म्यूचुअल फ़ंड मैनेजर बहुत से शेयरों में निवेश करते हैं. हालांकि, कुछ स्टॉक ऐसे हैं जो आपको लगभग हर इक्विटी फ़ंड में मिल जाएंगे. इस पर निवेश गुरु पीटर लिंच ने कहा था, "IBM में अपने कस्टमर का पैसा गंवाने पर आप अपनी नौकरी कभी नहीं गंवाएंगे," भारत की बात करें, तो आप IBM को HDFC बैंक , रिलायंस , ICICI बैंक से बदल सकते हैं.
ये कंपनियां कुछ साल तक कोई रिटर्न नहीं देतीं, मगर फिर भी, इस वजह से न तो फ़ंड मैनेजरों की नींद नहींं उड़ती है और आमतौर पर उनकी नौकरी भी नहीं जाती. अगर कोई फ़ंड मैनेजर इन्हें चुनता है, तो स्टॉक के चुनाव को लेकर उससे सवाल-जवाब भी नहीं होते. इसके उलट, अगर फ़ंड मैनेजर किसी और कंपनी में ऐसा निवेश करे, और उस निवेश का परफ़ॉर्मेंस ख़राब हो जाए, तो शायद उसकी कुर्सी खींच ली जाए.
इसलिए, हमने एक्टिवली मैनेज्ड डाइवर्सिफ़ाइड इक्विटी फ़ंड्स की पांच सबसे ज़्यादा स्वामित्व वाली कंपनियों पर नज़र डालने का फैसला किया. इसे और ज़्यादा दिलचस्प बनाने के लिए हमने केवल उन फ़ंड्स पर विचार किया, जिन्होंने अपने एसेट का 5 प्रतिशत से ज़्यादा इन कंपनियों में निवेश किया. इसमें हमने पाया:
सबके पसंदीदा स्टॉक्स
फिलहाल 249 एक्टिवली मैनेज्ड डाइवर्सिफाइड इक्विटी फ़ंड्स हैं
कंपनी | 5% से ज़्यादा निवेश करने वाले फ़ंड्स | निवेश करने वाले कुल फ़ंड्स |
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HDFC बैंक | 157 | 205 |
ICICI बैंक | 138 | 195 |
रिलायंस | 63 | 164 |
इंफ़ोसिस | 44 | 175 |
लार्सन एंड टुब्रो | 27 | 148 |
नोट: 31 जुलाई, 2023 तक का डेटा |
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वैसे ज़्यादातर म्यूचुअल फ़ंड्स ने अपने मज़बूत लॉन्ग-टर्म ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर 'फ़ेमस फ़ाइव' में निवेश किया है.
जैसा कि कहा गया है, इन 'फ़ेमस फ़ाइव' (इन पांच जानी-मानी कंपनियों में) कंपनियों में 5 प्रतिशत निवेश कोई बड़ा निवेश नहीं. क्यों? क्योंकि HDFC बैंक, ICICI बैंक और रिलायंस जैसी कंपनियां इंडेक्स में काफ़ी वेट रखती हैं, और निफ़्टी 50 इंडेक्स में इन कंपनियों का वेट, क्रमश: 14 फ़ीसदी, 7.9 फ़ीसदी और 9.8 फ़ीसदी है. इसलिए, इन कंपनियों में इतना निवेश करना बिल्कुल आम बात है.