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इस दीवाली गोल्ड ख़रीदने का बेस्ट तरीक़ा

Happy Diwali! आपकी दिवाली और भी शानदार रहेगी अगर इस बार ऐसा गोल्ड लिया जो ज़्यादा फ़ायदा देगा.

इस दीवाली गोल्ड ख़रीदने का बेस्ट तरीक़ा

Gold Buying on Diwali: गोल्ड को लेकर भारतीयों का प्रेम किसी से छिपा नहीं है. ख़ासतौर पर दीपावली के आसपास गोल्ड और सिल्वर से जुड़े सामान ख़रीदने का ख़ासा चलन है. लेकिन इसे ख़रीदकर घर में रखने के अपने रिस्क हैं. ख़ास बात ये है गोल्ड शादियों या अन्य समारोहों में पहनने के अलावा कि सिर्फ़ घर या लॉकर में ही रखा रहता है. यानी इसे एक प्रोडक्टिव एसेट नहीं कहा जा सकता.

10 साल में गोल्ड का प्रदर्शन

वहीं, रिटर्न के मामले में भी ये इक्विटी फ़ंड्स की तुलना में पीछे ही रहा है. अगर हम गोल्ड के पिछले 10 साल का प्रदर्शन को देखते हैं, तो इसमें आपको साफ़ नज़र आएगा कि एक एसेट क्लास के तौर पर गोल्ड का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा है.

पिछले 10 साल में जिस तरह का रिटर्न गोल्ड ने दिया है, उतना किसी आम सेविंग्स बैंक अकाउंट में भी मिल जाता. ये इक्विटी और फ़िक्स्ड इनकम से कहीं कम, लगभग छह फ़ीसदी ही रहा है. इसी दौरान इक्विटी ने 15 फ़ीसदी से ज़्यादा और फ़िक्स्ड इनकम ने लगभग सात फ़ीसदी का रिटर्न दिया है.

गोल्ड में भारी उतार-चढ़ाव

पहले माना जाता था कि एक बार गोल्ड में निवेश कर लिया, तो उसकी वैल्यू कभी कम नहीं होगी बल्कि ऊपर ही जाएगी. इसलिए माना जाता था कि वैल्यू के स्टोर के तौर पर गोल्ड एक शानदार तरीक़ा है. मगर अब किसी भी दूसरी एसेट क्लास की तरह गोल्ड भी उतार-चढ़ाव से भरी एसेट क्लास हो गया है. नीचे दी गई टेबल में 2009 से अभी तक के गोल्ड के प्रदर्शन से ये स्पष्ट ज़ाहिर होता है.

गोल्ड में ही करना है निवेश तो बेस्ट तरीक़ा?

अगर आपको गोल्ड में निवेश करना है तो हम इस दिवाली इसका बेस्ट तरीक़ा भी बता रहे हैं. रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम हमारे इस रिस्क को दूर करती है. दरअसल, इस स्कीम में डिजिटल गोल्ड में निवेश किया जाता है, और फ़िजिकल गोल्ड (यानी गहने, बुलियन, सिक्के) लेने की ज़रूरत नहीं होती.

वैसे तो RBI आमतौर पर SGB स्कीम के तहत लगभग हर छह महीने में गोल्ड बॉन्ड की नई सीरीज़ जारी करती है. फ़िजिकल होल्ड रखने की तुलना में RBI द्वारा जारी SGB को सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प माना जाता है. इस तरह आप दिवाली पर, स्टॉक एक्सचेंज पर SGB ख़रीद सकते हैं.

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आप SGBs कहां से ख़रीद सकते हैं?

SGBs प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों मार्केट में ट्रेड होते हैं. आप इन्हें RBI (बैंकों और डाकघरों के ज़रिये) या NSE और BSE जैसे एक्सचेंजों से आसानी से ख़रीद सकते हैं. RBI रिटेल डायरेक्ट भी एक विकल्प है, जो सरकारी सिक्योरिटीज़ में सीधे निवेश करने में सक्षम बनाता है.

नए या मौजूदा SGBs किसमें निवेश करना चाहिए?

इन SGBs निवेश करने पर विचार करते समय सवाल उठता है कि क्या नए SGBs को चुना जाए या पहले से ही सेकेंडरी मार्केट में लिस्टिड SGBs को चुनें. हमेशा नए जारी किए गए SGBs की कीमतों की तुलना लगभग समान मेच्योरिटी अवधि वाले मौजूदा SGBs की क़ीमतों से करनी चाहिए. ये हो सकता है कि मौजूदा SGBs डिस्काउंट पर क़ारोबार कर रहे हों.

हालांकि, अगर आप मेच्योरिटी तक बॉन्ड रखने का इरादा नहीं रखते हैं, तो सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी का आकलन करना ज़रूरी है. ज़्यादा लिक्विडिटी होने से बेचना आसान हो जाता है. दूसरी ओर, अगर आप मेच्योरिटी तक बॉन्ड होल्ड करने की योजना बनाते हैं, तो लिक्विडिटी की ज़्यादा अहमियत नहीं रह जाती. मेच्योरिटी पर, बॉन्ड को भुनाया जाएगा और भारत सरकार द्वारा इसके एवज में भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा, बॉन्ड की अवधि आठ साल है, 5वें साल के बाद कूपन पेमेंट डेट्स पर सरकार के माध्यम से जल्दी रिडेम्शन संभव है.

मेच्योरिटी पर कैसे टैक्स लगता है?

चाहे आप प्राइमरी मार्केट से SGB ख़रीदें या सेकेंडरी मार्केट से, मेच्योरिटी पर हुआ कैपिटल गेन पर टैक्स से छूट मिलती है.

हालांकि, अगर आप एक साल के भीतर बॉन्ड बेचने का विकल्प चुनते हैं, तो इससे मिलने वाला कोई भी फ़ायदा आपकी सालाना इनकम में जोड़ा जाएगा और आप पर लागू इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक़ टैक्स लगाया जाएगा. अगर आप एक साल के बाद SGB बेचते हैं, तो इंडेक्सेशन बेनेफ़िट (indexation benefits) के हिसाब से कैपिटल गेन पर 20 फ़ीसदी टैक्स लगाया जाएगा.

क्या SGBs को इंडेक्सेशन बेनेफ़िट मिलता है?

हां, इंडेक्सेशन बेनेफ़िट SGBs पर लागू होते हैं. फिर भी, अगर आपका इरादा मेच्योरिटी तक इन बॉन्ड्स को रखने का है, तो इंडेक्सेशन की अहमियत कम हो जाती है. दरअसल, मेच्योरिटी पर कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता है.

SGB के फ़ायदे

और अंत में बात SGB के कुछ बड़े फ़ायदों की:

  • आप स्टॉक एक्सचेंज पर एक डिस्काउंट पर SGB ख़रीद सकते हैं, जिसका मतलब है कि आप उतने ही पैसे से ज़्यादा गोल्ड ख़रीद सकते हैं.
  • अगर आप मेच्योरिटी यानी आठ साल तक SGB होल्ड रखते हैं, तो आपकी इनकम टैक्स फ़्री होगी.
  • इसके अलावा, आपको जहां फिजिकल गोल्ड की क़ीमत में बढ़ोतरी का फ़ायदा मिलेगा. वहीं, आपको हर साल 2.5 फ़ीसदी का गारंटीड रिटर्न भी मिलेगा. भले ही ब्याज टैक्सेबल हो, लेकिन इसका भुगतान हर साल दो बार किया जाता है, जो कुछ इन्वेस्टर्स के लिए इसे आकर्षक विकल्प बनाता है.

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