वर्ड्स वर्थ

हावर्ड मार्क्स की रिस्क मैनेजमेंट की कला

अपने लेटेस्ट मेमो में, हावर्ड मार्क्स बता रहे हैं कि रिस्क कंट्रोल उनकी प्राथमिकता क्यों बना हुआ है

हावर्ड मार्क्स की रिस्क मैनेजमेंट की कला

हावर्ड मार्क्स एक ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है. उनके मेमो दिखाते हैं कि उनकी इन्वेस्टमेंट फ़र्म ओकट्री कैपिटल की सफलता की सबसे बड़ी ताक़त उनका ज़बरदस्त दिमाग़ और निवेश को लेकर उनकी गहरी समझ रही है. अपने ताज़ा मेमो, 'Fewer Losers, or More Winners?', में मार्क्स लूज़र या ख़राब स्टॉक्स से दूर रहने की अहमियत को बता रहे हैं ताकि डाउनसाइड रिस्क को कम किया जा सके.

ओकट्री कैपिटल की फ़िलॉसफ़ी
"अगर हम लूज़र्स से बचें, तो विनर ख़ुद को संभाल लेंगे" ये लाइन मार्क्स की सोच को बखूबी ज़ाहिर करती है, और बाद में यही ओकट्री कैपिटल का आदर्श वाक्य बन गया. रिस्क कम करने के लिए लूज़र्स से बचने के साथ-साथ, मार्क्स विनर का पता लगाने की अहमियत पर भी ज़ोर देते हैं.

"अगर हम बॉन्ड्स के डाइवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो में निवेश करते हैं और उनसे दूर रहते हैं जो डिफ़ॉल्ट करते हैं, तो कुछ नॉन-डिफ़ॉल्टर जो हमने ख़रीदे हैं वो अपग्रेड और टेकओवर जैसी अच्छी घटनाओं से फ़ायदा पाएंगे. अलग से विनर को तलाशने नहीं करने पर भी वो ख़ुद-ब-ख़ुद पैदा हो जाएंगे..."

मार्क्स, सिर्फ़ रिटर्न पर फ़ोकस करने के बजाए लगातार रिस्क कंट्रोल और रिस्क का अनुमान लगाने या उसके आकलन पर ज़ोर देते हैं. इस पर वो कहते हैं, "हम चाहते हैं कि रिस्क कंट्रोल का कॉन्सेप्ट हमारे इन्वेस्टमेंट प्रोफ़ेशनल्स के दिमाग़ में हमेशा सबसे ऊपर रहे. जब वो सिक्योरिटी का अनालेसिस करते हैं, तो हम चाहते हैं कि वो न केवल ये पूछें कि “अगर चीज़ें सही तरीक़े से चलती हैं तो मैं कितना पैसा कमा सकता हूं?” बल्कि ये भी पूछें कि “अगर घटनाएं प्लान के मुताबिक़ नहीं हुईं तब क्या होगा? अगर चीज़ें गड़बड़ हुईं तो मैं कितना गंवा सकता हूं? और चीज़ें कितनी ख़राब हो सकती हैं?”

ये भी पढ़िए- कंपाउंडिंग का जादू कैसे बढ़ाता है आपका पैसा

रिस्क कंट्रोल बनाम रिस्क से बचना
मार्क्स इस बात पर ज़ोर देते हैं कि रिस्क कंट्रोल और रिस्क से बचने को एक जैसा नहीं समझना चाहिए. सभी निवेशों में कुछ हद तक रिस्क होता ही है. निवेश भविष्य के लिए की जाने वाली गतिविधि है जिसमें आकर्षक रिटर्न पाने के साथ-साथ अनिश्चितता भी होती है. बिना रिस्क वाले एसेट में पैसा लगाने से केवल रिस्क और रिटर्न से बचाव होगा.

"आप ट्रेजरी बिल ख़रीदकर या अपना पैसा सरकार की इंश्योरेंस वाले डिपॉज़िट में लगाकर रिस्क से बच सकते हैं, लेकिन इसकी एक वजह है कि इन पर मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर निवेश की दुनिया के सबसे कम रिटर्न में से होता है. अगर ये पक्का है कि आप अपने पैसे वापस पा ही लेंगे, तो थोड़ी देर के लिए इनसे अलग होने के लिए आपको ज़्यादा पैसे क्यों दिए जाएं?"

उनके मुताबिक़, रिस्क कंट्रोल का मतलब ऐसे रिस्क लेने से मना करना है जो a) आपके सोचे हुए रिस्क से ज़्यादा हैं और b) जिनमें रिस्क उठाने का रिवार्ड या इनाम कम है.

सभी निवेश अच्छे निवेश नहीं होते
मार्क्स कहते हैं कि निवेश करते समय कुछ ग़लत फ़ैसले होते ही हैं. हालांकि, निवेशक कभी-कभी ही सही फ़ैसले लेने का दावा कर सकते हैं. मगर इसमें कुछ लूज़र्स का चुनाव तो होगा ही. सवाल ये नहीं है कि आपके पास लूज़र्स होंगे या नहीं, बल्कि सवाल ये है कि आपके विनर्स की तुलना में ये कितने हैं और कितने बड़े लूज़र हैं.

उनका कहना है, "वॉरेन बफ़े - यक़ीनन सबसे अच्छे लॉन्ग-टर्म रिकॉर्ड (और पक्का ही सबसे बड़े लॉन्ग-टर्म रिकॉर्ड) वाले निवेशक – के बारे में मोटे तौर पर कहा जाता है कि उनके करियर में केवल 12 बड़े विनर्स थे. उनके साथी चार्ली मंगर ने मुझे बताया उनके ज़्यादातर एसेट 12 विनर से नहीं, बल्कि केवल चार विनर से आए. मेरा मानना ​​है कि वॉरेन और चार्ली के शानदार प्रदर्शन के कारण समझना आसान हैं: (a) बहुत सारे निवेश जिनमें उन्होंने ठीक-ठाक किया, (b) इसके मुक़ाबले कम नंबर में बड़े विनर रहे जिनमें उन्होंने भारी मात्रा में निवेश किया और दशकों तक अपने पास रखा, और (c) इसके मुक़ाबले कुछ ही निवेश ऐसे रहे जो बड़े लूज़र निकले. किसी को भी अपने वैल्थ मैनेजर से ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए - या ऐसी उम्मीद नहीं करें कि उनके सभी निवेश बड़े विनर हों और कोई भी लूज़र न हो."

ये भी पढ़िए- बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड के लिए चेक करें हमारी स्टार रेटिंग

क्या मार्केट को हराना संभव है?
मार्क्स का पक्का विश्वास है कि ऐसा वक़्त होता है जब मार्केट या तो ओवरप्राइज़्ड या ज़्यादा क़ीमत पर होते हैं या अंडरप्राइज़्ड या कम क़ीमत पर होते हैं. मार्केट के बदलते सेंटिमेंट्स के कारण हमेशा ही सफलता के साथ मार्केट का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता. उनका तर्क है कि मार्केट में अल्फ़ा पैदा करने की स्किल कम ही मार्केट में होती है और कुछ निवेशकों के पास हो सकती है.

उन्होंने कहा है कि निवेशक का रिस्क कम करके भी अल्फ़ा बनाया जा सकता है जबकि कुछ निवेशों को छोड़ कर या कम एक्सट्रा रिस्क लेकर संभावित रिटर्न बढ़ाया जा सकता है. मार्क्स के मुताबिक़, "ऐसे नज़रिए के बीच चुनाव एक निवेशक के पास मौजूद अल्फ़ा के टाइप पर निर्भर करता है: क्या ये रिस्क सहा जा सकता है और साथ ही साथ आश्चर्यजनक रिटर्न देने की क्षमता रखता है, या कम से कम रिस्क के साथ अच्छे रिटर्न देने की क्षमता रखता है? लगभग किसी भी निवेशक के पास दोनों तरह के अल्फ़ा नहीं होते हैं, और ज़्यादातर के पास इनमें से कोई भी नहीं होते."

निष्कर्ष
जब निवेश की बात आती है तो रिस्क होंगे ही. हालांकि, मार्क्स, अपने बरसों के अनुभव और समझ के साथ, ये साझा करते हैं कि कैसे एक निवेशक घाटे से बचकर रिस्क से निपट सकता है और इसके नतीजे में, एक विनर पोर्टफ़ोलियो बना सकता है.


टॉप पिक

₹12 लाख 3-4 साल के लिए कहां निवेश कर सकते हैं?

पढ़ने का समय 1 मिनटवैल्यू रिसर्च

आसान सवालों के मुश्किल जवाब

पढ़ने का समय 2 मिनटधीरेंद्र कुमार

आपको कितने फ़ंड्स में निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

मार्केट में गिरावट से पैसा बनाने का ग़लत तरीक़ा

पढ़ने का समय 2 मिनटधीरेंद्र कुमार

म्यूचुअल फ़ंड, ऑटो-पायलट और एयर क्रैश

पढ़ने का समय 4 मिनटधीरेंद्र कुमार

स्टॉक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

बहुत छोटे IPO में बहुत बड़ी चेतावनी के संकेत

SME vs TUTE: निवेशकों को सिर्फ़ रिस्क लेने में और SME IPO से होने वाली बर्बादी के बीच का फ़र्क़ पता होना चाहिए.

दूसरी कैटेगरी