परंपरागत निवेश के दो तरीक़े थे: एक्टिव और पैसिव . या तो एक्टिव फ़ंड्स में आप अपना पैसा फ़ंड मैनेजरों पर लगाते, और उन्हें अल्फ़ा जेनरेट करने के लिए ऊंची फ़ीस देते या कम लागत पर सेंसेक्स या निफ़्टी जैसे इंडेक्स में निवेश करते. पर अब, स्मार्ट-बीटा फ़ंड (smart beta fund) नाम की एक नई कैटेगरी आई है. ये एक्टिव और पैसिव स्ट्रैटजी का मिलाजुला रूप है. इसका मक़सद मोमेंटम, वैल्यू, वॉलेटिलिटी और क्वालिटी जैसे ख़ास फ़ैक्टरों के आधार पर स्टॉक का चुनाव करना है.
स्मार्ट-बीटा फ़ंड, एक्टिव और पैसिव फ़ंड का मिलाजुला रूप कैसे हैं?
ये फ़ंड, एक पैसिव फ़ंड के मार्केट-कैप के आधार पर इंडेक्स और एक्टिव फ़ंड के इन्वेस्टमेंट रूल को अपनाते हैं, जिसे स्मार्ट-बीटा फ़ंड 'फ़ैक्टर' कहते हैं.
आइए, निफ़्टी 200 मोमेंटम 30 (Nifty 200 Momentum 30) का उदाहरण लेते हैं. ये एक स्मार्ट-बीटा फ़ंड है, जो निफ़्टी 200 में शामिल सभी 200 कंपनियों पर नज़र रखता है और फिर सबसे मज़बूत ' मोमेंटम ' वाले 30 शेयरों की पहचान करता है. इसी तरह, निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30 फ़ंड, निफ़्टी 100 में, 100 कंपनियों के बीच 30 सबसे कम वॉलेटाइल या अस्थिर स्टॉक खोजता है.
स्मार्ट बीटा की स्ट्रैटजी में क्या शामिल होता है?
किसी ख़ास इंडेक्स से स्टॉक का चुनाव करने के लिए स्मार्ट-बीटा फ़ंड में छह फ़ैक्टर या नियम होते हैं.
स्टॉक की एक अनूठी बास्केट बनाने के लिए इन फ़ैक्टर्स का इस्तेमाल अलग-अलग या कॉम्बिनेशन में किया जा सकता है.
ये छह फ़ैक्टर इस तरह से हैं:
फ़ैक्टर | इनका क्या मतलब है |
---|---|
वैल्यू | कम P/B, P/E, P/S और ऊचा डिविडेंड यील्ड वाले स्टॉक पर विचार किया जाता है. |
वॉलेटिलिटी | न्यूनतम स्टैंडर्ड डेविएशन और बीटा वाले स्टॉक को प्राथमिकता दी जाती है. |
मूमेंटम | मोमेंटम में पिछले छह और 12 महीनों में स्टॉक के रिटर्न पर विचार किया जाता है, जिसे इसकी अस्थिरता के लिए समायोजित किया जाता है. ये शेयरों के तेजी से बढ़ने और आगे सफलता की संभावना के बारे में है. |
क्वालिटी | जिन कंपनियों की पूंजी पर रिटर्न (ROE) और अर्निंग में ग्रोथ अधिक है, उन पर विचार किया जाता है. इक्विटी के मुकाबले कम ऋण वाली कंपनियों को प्राथमिकता दी जाती है. |
साइज़ | इस मामले में, शेयरों को उनके मार्केट कैप के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है. उदाहरण के लिए, 100 सबसे बड़ी मार्केट कैप वाली कंपनियों को लार्ज-कैप माना जाता है. |
डिविडेंड | जिन शेयरों में ऊंची डिविडेंड यील्ड और क़ीमत में बढ़ोतरी की उम्मीद होती है, उन पर विचार किया जाता है. |
बढ़ती लोकप्रियता
चूंकि स्मार्ट-बीटा फ़ंड्स ने सैद्धांतिक तौर पर एक्टिव और पैसिव फ़ंड्स में से सबसे अच्छे फ़ंड्स को लिया है, इसलिए इस क्षेत्र में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ना कोई अचरज की बात नहीं है. दिसंबर 2023 तक पिछले चार साल में क्वांट फ़ंड सहित 56 स्मार्ट-बीटा फ़ंड लॉन्च किए गए हैं, जिनका एसेट अंडर मैनेजमेंट (कुल एसेट) दिसंबर 2020 में मात्र ₹1,245 करोड़ से बढ़कर दिसंबर 2023 में ₹19,912 करोड़ हो गया है.
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स्मार्ट-बीटा फ़ंड्स का प्रदर्शन
इनका प्रदर्शन अभी तक मिला जुला रहा है.
भले ही निफ़्टी 200 मोमेंटम 30, निफ़्टी 50 वैल्यू 20, और निफ़्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30, जैसे कुछ फ़ंड्स ने पिछले पांच साल के दौरान, पांच साल के डेली रोलिंग रिटर्न के आधार पर अपने मूल इंडेक्स को 90-100 फ़ीसदी से पीछे छोड़ा है, लेकिन निफ़्टी अल्फ़ा 50, निफ़्टी 100 क्वालिटी 30, और निफ़्टी 100 इक्वल वेटेड काफ़ी हद तक पीछे रह गए हैं.
नीचे दी गई टेबल इस बात को साफ़ तौर पर ज़ाहिर करती है.
स्मार्ट बीटा फ़ंड्सः कौन रहा सफल, किसे हुई मुश्किल
फ़ैक्टर | फ़ैक्टर इंडेक्स | पेरेंट इंडेक्स | फ़ैक्टर इंडेक्स ने कितनी बार पेरेंट इंडेक्स को छोड़ा पीछे |
---|---|---|---|
साइज़ | निफ़्टी 100 इक्वल वेटेड | निफ़्टी 100 | 8% |
वॉलेटिलिटी | निफ़्टी 100 लो वॉलेटिलिटी 30 | निफ़्टी 100 | 91% |
क्वालिटी | निफ़्टी 100 क्वालिटी 30 | निफ़्टी 100 | 4% |
मोमेंटम | निफ़्टी 200 मूमेंटम 30 | निफ़्टी 200 | 100% |
क्वालिटी | निफ़्टी 200 क्वालिटी 30 | निफ़्टी 200 | 71% |
अल्फ़ा एंड वॉलेटिलिटी | निफ़्टी अल्फ़ा लो वॉलेटिलिटी 30 | निफ़्टी 200 | 64% |
वैल्यू | निफ़्टी 500 वैल्यू 50 | निफ़्टी 500 | 16% |
डिविडेंड | निफ़्टी डिविडेंड ऑपर्च्युनिटी 50 | निफ़्टी 500 | 15% |
अल्फ़ा | निफ़्टी अल्फ़ा 50 | निफ़्टी 50 | 0% |
वैल्यू | निफ़्टी 50 वैल्यू 20 | निफ़्टी 50 | 97% |
नोट: 31 जनवरी 2019 और 31 जनवरी 2024 के बीच पांच साल के दैनिक रोलिंग रिटर्न के आधार पर प्रदर्शन की तुलना. विचार किए गए सभी फ़ैक्टर सूचकांक टोटल रिटर्न इंडेक्स हैं. |
साइक्लिकल या चक्रीयता का फ़ैक्टर
Cyclicality: प्रदर्शन के अलावा, इन फ़ंड्स को परिभाषित करने वाले फ़ैक्टर चक्रीय हो सकते हैं और लंबी अवधि में सरल और व्यापक इंडेक्स फ़ंड्स का प्रदर्शन ख़राब हो सकता है, जिसकी ओर मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स में इक्विटी के सह-प्रमुख गौरव मिश्रा ने हाल ही में वैल्यू रिसर्च को दिए एक
इंटरव्यू
में संकेत दिया था.
उन्होंने कहा था, "जब कुछ फ़ैक्टर निश्चित समय पर सफल होते हैं, तो स्मार्ट बीटा फ़ंड अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. ये भरोसे के साथ कहना मुश्किल है कि इस साल या अगले साल कौन सा क़ारगर रहेगा. पीछे देखने पर, मोमेंटम ने बहुत ख़ूबसूरती से ये काम किया है. लेकिन इसे स्पष्ट रूप से कहें, तो ये सेक्टरों पर दांव लगाने की कोशिश कर रहा है."
और जब हमने हर एक फ़ैक्टर के प्रदर्शन की जांच की तो हमने ऐसा ही पाया. वैल्यू का फ़ैक्टर पिछले तीन साल में चार्ट में सबसे ऊपर था, लेकिन 2019 और 2020 में ये निचले स्तर पर रहा. वास्तव में, 2019 में इसमें 13.7 फ़ीसदी की गिरावट आई.
हालांकि ये उतना नाटकीय नहीं है, जितना डिविडेंड यील्ड, क्वालिटी और कम वॉलेटिलिटी (उतार-चढ़ाव) जैसे दूसरे फ़ैक्टर्स ने तेज़ बदलावों का अनुभव किया है.
यहां तक कि सबसे अच्छा स्मार्ट-बीटा फ़ंड - निफ़्टी 200 मोमेंटम 30 - भी इस नियम में अपवाद नहीं हो सकता. निश्चित ही, फ़ंड ने पिछले तीन साल में शत प्रतिशत समय, अपने मूल इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया होगा, लेकिन ये बहुत छोटी अवधि है. किसी भी तरह के नतीजे पर पहुंचने से पहले फ़ंड को पांच से सात साल का मार्केट साइकल पूरा करना होगा.
हमारी राय
इस प्वाइंट पर स्मार्ट-बीटा फ़ंड एक नया आइडिया हैं. इनमें से ज़्यादातर को अभी भी पूरे मार्केट साइकल का अनुभव होना बाक़ी है.
फ़िलहाल के लिए, इन फ़ंड्स को संचालित करने वाले फ़ैक्टर चक्रीय या साइक्लिकल हैं, जिसका मायने हुआ कि ये जोख़िम वाले हैं.
इसके अलावा, क्वांट फंड सहित स्मार्ट-बीटा फ़ंड का एवरेज एक्सपेंस रेशियो 0.66 फ़ीसदी है, जो इंडेक्स फ़ंड के 0.21 फ़ीसदी की तुलना में एक्टिव फ़ंड के 0.79 फ़ीसदी के ज़्यादा क़रीब है.
इसलिए, अभी के लिए डाइवर्सिफ़ाइड एक्टिव या पैसिव इक्विटी फ़ंड्स के साथ बने रहना बेहतर है.
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