ₹25,156 करोड़ मैनेज करता है, और इसने अपने वुजूद में आने के बाद से 12.5 फ़ीसदी का औसत रिटर्न दिया है. मतलब, अगर आपने NFO के दौरान इसमें सिर्फ़ ₹10,000 का निवेश किया होता, तो 4 मार्च 2024 तक आपके पास ₹4.3 लाख हो गए होते.
इसके अलावा, अगर SIP के ज़रिए UTI मास्टरगेन 92 में हर महीने ₹1,000 निवेश करने का कोई तरीक़ा होता, तो वो निवेश आज ₹58.3 लाख (14 फ़ीसदी SIP रिटर्न) के बराबर हो जाता. हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि निवेशकों को मुनाफ़ा होना 11 साल बाद शुरू हुआ, क्योंकि तब भारतीय मार्केट मंदी के दौर से गुज़र रहा था.
UTI मास्टरगेन 92 को लॉन्च हुए लगभग 32 साल हो गए हैं, और हमने किसी भी फ़ंड को लेकर इतना उत्साह आज तक नहीं देखा है.
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