Retirement Planning: एन्युटी से रिटायरमेंट के बाद जीवन भर एक रेगुलर इनकम सुनिश्चित होती है लेकिन इसके अपने नुक़सान भी हैं. नौकरी के दौरान, हमारे सामने बड़ी चुनौती ये होती है कि हम बचत और निवेश के जरिए एक बड़ा रिटायरमेंट कॉर्पस बनाएं जो रिटायरमेंट के बाद की ज़रूरतों को पूरा कर सके. लेकिन रिटायर होने के बाद बचत को इस तरह से निवेश करना अहम होता है जिससे आप जीवन भर आराम से अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकें और पैसों की किल्लत का सामना न करना पड़े. रिटायरमेंट के बाद किसी के सामने एक बड़ा जोख़िम ये होता है कि कहीं उसकी बचत उसके जीवन में ही न ख़त्म हो जाए.
रिटायर हो चुके शख्स को सबसे पहले हर माह रेगुलर इनकम का इंतजाम करना चाहिए जिससे वो अपने ख़र्चों को पूरा करके आराम से ज़िंदगी जी सके. मौजूदा समय में कई विकल्प उपलब्ध हैं जो मंथली इनकम हासिल करने में आपकी मदद कर सकते हैं. जैसे पोस्ट ऑफिस एमआईएस, सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम और एन्युटी प्लान. एन्युटी प्लान बीमा कंपनियां बेचती हैं. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में भी आपको कम से कॉर्पस की 40 फ़ीसदी रक़म एन्युटी में लगानी होती है.
क्या है एन्युटी
एन्युटी जीवन बीमा कवर नहीं मुहैया कराती है. इसके बजाए एन्युटी जीवन भर या तय अवधि तक गारंटीड इनकम मुहैया कराती है. एन्युटी प्लान किसी भी व्यक्ति को इस ख़तरे को बचाने के लिए बनाए जाते हैं कि रिटायरमेंट के बाद उसके जीवित रहते ही उसकी रक़म ख़त्म न हो जाए. ये जोख़िम बीमा कंपनियां उठाती हैं.
कितने तरह की होती है एन्युटी
एन्युटी आप कब ख़रीदते हैं. इसके आधार पर एन्युटी को दो कैटेगरी में रखा जाता है। डेफर्ड और इमीडिएट...
डेफर्ड एन्युटी
डेफर्ड एन्युटी (Deferred Annuity) के लिए जरूरी है कि पहले आप एक कॉर्पस बनाएं. इस कॉर्पस से आप रिटायरमेंट के समय एन्युटी ख़रीद सकते हैं. ज़्यादातर बीमा कंपनियां पेशन प्लान बेचती हैं. लोग काम करते हुए पेंशन प्लान में निवेश करते हैं. जब पेंशन प्लान का समय समाप्त हो जाता है तो इससे जुटाई गई रक़म से आप एन्युटी ख़रीदते हैं. अगर आपने कॉर्पस बनाने के लिए किसी बीमा कंपनी के पेंशन प्लान में निवेश किया है तो आपको रिटायरमेंट के समय पेंशन प्लान से मिलने वाली रक़म का कम से कम एक तिहाई हिस्सा एन्युटी में निवेश करना होगा.
इमीडिएट एन्युटी
इमीडिएट एन्युटी (immediate annuity) का मतलब है कि आप लंबे समय तक हर साल प्रीमियम देने के बजाए एकमुश्त रक़म चुकाते हैं. इसके बाद इमीडिएट एन्युटी आपको नियमित तौर पर गारंटीड रक़म देती है. आम तौर पर रिटायर होने जा रहे लोग इमीडिएट एन्युटी ख़रीदते हैं. इससे उनको तुरंत हर माह एक तय रक़म मिलने लगती है.
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एन्युटी के फ़ायदे
सुरक्षा का अहसास
एन्युटी आपको ये भरोसा दिलाती है कि आपकी ज़िंदगी भर हर माह एक तय रक़म मिलती रहेगी. ये काम बीमा कंपनी का है कि वो ये सुनिश्चित करे कि आपको जीवन भर एक हर माह एक तय इनकम मिलती रहे. इसके लिए आपको चिंता नहीं करनी होती है. आप यह तय कर सकते हैं कि आपको रक़म हर माह चाहिए, हर तीन माह पर चाहिए, हर छह माह पर चाहिए या सालाना चाहिए.
रीइन्वेस्टमेंट का जोख़िम नहीं
एन्युटी का सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि येह रीइन्वेस्टमेंट का जोख़िम ख़त्म करती है. कम अवधि के निवेश के विकल्प जैसे पोस्ट ऑफिस मंथली स्कीम में रीइन्वेस्टमेंट का जोख़िम रहता है. लेकिन जब आप एक बार एन्युटी में निवेश कर देते हैं तो उसी रेट पर जीवन भर ब्याज मिलता है।
निवेश की कोई सीमा नहीं
सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम और पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्क़ीम में निवेश की सीमा होती है. एन्युटी में निवेश की कोई सीमा नहीं होती है. आप कितनी भी रक़म एन्युटी में निवेश कर सकते हैं.
एन्युटी के नुक़सान
एन्युटी एक गारंटीड रक़म मुहैया करा कर रिटायर हो चुके लोगों को सुरक्षा और स्थिरता देती है. लेकिन इसके कई नुक़सान भी हैं।
ज़रूरत पर नहीं मिलेगी पूंजी
भारत में एन्युटी ज़्यादा लोकप्रिय नहीं है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि इसमें आपकी पूंजी फंस जाती है. अगर आपको अचानक पैसे की ज़रूरत पड़ जाती है तो आप यह पैसा हासिल नहीं कर सकते हैं. वहीं पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्क़ीम जैसे विकल्पों में हर छह साल के बाद निवेशक के पास उसका पैसा वापस आ जाता है.
रिटर्न कम होना
अगर दूसरे उत्पादों से तुलना करें आप पाएंगे कि एन्युटी में सालाना रिटर्न ख़ास आकर्षक नहीं है. आम तौर पर एन्युटी में सालाना 6.4-7.5 फ़ीसदी रिटर्न ही मिलता है. एक तरह से देखें तो एन्युटी सबसे कम रिटर्न देते हैं. सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्क़ीम जैसे दूसरे विकल्प मौजूदा समय में ख़ासा ज़्यादा रिटर्न दे रहे हैं.
नहीं कर सकती महंगाई का मुकाबला
एन्युटी का एक और नुकसान ये है कि ये महंगाई का मुकाबला नहीं कर पाती है. आपके रिटायरमेंट के बाद भी क़ीमतें बढ़ती रहेंगी. इसलिए, आपको रिटायरमेंट प्लानिंग में महंगाई के असर को शामिल करना होगा. उदाहरण के लिए, मान लेते हैं कि 60 साल की उम्र में आपके मासिक खर्च के लिए ₹30,000 पर्याप्त होते हैं. महंगाई की वजह से 80 साल की उम्र में आपको मासिक ख़र्च के लिए ₹1,16,090 की जरूरत होगी. इस उदाहरण में महंगाई दर 7 फ़ीसदी मानी गई है. लेकिन एन्युटी आपको एक तय रक़म देती है. ऐसे में रिटायरमेंट के 15 -20 साल बाद एन्युटी की रक़म आपके मासिक ख़र्च को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी.
समय से पहले नहीं निकाल सकते पैसा
एन्युटी में प्रीमेच्योर विदड्ऱल नहीं कर सकते यानी समय से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं. वहीं, सीनियर सिटीजंस सेविंग स्क़ीम और पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम में पेनल्टी के साथ आप समय से पहले भी पैसा निकाल सकते हैं. अगर आप अपनी पूंजी को ज़रूरत पड़ने पर निकालना चाहते हैं तो आपके लिए एन्युटी सही विकल्प नहीं है.
साधारण ब्याज
सीनियर सिटीजंस सेविंग जैसी स्क़ीम्स जहां आपके ब्याज को हर तिमाही कंपाउंड करती हैं, वहीं एन्युटी आपको साधारण ब्याज देती है.
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क्या आपको एन्युटी में निवेश करना चाहिए?
अगर आपको लगता है कि रिटायरमेंट के दौरान आपकी बचत कम पड़ सकती है या आपको बड़ी रक़म की ज़रूरत पड़ सकती है तो आप एन्युटी प्लान लेकर दिक्कत में फंस सकते हैं. हालांकि अगर आपने रिटायरमेंट के लिए बड़ी रक़म जुटाई है और आपको ऐसा नहीं लगता है कि ये रक़म आपके जीवन में कम पड़ सकती है तो आपके लिए एन्युटी प्लान ठीक है. दरअसल, ये आपको रेगुलर इनकम मुहैया कराती है. इसमें कोई जोख़िम भी नहीं है.
रिटायर्ड लोगों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के टिप्स
सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखें
एक निवेशक के लिए डायवर्सिफ़िकेशन बहुत ज़रूरी है. यानी अपनी पूरी रक़म एक ही जगह पर न लगाएं. इसी तरह से एक रिटायर्ड व्यक्ति के ज़रूरी है कि अपनी सारी बचत को एन्युटी में न लगाएं.
मजबूत बीमा कंपनी से ही ख़रीदें एन्युटी प्लान
एन्युटी का करोबार एक लंबी अवधि की व्यवस्था के तहत होता है. आपको मजबूत वित्तीय स्थिति वाली कंपनी से ही एन्युटी प्लान लेना चाहिए.
इमरजेंसी फ़ंड बनाएं
आपको कुछ रक़म आपात जरूरतों या अप्रत्याशित ख़र्च के लिए ज़रूर रखनी चाहिए.
महंगाई से लड़ना ज़रूरी
अगर आप सिर्फ एन्युटी प्लान जैसे निवेश के पारंपरिक विकल्पों में निवेश करते हैं तो आप महंगाई से नहीं लड़ पाएंगे. लंबी अवधि में इक्विटी में किया गया निवेश ऊंचा रिटर्न दे सकता है. इस तरह से आप महंगाई के असर का मुकाबला आसानी से कर सकते हैं.
सोच समझ कर ख़रीदें एन्युटी प्लान
आपके लिए जरूरी है कि एन्युटी प्लान लेने से पहले उसकी शर्तों को ठीक से समझ लें. एक बार आपने दस्तखत कर दिए तो एन्युटी प्लान की शर्तों में बदलाव संभव नहीं है.
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