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नज़ारा टेक्नोलॉजीज़: पोकरबाज़ी कैसे बदलेगी नज़ारा?

आइए समझें कि पोकरबाज़ी का हालिया अधिग्रहण नाज़ारा का मुनाफ़ा बढ़ाएगा या रुलाएगा

क्या Nazara Technologies की growth strategy काम करेगी या नहीं? हिंदी मेंAI-generated image

भारत की इकलौती लिस्टिड गेमिंग कंपनी नज़ारा टेक्नोलॉजीज़ ने हाल ही में मूनशाइन टेक्नोलॉजीज़ का अधिग्रहण किया. मूनशाइन अपनी मशहूर गेमिंग ऐप 'पोकरबाज़ी' के लिए जानी जाती है. ये ऑनलाइन गेमिंग प्लेयर का सबसे बड़ा अधिग्रहण है, जिसमें अपने प्रतिस्पर्धी को ख़रीदकर विस्तार किया गया.

हालांकि 'ग्रोथ स्ट्रैटजी के तहत अधिग्रहण' ने नज़ारा को एक बड़ा मार्केट शेयर हासिल करने में मदद की है, लेकिन इसकी फ़ाइनेंशियल हालत मिलीजुली रही है. हालांकि, टॉपलाइन नंबर ने ₹1,156 करोड़ (TTM सितंबर 2024 तक) के रेवेन्यू के साथ प्रभावित किया है, पर मुनाफ़ा काफ़ी हद तक फ़्लैट ही रहा है. पर क्या पोकरबाज़ी का अधिग्रहण इसकी क़िस्मत बदलेगा? ये जानने के लिए, हमें देखना होगा कि ऑनलाइन गेमिंग दिग्गज के पिछले अधिग्रहणों ने किस तरह के नतीजे दिए हैं.

ज़्यादा अधिग्रहण, ज़्यादा ख़र्च?

प्रतिस्पर्धियों का अधिग्रहण करने से नज़ारा का रेवेन्यू बढ़ा है, मगर घोंघे की सुस्त रफ़्तार से रेंगते मुनाफ़े का ज़िम्मा किडोपिया, स्पोर्ट्सकीडा, नेक्स्टवेव मल्टीमीडिया और नोडविन गेमिंग जैसी कंपनियों को जाता है. इस सुस्त रफ़्तार की वजह क्लायंट अधिग्रहण की ऊंची लागत है जो ज़्यादा कंपनियों को ख़रीदने की वजह से बढ़ती है. इस तरह, FY21-24 के दौरान 35 फ़ीसदी सालाना रेवेन्यू ग्रोथ के बावजूद, नज़ारा का नेट प्रोफ़िट मार्जिन 6 फ़ीसदी से कम रहा है. इसी तरह, FY25 की दूसरी तिमाही के दौरान नज़ारा के ऑपरेशन से रेवेन्यू में साल-दर-साल 7.3 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन ब्याज और टैक्स से पहले की आमदनी (EBITDA) में क़रीब 10 फ़ीसदी की गिरावट आई.

हर गेम नहीं जीत नहीं होती

नज़ारा ने मोबाइल गेमिंग, ई-स्पोर्ट्स और रियल-मनी गेमिंग (RMG) को ख़रीदा है, लेकिन सभी ने सकारात्मक नतीजे नहीं दिए हैं. नीचे दी गई टेबल दिखाती है कि कंपनी के ई-स्पोर्ट्स डिवीज़न और गेमीफ़ाइड अर्ली लर्निंग, जिसका नेतृत्व नोडविन गेमिंग, स्पोर्ट्सकीडा और एनिमल जैम ने किया, उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि टेक, गेमिंग और RAM ने FY21-24 के दौरान धीमी रेवेन्यू ग्रोथ देखी है.

कहीं हार कहीं जीत

जहां कुछ सेगमेंट में रेवेन्यू मज़ूबती से बढ़ा, वहीं कहीं निराशा भी मिली

सेगमेंट 3Y ग्रोथ (%)
टेल्को सब्सक्रिप्शन -24.1
गेमीफ़ाइड अर्ली लर्निंग 21.3
फ़्रीमियम 3.9
ई-स्पोर्ट्स 54.9
रियल मनी गेमिंग 39.1
एडटेक* -32.2
* एक साल की ग्रोथ रेट. FY24 तक की ग्रोथ रेट

क्या पोकरबाज़ी नज़ारा की क़िस्मत बदलेगी?

भारत में ईस्पोर्ट्स और मोबाइल गेमिंग की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद, नज़ारा की कम मुनाफ़े की कहानी जारी रह सकती है, क्योंकि पोकरबाज़ी के अधिग्रहण, जिसने FY24 में अपनी मूल कंपनी (मूनशाइन) के रेवेन्यू में 85 फ़ीसदी हिस्सेदारी थी, मगर मूनशाइनक के EBITDA में सिर्फ़ 10 फ़ीसदी हिस्सा था. इसके अलावा, ऑनलाइन गेमिंग पर 18 फ़ीसदी GST मुनाफ़े को कम करना जारी रख सकता है.

डिजिटल गेमिंग इंडस्ट्री में नए ट्रेंड उभर रहे हैं, ऐसे में ये देखना होगा है कि नज़ारा मुनाफ़ा कमाने की अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए इसका फ़ायदा कैसे उठाती है. फिर भी, हर तरफ़ घटते वैल्युएशन और कंपनी के ख़राब कैपिटल ऐलोकेशन जैसे फ़ैक्टर इसकी मुनाफ़ा कमाने की क्षमताओं को लेकर चिंता बढ़ाते हैं.

अंत में, ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री वैश्विक नज़रिए से बहुत चमकदार नहीं दिखता, क्योंकि दुनिया भर की कंपनियों के गिरते वेैल्युएशन और बड़े अर्निंग मल्टीपल से जूझ रहे हैं. नज़ारा पहले से ही 85 के P/E (19 नवंबर, 2024 तक) पर कारोबार कर रही है, जिससे सवाल उठता है: क्या ये आकंड़ा तर्कसंगत कहा जा सकता है? और इसका निवेशकों पर क्या असर होगा? इन सवालों का जवाब समय ही देगा.

ये भी पढिएः FMCG कंपनियों की ग्रोथ सुस्त क्यों है?

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