Anand Kumar
A thousand ways to make $1000', यानी एक हज़ार डालर बनाने के हज़ार तरीक़े. क़िताब का ये शीर्षक कोई बहुत प्रभावी नहीं लगता. आख़िर इतनी सी रक़म के लिए एक क़िताब क्यों ख़रीदी जाए. दरअसल ये क़िताब 1936 में अमेरिका में पब्लिश हुई, और इसे उन युवाओं के लिए लिखी गई थी जिन्होंने ताज़ा-ताज़ा ज़िंदगी शुरू की हो. उन युवाओं के लिए जो नहीं जानते कि पैसे कैसे कमाए जाते हैं. इसे एफ़ सी मिनाकर (F C Minaker) ने लिखा था. आज इंटरनेट पर इनके बारे में कोई ख़ास जानकारी मौजूद नहीं है.
इस क़िताब में दिलचस्पी रखने वालों के लिए, इसकी सबसे बड़ी तारीफ़ ये होगी कि वॉरेन बफ़े ने इसे सात साल की उम्र में पढ़ा था! जब बफ़े अपने शहर में बड़े हो रहे थे, तो उन्हें नबंरों से और फ़ाइनांस से जुड़े विषयों में बड़ी दिलचस्पी थी. 2017 की HBO की डॉक्यूमेंटरी, "बिकमिंग वॉरेन बफ़े" (Becoming Warren Buffett) में याद करते हैं, "बचपन में, शायद तब मैं सात साल के आस-पास था, मैंने ये एक क़िताब बेनसन लाइब्रेरी से ली, जिसका नाम था 'वन थाउज़ेंड वेज़ टू मेक $1,000'."
कम उम्र के वॉरेन ने, न सिर्फ़ इस क़िताब को पढ़ा बल्कि इसे क़रीब-क़रीब रट लिया. क़िताब की शुरुआत में लिखा था, "इस काम का मक़सद बेरोज़गारों को अपनी स्थिति सुरक्षित करने में मदद करना है; ऐसे शख़्स जिनके पास कम साधन हैं उन्हें बिज़नस शुरू करने और दूसरों के लिए रोज़गार पैदा करने में सक्षम बनाना है; पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग तरह के बिज़नस आइडिया देना है जिससे वो सफल हो सकें; और कैपिटल लगा कर क़िस्मत बदलने की नई राहें सुझाना है." ये क़िताब आसान सलाहों का संकलन है कि पैसा कैसे बनाया जा सकता है, इसे आसान और बोलचाल की भाषा में लिखा गया है. ये ठीक वही है जिसका ज़िक्र क़िताब के शीर्षक में है. 2023 के परिप्रेक्ष्य में, ये एक टाइम कैप्सूल जैसी है, जो बताती है कि उस समय अमेरिकी उद्यमशीलता किस तरह की थी. क़िताब में दिए गए हजारों तरीक़ों में से कुछ सुझाव अजीब हैं, जैसे गायों का दूध दुहने के लिए एक मशीन बनाना: दो भाग की एक बाल्टी बनाएं, ऊपरी हिस्सा गाय से दूध दुहने के लिए होगा जबकि एक छलनी इसके निचले हिस्से को अलग करेगी. इस तरह, पहले से छना हुआ दूध सीधे बाड़े से बाहर आएगा.
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तो युवा वॉरेन ने इन सारी सलाहों का क्या किया? जिस चीज़ ने उन्हें सबसे ज़्यादा आकर्षित किया, वो नंबर 531 पर थी: पॉकेट स्केल, — ऐसा छोटा स्केल जो जेब में रखा जा सकता है और छोटी चीज़ों को तुंरत तौल सकता है, लगभग हर कोई इसे पसंद करेगा और इसे ख़रीदेगा. कम उम्र वॉरेन ने, दुनिया का पॉकेट स्केल टाइकून बनाने की कल्पना कर ली और छोटी-छोटी टेबल भी बनाई कि कैसे उसकी आमदनी कंपाउंड होती जाएगी, क्योंकि वो अपनी कमाई को और ज़्यादा पॉकेट स्केल ख़रीदने में लगा देगा! मगर एक बच्चे के लिए पॉकेट स्केल सिर्फ़ एक दिवास्वप्न था. असल में तो उन्होंने अखबार और कोका-कोला की डिलीवरी घर-घर करना शुरू कर दिया था.
मुझे लगता है कि ये क़िताब और युवा बफ़े पर इसका होने वाला असर, किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के बचपन की दिलचस्प कहानी से कहीं ज़्यादा बड़ी बात है. ऐसा लगता है कि उनके लिए कम उम्र में ही उद्यमशीलता को समझना बेशक़ीमती रहा. इतनी कम उम्र में क़िताब पढ़ने से बफ़े में उद्यमशीलता की भावना आई और इसी ने उनके बाद के जीवन में उनके इडस्ट्रियस या उद्यमशील होने के बीज बोए. इससे उन्हें एक व्यावहारिक सलाह मिली, जिसे उनका युवा दिमाग समझ सका. एक ऐसे शख़्स के तौर पर जिसने नंबरों का अनालेसिस करने में कई साल बिताए हैं, मैं, युवा बफ़े की एनेलिटिकल समझ से काफ़ी प्रभावित हूं. हर बच्चा दिवास्वप्न देखता है मगर प्रोजेक्शन टेबल बनाना और ये देखना कि आमदनी कैसे बढ़ेगी, एक ख़ास बात है.
आज हमारे लिए इसका क्या मतलब है? सबसे बड़ी सीख है जल्दी शुरुआत करना: जुनून और दिलचस्पी, अगर जल्दी पहचान ली जाए, तो जीवन भर सफलता की यात्रा तय की जा सकती है. पैसे कमाने को लेकर जो आइडिया बफ़े की शुरुआती ज़िंदगी में ही आ गए, उन्होंने उनके भविष्य को आकार दिया. और दूसरी सीख, जो उतनी ही महत्वपूर्ण है, काम को अंजाम देने या आइडिया पर अमल करने का महत्व. कई लोग क़िताबें पढ़ते हैं और दिवास्वप्न देखते हैं, मगर उस पर अमल करना अहम होता है. बफ़े ने सिर्फ़ व्यवसायों की कल्पना नहीं की थी; उन्होंने बचपन में ही उन पर काम शुरू कर दिया था. यहां असली कहानी क़िताब और सपने की नहीं, बल्कि विचार से अमल करने तक के सफ़र की है.
बहुत से लोग पैसा कमाते हैं, लेकिन कम ही लोग पैसा बचाते हैं, और उससे भी कहीं कम लोग निवेश करते हैं. और यही एक चीज़ सारा फ़र्क़ पैदा कर देती है.
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