क्या आप एंट्रॉपी (entropy) के कॉन्सेप्ट के बारे में जानते हैं? मुझे लगता है आप में से बहुत से लोगों ने इसके बारे में सुना तो होगा, मगर विज्ञान के संदर्भ में. डिक्शनरी कहती है कि ये 'किसी सिस्टम की अव्यवस्था का माप' है. सुनने में ये विज्ञान की बात ही लगती है और इसमें किसी प्रैक्टिकल नज़रिए से दिलचस्पी लेना आपके और मेरे लिए आसान नहीं लगता.
हालांकि, इसे लेकर मेरे विचार तब बदले, जब हाल ही में, मैंने फ़ार्नम स्ट्रीट वेबसाइट पर (fs.blog) एक बहुत बढ़िया ब्लॉग पोस्ट पढ़ा. ये ब्लॉग मुझे बहुत पसंद है और मैं इसके बारे में पहले भी लिख चुका हूं कि कैसे fs.blog ख़ुद को 'ब्रेन फ़ूड' के तौर पर परिभाषित करता है. ये एक ऑनलाइन पब्लिकेशन है, जिसका नाम उस सड़क के नाम पर रखा गया है जिस पर अमेरिका के छोटे से शहर ओमाहा में, बर्कशायर हैथवे का हेडक्वार्टर है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि ये ब्लॉग सिर्फ़ निवेश या वॉरेन बफ़े के बारे में ही है. पर, जो भी इसे पढ़ेगा वो ये ज़रूर नोटिस करेगा कि इन दोनों में एक तरह का कनेक्शन है. इस ब्लॉग के विचार, बफ़े और उनके डेप्युटी की इन्वेस्टमेंट अप्रोच से जुड़े हुए लगते हैं. दरअसल इन दोनों की थीम एक जैसी नज़र आती है.
इसमें एक पोस्ट शेन पार्रिश की है, जो इस वेबसाइट चलाते हैं और उनकी ये पोस्ट एंट्रॉपी पर लिखी गई है. उनके शब्दों में, "सभी चीज़ें अव्यवस्था (disorder) की ओर बढ़ती हैं... अगर इसे नियंत्रित न किया जाए, तो ये अव्यवस्था समय के साथ बढ़ती ही जाती है. ऊर्जा बिखर जाती है, और सिस्टम अराजकता (chaos) में समा जाते हैं..."
वो एक अहम बात समझा रहे हैं, और ये मैं पहले नहीं समझ पाया था कि ज़्यादा एंट्रॉपी या अराजकता की तरफ़ बढ़ने का स्वभाव, एक सांख्यिकीय घटना (statestical phenomenon) है. इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि एंट्रॉपी, किसी ख़ास व्यक्ति या घटना से पैदा होने के बजाए, बहुत सारी घटनाओं के व्यवहार को मिला कर पैदा होती है. चीज़ें बेतरतीब (random) तरीक़े से घटती हैं, और बहुत सारी बेतरतीब घटनाएं व्यवस्था (order) के बजाय अव्यवस्था (disorder) की ओर ले जाती हैं.
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अगर हम पर्सनल फ़ाइनांस और निवेश को देखें, तो उसमें भी अच्छी के बजाए बुरी घटनाएं कहीं ज़्यादा होती है. इसलिए, सिर्फ़ चांस के आधार पर कुछ सही होने के बजाए कुछ बुरा होने की संभावना कहीं ज़्यादा होती है. निवेश में भी, बिना प्लानिंग, बिना मॉनिटरिंग और बिना एक्शन लिए फाइनांस के अव्यवस्था की तरफ़ मुड़ने की संभावना कहीं ज़्यादा होती है. जैसे, बिना देख-रेख के किसी कमरे के अस्तव्यस्त होने की संभावना कहीं ज़्यादा होती है, ठीक वैसे ही, जैसे एक निवेश पोर्टफ़ोलियो पर अगर ध्यान न दिया जाए, तो वो भी अव्यवस्थित हो सकता है. इसके लिए किसी एक घटना को ज़िम्मेदार ठहराने का कोई फ़ायदा नहीं.
अव्यवस्था की संभावना पर fs.blog कहता है: अणुओं की हर एक संभावित "उपयोगी रूप से व्यवस्थित" स्थिति के लिए, कई और ज़्यादा संभावित "अव्यवस्थित" स्थितियां होती हैं. जिस तरह से ऊर्जा कम उपयोगी से ज़्यादा अव्यवस्था की ओर जाती है, उसी तरह आमतौर पर बिज़नस और संगठनों में भी ऐसा ही होता है. अणुओं - या बिज़नस के सिस्टम और लोगों - को "व्यवस्थित" स्थिति में दोबारा लाने के लिए बाहरी ऊर्जा के इंजेक्शन की ज़रूरत होती है.
अब इसी बात को निवेश पर लागू कर दीजिए. जिस तरह से अणुओं की क्रमबद्ध अवस्थाओं की तुलना में काफ़ी ज़्यादा अव्यवस्थित स्थितियां होती हैं, उसी तरह निवेश में भी साफ़-साफ़ समझ आने वाली और पहले से अनुमान लगाने वाले पैटर्न की तुलना में कहीं ज़्यादा अप्रत्याशित घटनाएं, बाज़ार की गतिविधियां और संभावित नुक़सान होते हैं. इसका मतलब हुआ कि निवेश की प्रकृति अनिश्चितता और अस्थिरता की बनी रहती है, जिसमें बदलाव लाने के लिए कई वजहें काम करती है. जिस तरह से ऊर्जा स्वाभाविक रूप से एक अव्यवस्थित स्थिति की ओर बढ़ती है, उसी तरह से अगर हस्तक्षेप नहीं किया जाए, तो निवेश भी ख़राब प्रदर्शन की ओर बढ़ सकता है. ये अलग-अलग कारणों से हो सकता है, जैसे इंडस्ट्री में बदलाव, मैनेजमेंट से जुड़ी समस्याएं, वैश्विक आर्थिक बदलाव और अचानक होने वाली घटनाएं. जिस तरह अणुओं को एक व्यवस्थित स्थिति में रखने के लिए बाहरी ऊर्जा चाहिए, उसी तरह मनचाहा लक्ष्य पाने के लिए निवेश पर लगातार नज़र रखने, विश्लेषण करने, और एक्शन लेने की ज़रूरत होती है.
सरसरी तौर पर देखने से लगता है कि यहां बहुत सा एक्शन लेने की बात हो रही है. पर, असल में, ये सिर्फ़ आंख और कान खुले रखने की बात है और कम से कम एक्शन लिए जाने की बात है. जहां ट्रेडर या पंटर जैसे लोग बहुत सा एक्शन लेने वालों में से होते हैं, वहीं म्यूचुअल फ़ंड निवेशक बहुत कम एक्शन लेते हैं, और चीज़ों को उनके हाल पर छोड़ देते हैं. निवेश पर कोई ध्यान न देना कैसे आपको बोनांज़ा दे सकता है इस तरह की कुछ छिटपुट दिलचस्प लगने वाली बातों को छोड़ दें, तो निवेश पर ध्यान नहीं देने का नतीजा ख़राब रिटर्न और निवेश के मौक़ों से चूकने का ही होता है.
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