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स्टॉक से ज़्यादा मुनाफ़ा पाने के वॉरेन बफ़े के तरीक़े

इन्वेस्टमेंट का ये लेजेंड कैसे तय करता है कि कोई कंपनी अगले 5-10 साल में कहां होगी

स्टॉक से ज़्यादा मुनाफ़ा पाने के वॉरेन बफ़े के तरीक़े

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लंबे समय के लिए और अच्छी कंपनियों में निवेश करने वाले आमतौर पर फ़ायदे में रहते हैं. लेकिन, निवेश से पहले कम ही निवेशक ये सोचते हैं कि कंपनी के प्रोडक्ट की लंबे समय में मांग कैसी रहेगी और उसके शेयरों के रिटर्न पर इसका क्‍या असर होगा. दुनिया के महान निवेशकों में शुमार वॉरेन बफ़े (warren buffett) का निवेश को लेकर नज़रिया काफ़ी हद तक इस बात से तय होता है कि उनकी चुनी हुई कंपनी अगले 5 से 10 साल में कहां होगी. हम यहां बता रहे हैं कि वॉरेन बफे़ के तरीक़े से आप किस तरह से ज़्यादा रिटर्न पाया जा सकता है.

टिकाऊ होना ज़रूरी है

निवेश से पहले,बफ़े इस बात पर काफ़ी जोर देते हैं कि कंपनी टिकाऊ हो, और दशकों से एक ही तरह का काम करती आ रही हो. उनका मानना है कि कंपनियां दशकों तक चलने के दौरान, ग्राहकों के मन में अपनी साख बना लेती हैं. बफ़े इसे और स्‍पष्‍ट करते हुए कहते हैं कि आमतौर पर, वो कंपनियां सबसे अच्छा रिटर्न पाती हैं, जो आज भी उसी तरह का काम कर रहीं है, जैसे 5 या 10 साल पहले किया करती थीं.

बड़े बदलाव - बड़ी ग़लती

अगर कोई कंपनी अपने काम में बड़े बदलाव करती है, तो बड़ी ग़लतियों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

बफ़े के मुताबिक़, इसका ये मतलब नहीं कि कंपनी का मैनेजमेंट अपने काम से संतुष्‍ट हो जाए, और इसे, ज़्यादा बेहतर करने या आगे बढ़ाने की कोशिशें ही न करे. इसके बजाए उनका मानना है कि सर्विस, प्रोडक्ट, मैन्‍युफ़ैक्‍चरिंग और टेक्नोलॉजी को, बेहतर बनाने की गुंजाइश हमेशा होती है. हालांकि, बफे़े ऐसी कंपनियों को लेकर चिंतित रहते हैं, जो अपने कोर बिज़नस में बड़े बदलाव करती हैं. बफ़े मानते हैं कि कंपनियों को अपने क़ारोबार के ज़रिये मज़बूत साख बनानी चाहिए, जो उनको लगातार ऊंचा रिटर्न दे सके.

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नज़र भविष्‍य पर

एक निवेशक के तौर पर, हमें ख़ुद को इस बात को समझने लायक़ बनाना चाहिए कि कंपनी अगले 5 या 10 साल में कैसा प्रदर्शन करेगी. ऐसे कई के अहम विषय हैं जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते, और इसलिए हम इनके बारे में सोचते ही नहीं हैं. दुनिया में क़ारोबार या प्रतिस्‍पर्धा को लेकर अगले 10 साल में क्या होगा, इसे लेकर हमारा एक नज़रिया होता है. हालांकि, ये ज़रूरी नहीं कि हमारी नज़रिया सही हो.

हम अक्‍सर सोचते हैं कि कोका कोला अगले 10 साल में कैसा करेगा या जिलेट अगले 10 साल में कहां होगी. या अगले 10 साल में डिज़्नी का प्रदर्शन कैसा होगा. हमें लगता है कि हम इस बारे में सब समझते और जानते हैं. पर ये सच नहीं.

दरअसल, हम इन चीज़ों के बारे में काफ़ी ज़्यादा सोचते हैं. हम इनके बारे में सही आकलन भी करना चाहते हैं. अगर हम इन चीज़ों का सही आकलन कर भी लेते हैं, तब भी इसका ये मतलब नहीं कि दूसरे फ़ैक्टर ज़्यादा अहमियत नहीं रखते. हमें याद रखना चाहिए कि हम सभी बातों को ध्यान में नहीं रख सकते.

इसी की एक मिसाल

ये उदाहरण अक़्सर दिया जाता है कि कोका कोला ने साल 1919 में ख़ुद को शेयर बाज़ार में लिस्‍ट कराया. और शुरुआत में एक शेयर की क़ीमत 40 डॉलर थी. पहले साल इसमें 50 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई. साल के अंत में कोका कोला के शेयर की क़ीमत गिरकर 19 डॉलर रह गई. उस समय कंपनी के बॉटलर कांट्रैक्‍ट में कुछ दिक़्क़तें थीं. कुछ दूसरी मुश्किलें भी थीं. अगर आप दूरदर्शी होते, तो आप देख सकते कि समाज में मौजूदा व्‍यवस्‍था पर अक़्सर सवाल उठते रहते हैं और आप दुनिया की भयावह मंदी यानी गेट्रेस्‍ट डिप्रेशन का अंदाजा लगा सकते थे. आप दूसरे विश्‍व युद्ध के बारे में अनुमान लगा सकते थे. और इन वजहों से कोका कोला के शेयर ख़रीदने की योजना को टालने का फ़ैसला कर सकते थे.

लेकिन अहम बात ये है कि आपको इन चीज़ों पर ग़ौर नहीं करना चाहिए. ज़रूरी ये देखना था कि कोका कोला इस साल, हर रोज़ 1 अरब कोल्‍ड ड्रिंक बेचने जा रही है. और अगर कोई कंपनी दुनिया भर में रोज़ एक अरब लोगों को ख़ुश कर सकती है, तो ऐसा करते हुए वो ज़रूर कुछ पैसा बनाएगी. ऐसे में कोका कोला के शेयर की क़ीमत 40 डॉलर से बढ़कर अब 5 मिलियन डॉलर से ज़्यादा होनी चाहिए. ऐसे में आपको निश्चित तौर पर निवेश से पहले कंपनी के फ़्यूचर पर ध्‍यान देना चाहिए.

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