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APL Apollo: 5 साल में 10 गुना

दिलचस्प ये है कि स्ट्रक्चरल स्टील पाइप बनाने वाली कंपनी के शेयर में अचानक रैली नहीं आई है.

APL Apollo: 5 साल में 10 गुना

APL Apollo Share Price: स्ट्रक्चरल स्टील पाइप (जो कंस्ट्रक्शन मटीरियल में इस्तेमाल होते हैं) बनाने वाली कंपनी APL अपोलो ट्यूब्स के शेयर की दमदार उड़ान जारी है. ये स्टॉक पिछले पांच साल में 10 गुना से ज़्यादा बढ़ चुका है.

APL Apollo: 5 साल में 10 गुना की उड़ान?

दिलचस्प बात ये है कि ये रैली कोई अचानक नहीं आई है. कंपनी का परफ़ॉरमेंस उसके शेयर की बढ़ती वैल्यू के मुताबिक़ रहा है. पिछले पांच साल के दौरान, इसके सेल्स और नेट प्रॉफ़िट में सालाना, क्रमशः 24.8 और 32.3 फ़ीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली. पांच साल के दौरान 23.5 फ़ीसदी के औसत ROE के साथ इसकी कैपिटल इफ़िशिएंसी भी प्रभावित करने वाली रही है.

रेवेन्यू और प्रॉफ़िट में दिखी अच्छी ग्रोथ

फ़ाइनेंशियल ईयर 2022 कंपनी के लिए ज़्यादा ही ख़ास रहा है

साल रेवेन्यू (करोड़ ₹) PAT (करोड़ ₹) ROE (%)
FY18 5335 158 20.7
FY19 7152 148 16.6
FY20 7723 238 22.2
FY21 8500 360 26.8
FY22 13063 619 29.9
FY23 16166 642 23.5
5 साल की ग्रोथ (%) 24.8 32.3
PAT यानी प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स
ROE यानी रिटर्न ऑन इक्विटी

यहां, इस स्टील पाइप बनाने वाली कंपनी के स्टॉक की शानदार रैली के पीछे की मुख्य वजह बताई जा रही हैं.

स्टील ट्यूब इस्तेमाल बढ़ा

ऐतिहासिक रूप से, भारत में मुख्य रूप से फ़्यूल और गैस के परिवहन के लिए स्टील ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था. पश्चिमी देशों से उलट, भारतीय बुनियादी ढांचे के लिए स्ट्रक्चरल स्टील के बजाय कंक्रीट को प्राथमिकता देते रहे हैं. इसकी वजह आंशिक तौर पर पुराना चलन, और कंक्रीट स्ट्रक्चर की तुलना में स्टील स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए ज़्यादा कुशल लेबर की ज़रूरत थी.

हालांकि, बढ़ते शहरीकरण और जनसंख्या घनत्व के चलते ऊंचे स्ट्रक्चर यानी ऊंची-ऊंची इमारतों की मांग में बढ़ोतरी हुई है, जो मुख्य रूप से स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल करके बनाई गई हैं. स्ट्रक्चरल स्टील ट्यूब के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के कारण, APL अपोलो को इस बढ़ती मांग से काफ़ी फ़ायदा हुआ है, जो पिछले कुछ वर्षों में इसकी बढ़ती सेल्स में झलकता है.

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कम लागत का फ़ायदा

APL अपोलो का भारत के कुल स्टील की खपत में लगभग 2 फ़ीसदी हिस्सेदारी है. इससे उसे अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों पर बढ़त मिलती है, क्योंकि ये अपनी ज़्यादातर प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफ़ी ज़्यादा मात्रा में कच्चे माल की ख़रीद करती है, और इस तरह उसे कॉस्ट के मामले में बढ़त मिलती है. इसके अलावा, कंपनी ऑपरेटिंग इफ़िशिएंसी में सुधार के लिए नई टेक्नोलॉजीज़ को अपनाने में आगे रही है. मिसाल के तौर पर, ये उद्योग में डायरेक्ट फ़ॉर्मिंग टेक्नोलॉजी (direct forming technology) को अपनाने वाली पहली कंपनी थी, जिससे मैन्युफ़ेक्चरिंग तेज़ हो जाती है. इससे कंपनी ऊंचे मार्जिन वाले छोटे ऑर्डर पूरा करने में सक्षम हुई है और उसकी कुल कॉस्ट इफ़िशिएंसी बेहतर हुई है.

इसके अलावा, उत्तर, पश्चिम, दक्षिण और मध्य भारत में स्थित संयंत्रों के साथ पूरे भारत में इसकी मौजूदगी ने इसके माल ढुलाई की कम लागत कम की है, जिससे इस कंपनी को अतिरिक्त फ़ायदा मिला है.

सावधानी भी ज़रूरी है

ये ध्यान रखें कि ये हमारी स्टॉक रेकमंडेशन नहीं है. हमने हमेशा दोहराया है कि आपको सिर्फ़ पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेश नहीं करना चाहिए. वैल्युएशन, भविष्य में ग्रोथ की संभावनाओं आदि पर भी विचार किया जाना चाहिए. मिसाल के तौर पर, इस समय स्टॉक 65 गुना P/E पर क़ारोबार कर रहा है, जो इसके पांच साल के औसत, 35 गुने के P/E से काफ़ी ज़्यादा है.

इसके अलावा, भारी पूंजी वाले उद्योग के रूप में, पर्याप्त ऋण बढ़ने का जोख़िम लगातार बना रहता है. हालांकि कंपनी की वित्तीय स्थिति इस क्षेत्र की दूसरी कंपनियों की तुलना में मज़बूत है, लेकिन बिज़नस के स्वभाव के चलते, कंपनी पर कर्ज बढ़ सकता है. इसके साथ ही, स्टील की क़ीमतों में उतार-चढ़ाव का ख़तरा लगातार बना रहता है.

संक्षेप में कहें, तो निवेश करने से पहले हमेशा पर्याप्त जानकारियां जुटाने की ज़रूरत होती है.

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