इन दिनों शेयर मार्केट में तेज़ी का दौर दिख रहा है. और, शेयर बाजार हो या म्यूचुअल फ़ंड, बार-बार अपना निवेश को बढ़ता हुआ देखकर ख़ुश होना लाज़िमी भी है. हालांकि, ऐसे लोगों की संख्या ज़्यादा नहीं है जिन्हें ये लगता है कि उन्होंने ही उसे निवेश के लिए चुना था.
इसके उलट, ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि एक बार फ़ंड निवेश (Mutual Fund Investment) करने के बाद उनके निवेश की देखभाल करने की जिम्मेदारी फ़ंड मैनेजर की हो जाती है. एक विचार के तौर पर इसमें कुछ ग़लत नहीं है. लेकिन इस रणनीति को अपनाना खतरनाक हो सकता है. आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों है?
फ़ंड मैनेजर के फ़ैसलों पर निर्भर करती है परफ़ॉरमेंस
एक फ़ंड ख़ास कर इक्विटी ओरिएंटेड फ़ंड का परफ़ॉरमेंस काफ़ी हद तक फ़ंड मैनेजर के फैसलों पर निर्भर करता है. ऐसे में अगर आपका फ़ंड मैनेजर फ़ंड छोड़ देता है तो निवेश की स्टाइल बदल सकती है और फ़ंड का प्रदर्शन गिर सकता है. ऐसे में आपको इस तरह के बदलाव होने पर ध्यान से फ़ंड के परफ़ॉरमेंस पर ग़ौर करना चाहिए और अगर फ़ंड का प्रदर्शन नाटकीय तौर पर बिगड़ जाता है तो आपको फ़ंड से निकल जाना चाहिए.
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परफ़ॉरमेंस पर कैसे रखें नज़र?
आप अपने फ़ंड के परफ़ॉरमेंस पर नज़र कैसे रखते हैं? सभी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां अपनी सालाना रिपोर्ट, छमाही रिपोर्ट और तिमाही फ़ैक्टशीट/ न्यूजलेटर मुहैया कराती हैं. इसके अलावा, AMFI की वेबसाइट के अलावा AMC की अपनी वेबसाइट पर भी दूसरी फ़ाइनेंशियल डिटेल के साथ स्कीम के NAV का पब्लिक डिस्क्लोजर होता है. NAV की जानकारी सिर्फ़ ये बताती है कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा है. ये बुनियादी तौर पर पोर्टफ़ोलियो डिस्क्लोजर है जिसका न्यूजलेटर और AMC की रिपोर्ट में पता चलता है. निवेशक की दिलचस्पी इसमें भी होनी चाहिए. इसके अलावा, आपको फ़ंड के अपने बेंचमार्क और उसके जैसे दूसरे फ़ंड्स के परफ़ॉरमेंस का आकलन करने की कोशिश करनी चाहिए.
फ़ंड से निकलने का फैसला आपको करना है
फ़ंड मैनजर आपको ये नहीं बताएगा कि फ़ंड से कब निकलना है? उपलब्ध जानकारियों के आधार पर आपको ख़ुद ही इसका फ़ैसला करना होगा. तो अपने फ़ंड के परफ़ॉरमेंस पर नज़र रखिए. कुल मिलाकर, ये आपका पैसा है और आपको ये जानना चाहिए कि फ़ंड इसके साथ क्या कर रहा है?
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