Auto Components Stocks: हाल के महीनों में स्टॉक्स में आई रैली हो या सेल्स में बढ़ोतरी की बात, इन दिनों ऑटो कंपनियां ख़ासी सुर्खियों में हैं. यही वजह है कि फ़ाइनेशियल ईयर 2023 ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री के लिए यादगार रहा है. सालाना आधार पर इंडस्ट्री का कुल रेवेन्यू लगभग 33 फ़ीसदी की ग्रोथ के साथ ₹5.6 लाख करोड़ के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है.
₹10,000 करोड़ से ज़्यादा मार्केट कैपिटलाइज़ेशन वाले ऑटो पार्ट मैन्युफ़ैक्चरर्स के रेवेन्यू में डबल डिजिट ग्रोथ के साथ, चौतरफ़ा रौनक देखने को मिली है. मार्जिन बढ़ने से प्रॉफ़िटेबिलिटी में भी काफ़ी सुधार देखा गया.
ऑटो कम्पोनेंट इंडस्ट्री के सितारे
इस लिस्ट में शामिल कंपनियों ने फ़ाइनेंशियल ईयर 2023 में रेवेन्यू में डबल डिजिट ग्रोथ हासिल की है
कंपनी | मार्केट कैप (करोड़ ₹) | रेवेन्यू ग्रोथ (%) | PAT ग्रोथ (%) | शेयर का एक साल का रिटर्न (%) |
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रामकृष्ण फोर्जिंग्स | 10492 | 37.9 | 25.3 | 256.4 |
ZF कमर्शियल व्हीकल | 24714 | 35.4 | 123.6 | 33.1 |
UNO मिंडा | 33947 | 35.2 | 83.7 | 4.9 |
टिमकेन इंडिया | 24101 | 27.4 | 19.5 | 8.8 |
बॉश | 53889 | 26.7 | 17 | 6.2 |
क्यूमिंस इंडिया | 47501 | 25.9 | 31.5 | 43 |
सोना BLW प्रिसीसन | 34332 | 25.8 | 9.3 | 12 |
संवर्धन मदरसन | 64972 | 23.6 | 71.3 | 15.2 |
CIE ऑटोमोटिव इंडिया | 19177 | 22.4 | -103.4 | 85.7 |
स्कॉफ्लर इंडिया | 47180 | 20.3 | 28 | 0 |
प्राइस डेटा 26 अगस्त, 2023 तक का है |
आइए बारीक़ी से देखते हैं और इस ग्रोथ के पीछे की वजह तलाशते हैं.
ज़्यादा कारों को ज़्यादा कम्पोनेंट की ज़रूरत
फ़ाइनेंशियल ईयर 2023 में पैसेंजर कारों (passenger car) का उत्पादन पहली बार 45 लाख यूनिट को पार कर गया. हल्के वाहन सेगमेंट (light vehicle segment) ने भी ग्रोथ में अहम योगदान दिया. इलेक्ट्रिक कारों ने भी 10 लाख यूनिट का आंकड़ा छू लिया, जिससे ऑटो पार्ट्स की मांग बढ़ गई.
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बढ़ता निर्यात
चीन प्लस वन नीति (China plus one policy) ने ऑटो पार्ट्स की ज़्यादातर वैश्विक मांग को चीन से भारत की ओर मोड़ दिया है. नतीजतन, फ़ाइनेशियल ईयर 2023 में भारतीय निर्यात में साल-दर-साल 5.2 फ़ीसदी का उछाल आया.
प्रीमियम कारों का चलन
कार के लिए उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएं बदल रही हैं. SUVs और दूसरी प्रीमियम कारों की रिकॉर्ड मांग देखी जा रही है, जो फ़ाइनेंशियल ईयर 2023 में सेगमेंट की सबसे ज़्यादा बिक्री से साफ़ दिखाई देता है. चूंकि SUV और प्रीमियम कार कम्पोनेंट में ज़्यादा मार्जिन होता है, इसलिए उपभोक्ताओं के रुझान में इस बदलाव से ऑटो पार्ट मैन्युफ़ैक्चरर्स के लिए मार्जिन में सुधार हुआ है.
आफ़्टर-मार्केट मांग बढ़ी
महामारी के बाद यूज़्ड कार सेगमेंट में मांग में उछाल के कारण स्पेयर पार्ट्स, एक्सेसरीज़ आदि, यानी आफ़्टर-मार्केट (aftermarket) की मांग बढ़ गई. इस बात का उल्लेख सोसाइटी ऑफ़ ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफ़ैक्चरर्स ऑफ़ इंडिया की एक प्रेस विज्ञप्ति में भी किया गया है. फ़ाइनेंशियल ईयर 2023 में
बॉश
(Bosch Share Price) और
यूनो मिंडा
(Uno Minda) जैसी कंपनियों की आफ़्टर-मार्केट बिक्री में 20 फ़ीसदी से ज़्यादा की रिकॉर्ड-तोड़ वृद्धि के साथ इस सेगमेंट में साल-दर-साल 15 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई.
आगे क्या होगा
डिस्पोज़ेबल इनकम के बढ़ने से और अर्थव्यवस्था में मज़बूती से, आने वाले कुछ समय तक ऑटोमोबाइल बिक्री में मौजूदा ग्रोथ बरक़रार रहनी चाहिए. इसके अलावा, हालिया रैली के बावजूद, ऑटोमोबाइल की बिक्री अभी भी महामारी से पहले के स्तर पर नहीं लौट सकी है. मांग में बढ़ोतरी के अलावा, कच्चे माल की क़ीमतों में भी कमी आनी शुरू हो गई है, जिससे इस सेगमेंट की ग्रोथ में और तेज़ होनी चाहिए.
हालांकि, सप्लाई चेन में बाधा, कच्चे माल की क़ीमतों में अस्थिरता और प्रतिकूल वैश्विक हालात का ख़तरा बना हुआ है.
हम आखिर में ये भी कहना चाहेंगे कि मौजूदा बढ़त (upscale) निवेश के लिए अकेला ट्रिगर नहीं होना चाहिए. निवेश करने से पहले अच्छी तरह सोच विचार और हर पहलू पर ग़ौर कर लेना चाहिए.
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