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IPO: INOXCVA से जुड़ी 10 बड़ी बातें

निवेश से पहले क्रायोजेनिक इक्विपमेंट और टैंक बनाने वाली इस कंपनी से जुड़ी हर बात जानें

IPO: INOXCVA से जुड़ी 10 बड़ी बातें

INOXCVA IPO: क्रायोजेनिक इक्विपमेंट बनाने वाली INOXCVA ने 14 दिसंबर 2023 को अपना इशू पेश कर दिया. इस आर्टिकल में हम कंपनी की क्षमताएं, कमज़ोरियां और ग्रोथ की संभावनाएं बता रहे हैं. इससे आपके लिए निवेश से जुड़ा फैसला लेना आसान हो जाएगा.

IPO डिटेल

IPO का साइज़ (करोड़ ₹) 1459.3
ऑफर फॉर सेल (करोड़ ₹) 1459.3
नए इशू (करोड़ ₹) -
प्राइस बैंड (₹) 627-660
सब्सक्रिप्शन डेट 14-18 दिसंबर 2023
इशू का उद्देश्य ऑफर फॉर सेल

IPO के बाद

मार्केट कैप (करोड़ ₹) 5990.4
नेटवर्थ (करोड़ ₹) 554.238
प्रमोटर होल्डिंग (%) 75.2
प्राइस/ अर्निंग्स रेशियो (P/E) 34.7
प्राइस/ बुक रेशियो (P/B) 10.8

फ़ाइनेंशियल हिस्ट्री

प्रमुख आंकड़े 2Y CAGR (%) TTM FY23 FY22 FY21
रेवेयू (करोड़ ₹) 27.5 1043.7 965.9 782.7 593.8
EBIT (करोड़ ₹) 24.6 207.8 190.4 155.5 122.7
PAT (करोड़ ₹) 26.1 172.6 152.7 130.5 96.1
नेटवर्थ (करोड़ ₹) 21.6 554.2 549.5 502.3 371.5
कुल कर्ज (करोड़ ₹) 63.5 42.7 9 54.5 67.5
EBIT यानी अर्निंग्स बिफोर इंटरेस्ट एंड टैक्स
PAT प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स

मुख्य रेशियो

रेशियो 3 साल का एवरेज (%) TTM FY23 FY22 FY21
ROE (%) 28.3 20 29 29.9 25.9
ROCE (%) 33.3 22.7 34.8 33.9 31.3
EBIT मार्जिन (%) 20.1 19.9 19.7 19.9 20.7
डेट टू इक्विटी 0.1 0.02 0.1 0.2
ROE यानी इक्विटी पर रिटर्न
ROCE यानी लगाई गई इक्विटी पर रिटर्न

1. क्वालिटी

कंपनी का तीन साल का एवरेज ROE और ROCE, क्रमशः 28 और 31 फ़ीसदी रहा है. INOXCVA ने पिछले तीन साल के दौरान, हर साल ऑपरेशन से पॉज़िटिव कैश फ़्लो दर्ज किया है.

FY23 में उसका ROE और ROCE, क्रमशः 29 और 35 फ़ीसदी रहा.
स्टॉक अपनी एंटरप्राइज़ वैल्यू पर 3.5 फ़ीसदी ऑपरेटिंग अर्निंग्स यील्ड की पेशकश करेगा.

2. ग्रोथ

पिछले तीन साल में कंपनी का रेवेन्यू और नेट प्रॉफ़िट, सालाना 28 और 26 फ़ीसदी की दर से बढ़ा है.

3. वैल्युएशन

स्टॉक की वैल्यू P/E और P/B की क्रमशः 35 गुना और 11 गुना रहेगी.

4. INOXCVA के बारे में

INOXCVA ख़ासकर क्रायोजेनिक टैंकों के साथ दुनिया की अग्रणी क्रायोजेनिक इक्विपमेंट मैन्युफ़ैक्चरर है. कंपनी इंडस्ट्रियल गैसों के स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए एंड-टू-एंड क्रायोजेनिक सॉल्यूशंस भी उपलब्ध कराती है. इसके अलावा, कंपनी नेचुरल गैस की ख़रीद, लिक्विफ़िकेशन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और री-गैसिफ़िकेशन के काम से भी जुड़ी है. उसके रेवेन्यू के तीन बड़े सोर्स हैं:

  • इंडस्ट्रियल गैस (FY23 के रेवेन्यू का 70 फ़ीसदी)
  • लिक्विफ़ाइड नेचुरल गैस (24 फ़ीसदी)
  • क्रायो साइंटिफ़िक डिवीज़न (4 फ़ीसदी)

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5. संभावनाएं

क्लीन एनर्जी की मांग और अपनी एनर्जी बास्केट में नेचुरल गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार के हालिया प्रयास से ग्रोथ को दम मिलना चाहिए. हालांकि, इस सेगमेंट में रेग्युलेटरी सख्ती के माहौल और बेहद ज़्यादा वर्किंग कैपिटल की ज़रूरत चिंता का विषय हैं.

6. INOXCVA की ताक़त

  • सबसे बड़ी कंपनी: ये रेवेन्यू के लिहाज़ से क्रायोजेनिक इक्विपमेंट की सप्लाई करने वाली सबसे बड़ी भारतीय कंपनी है. फ़ाइनेंशियल ईयर 22 में, इसका रेवेन्यू सेगमेंट की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी से चार गुना ज़्यादा रहा है.
  • कस्टमर्स का जुड़ाव: FY23 में कंपनी के रेवेन्यू में पुराने कस्टमर्स (Repeat customers) की हिस्सेदारी 49 फ़ीसदी रही.

7. INOXCVA की कमज़ोरियां

  • रेवेन्यू कन्संट्रेशन: FY23 में कंपनी के रेवेन्यू में उसके टॉप 10 कस्टमर्स की हिस्सेदारी 47 फ़ीसदी रही.
  • ज़्यादा वर्किंग कैपिटल: FY23 में 147 दिन के साथ उसका कैश कन्वर्ज़न साइकल ज़्यादा है और वर्किंग कैपिटल की ज़रूरतों के लिए कंपनी कर्ज़ पर निर्भर है.

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8. प्रॉफ़िट और सुरक्षा घेरा

  • FY23 में INOXCVA का प्रॉफ़िट बिफ़ोर टैक्स ₹205 करोड़ रहा था.
  • सुरक्षा घेरे यानी मोट (moat) की बात करें तो कंपनी रेवेन्यू के लिहाज से भारत की अग्रणी क्रायोजेनिक इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर है. इस इंडस्ट्री के लिए रेग्युलेटर से जुड़े नियम ख़ासे सख्त हैं और ज़्यादा वर्किंग कैपिटल की ज़रूरत पड़ती है.

9. मैनेजमेंट

  • IPO के बाद कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 75.2 फ़ीसदी होगी.
  • तजुर्बे की बात करें तो INOXCVA के मैनेजमेंट से जुड़े प्रमुख मैनेजरों (Key managerial personnel) और सीनियर मैनेजमेंट को 15 साल से ज़्यादा का अनुभव है.
  • मैनेजमेंट के भरोसेमंद न होने जैसी कोई ख़बर नहीं है. इसके अलावा अकाउंटिंग पॉलिसी के टिकाऊ नहीं होने के कोई संकेत नहीं हैं.
  • इसके अलावा, प्रमोटर्स ने कोई शेयर गिरवी नहीं रखा है.

10. क़र्ज़

  • मार्च 2023 तक कंपनी का ग्रौस डेट-टू-इक्विटी रेशियो 0.02 है.
  • कंपनी को बिज़नस के लिए अच्छे ख़ासे वर्किंग कैपिटल की ज़रूरत होती है.
  • इसीलिए, कंपनी अपने वर्किंग कैपिटल से जुड़े ख़र्चों के लिए डेट पर निर्भर करती है.
  • आकस्मिक देनदारियों की बात करें तो कुल इक्विटी के प्रतिशत के तौर पर ये क़रीब 31 प्रतिशत के स्तर पर थीं. उसमें से 97 फ़ीसदी कॉर्पोरेट गारंटी और बैंकों द्वारा दी गई गारंटी हैं, जो कंपनी की तरफ से परफ़ॉरमेंस गारंटी हैं.

डिसक्लेमरः ये निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अच्छी तरह से सोच विचार कर लें.

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