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ज़हर और दवा का फ़र्क़

आपके निवेश में डाइवर्सिफ़िकेशन की क्या मात्रा है? अगर ज़्यादा है तो क्यों वो ज़हर की तरह होगी और इस मुश्किल का कितना आसान हल है हमारे पास.

ज़हर और दवा का फ़र्क़

मेरे ख़याल से वो चार्ली मंगर थे जिन्होंने, हाल की सालाना बर्कशायर शेयरहोल्डर मीटिंग में, ‘diworsification’ शब्द का इस्तेमाल किया था, इस गढ़े हुए शब्द से उनका मतलब है, वो काम जो और भी ख़राब नतीजे दे. इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले पीटर लिंच ने अपनी क़िताब ‘वन अप इन वॉल स्ट्रीट’ में किया था. एक बार किसी ने मंगर को दुनिया का सबसे अमीर स्टैंड-अप कॉमेडियन कहा था, और मानना होगा कि जिस तरह से वो शब्दों का इस्तेमाल करते हैं उसमें न सिर्फ़ हास्य होता है, बल्कि निवेश की गहरी समझ भी भरपूर होती है.

चार्ली मंगर ने कहा था, “काफ़ी लोग सोचते हैं कि बजाए चार या पांच स्टॉक होने के, अगर उनके पास 100 स्टॉक हैं, तो वो ज़्यादा प्रोफ़ेशनल तरीक़े से निवेश कर रहे हैं. मैं इसे पागलपन समझता हूं. निरा पागलपन. मैं सोचता हूं कि बजाए 100 की तलाश करने के, पांच को ढ़ूंढना कहीं आसान है. मैं समझता हूं कि जो लोग इस तरह के डाइवर्सिफ़िकेशन (diversification) की बहस करते हैं, मैं उसे 'diworsification' (worse यानी बदतर) कहता हूं, जिसे मैंने किसी से लिया है. और मैं ऐसे दो या तीन स्टॉक रखने में ज़्यादा सहज हूं जिन्हें लेकर मुझे लगता है कि मैं उनके बारे में कुछ जानता हूं और जहां मुझे लगता है कि मुझे फायदा है.”

वैसे मंगर स्टॉक के बारे में बात कर रहे थे, और हम यहां म्यूचुअल फ़ंड्स की बात कर रहे हैं, मगर दोनों में एक ही सिद्धांत काम करता है. जब लोग सही तरीक़े से निवेश करना शुरू करते हैं, तब उन्हें एहसास होता है कि डाइवर्सिफ़िकेशन सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है. और हां, ये सही है. मगर जैसा कि कहा जाता है, ‘मात्रा ही ज़हर बनती है.’ और ये कहावत हर किसी ने सुनी होगी, “सारे अंडे एक ही टोकरी में मत रखो”. निवेश की दुनिया में, इसका अनुवाद होता है डाइवर्सिफ़िकेशन यानी पूंजी को अलग तरह के निवेशों में डालना – ये एक ऐसी अवधारणा है जिसे सार्वभौमिक तौर पर निवेशक फ़ायदेमंद मानते हैं. जो लोग म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करते हैं, वो आमतौर इसे एक या दो फ़ंड में निवेश करने के बजाए, अपने निवेशों को कई फ़ंड में फैलाना समझ लेते हैं.

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इससे वो समझने लगते हैं कि एक के बजाए दो फ़ंड में निवेश ज़्यादा फ़ायदेमंद है, दो से बेहतर तीन है, आदि, आदि. मगर इस ट्रेंड की सीमा क्या है? क्या 10 फ़ंड नौ से बेहतर होते हैं? 20वें के बारे में क्या ख़याल है? या 50वां या 100वां? कभी न कभी तो डाइवर्सिफ़िकेशन ऐसे प्वाइंट पर पहुंच जाएगा जो मुनाफ़े को कम कर देगा, जब वो घाटे का सौदा हो जाएगा और, आखिरकार, निरर्थक साबित हो जाएगा.

मैं काफ़ी समय से देख रहा हूं कि भारतीय म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों में, ख़राब वाला डाइवर्सिफ़िकेशन (Diworsification जिसे worse यानी बदतर के साथ जोड़ा गया है) एक आम समस्या है. और इसकी वजह तलाशना मुश्किल नहीं है. कई दशकों से, म्यूचुअल फ़ंड्स को बेचने का सिलसिला इस तरह से बना हुआ है कि ख़ुद इंडस्ट्री, यानी - बेचने वाले और AMCs - के लिए नए फ़ंड बेचना और ज़्यादा से ज़्यादा बेचते रहना ही सबसे फ़ायदे की बात होती है. ये कितनी बड़ी समस्या है इसे समझने के लिए, हाल ही में हमारी रिसर्च टीम ने कुछ नंबरों का जोड़-तोड़ किया.

निवेशकों को लगता है कि वो अपना पैसा कई फ़ंड्स में रख कर डाइवर्सिफ़िकेशन पा सकते हैं. ये सही भी है. हालांकि, एक प्वाइंट के बाद, ज़्यादा फ़ंड्स इकट्ठे करना डाइवर्सिफ़िकेशन नहीं बढ़ाता. म्यूचुअल फ़ंड्स कोई एक निवेश नहीं बल्कि एसेट्स की होल्डिंग हैं, जैसे कि इक्विटी फ़ंड्स के लिए स्टॉक होते हैं.

ज्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन इसलिए बेअसर हो जाता है क्योंकि एक जैसे फ़ंड, एक जैसे स्टॉक में निवेश करते हैं. इसलिए, एक बार ख़ास तरह के फ़ंड्स ले लेने पर, उसी तरह के दूसरे फ़ंड लेने से पोर्टफ़ोलियो में पहले से मौजूद एक ही जैसे स्टॉक बढ़ जाते हैं. ये डाइवर्सिफ़िकेशन नहीं है. चलिए एक बार और समझते हैं कि हम डाइवर्सिफ़ाई क्यों करते हैं. डाइवर्सिफ़िकेशन आपके सारे निवेशों को, कुछ निवेशों के ख़राब प्रदर्शन से बचाता है. अगर कोई ख़ास कंपनी या सेक्टर सामान्य बाज़ार की तुलना में ख़राब प्रदर्शन करता है, तो पैसे का छोटा सा हिस्सा ही इसमें लगा हो तो बेहतर रहता है.

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हालांकि, अगर डायवर्सिफ़िकेशन का एकमात्र नकारात्मक पक्ष ये है कि आपका रिटर्न थोड़ा कम हो जाता है. कोई इसे ग़लती भी समझ सकता है, लेकिन ये ऐसी ग़लती नहीं है जो भयानक कही जाए. मैंने देखा है कि इससे भी बड़ी समस्या वो है जिसकी बात चार्ली मंगर कर रहे हैं. वो कहते हैं कि एक बड़े पोर्टफ़ोलियो को ठीक से मैनेज करने के लिए जिस तरह का समय देने और दिमाग लगाने की ज़रूरत होती है, आप उसे नहीं समझ सकते. अगर आपके पास 20-30 या इससे ज़्यादा फ़ंड हैं, तो मैं गारंटी दे सकता हूं कि उनमें से कई फ़ंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, आपके फ़ाइनेंशियल गोल के लिए सही नहीं हैं और उन्हें बेहतर फ़ंड्स से बदला जा सकता है. इसके अलावा, आमतौर पर ऐसे पोर्टफ़ोलियो में बहुत सारे ऐसे फंड होते हैं जिनमें आपकी छोटी-छोटी होल्डिंग होती हैं, जो किसी काम की नहीं होती, लेकिन वहीं पड़ी रहती हैं.

अगर ये बात आप पर लागू होती है तो आपको दीवाली की जरूरत है. मेरा मतलब दीवाली के त्यौहार से नहीं, बल्कि उससे पहले होने वाली घर की सफ़ाई से है. सारा कचरा साफ़ करें और जो आपको चाहिए उसी पर ध्यान दें. अगर आप मेरी बात समझ गए हैं, तो आप इसे कैसे करना शुरू करेंगे? जैसा कि मुझे कहना पसंद है, यहीं काम आता है धनक प्रीमियम! आपकी समस्या के समाधान का हमारे पास बड़ा ही आसान तरीक़ा है.

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