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सबसे अच्छा फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र

क्या आप बेस्ट फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र की तलाश में हैं?

सबसे अच्छा फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र

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बात जब ऐसे फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र की तलाश की हो, जो आपको म्यूचुअल फ़ंड निवेश के लिए सबसे अच्छी तरह से गाइड कर सकता है, तो आप अपने एडवाइज़र में सबसे पहले क्या देखेंगे? सबसे स्मार्ट तरीक़ा तो ये होगा कि आप ये देखें कि आपका एडवाइज़र अपने पैसे किस तरह बनाता है. क्या वो उस फ़ंड कंपनी में पैसे लगाने के लिए कह रहा है जिसमें वो काम करता है? या जिसकी आपको फ़ीस देनी होगी? जब आप एक फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र चुन रहे होते हैं तो ये सवाल सबसे अहम होता है. इसका कारण समझना भी आसान है. एक कहावत है, "गवैया उसी के गीत गाता है जो उसे पैसे देता है." ठीक इसी तरह आपका एडवाइज़र उसी के फ़ायदे के लिए काम करता है जो उसे पैसे देता है.

पर्सनल फ़ाइनांस में फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र का चुनाव सबसे मुश्किल काम है. पर्सनल फ़ाइनांस से जुड़ी जितनी भी ई-मेल मिलती हैं, उनमें फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र को लेकर पूछी गई बातें मुझे सबसे मुश्किल लगती हैं. इस बात पर एक फ़िल्म का डायलॉग सही बैठता है — इस बात का पक्का जवाब है 'शायद'. असल में तो इसका जवाब इससे भी ज़्यादा मुश्किल है. निवेश के ज़्यादातर सवाल बचत करने वाले की ज़रूरत और निवेश के तरीक़े की ख़ूबियों-ख़ामियों के साथ मैच करके तय किए जा सकते हैं. मगर फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र की ज़रूरत का सवाल अलग है.

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हालांकि, हमारा पहला सिद्धांत हमें ये पता करने के लिए कहता है कि फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र को पैसे कौन दे रहा है, मगर इस क़िस्से में एक नए खिलाड़ी ने गड़बड़ कर दी है. अब मुश्किल ये है कि ज़्यादातर फ़िन-टेक कंपनियां इस मॉडल में फ़िट नहीं होतीं. अगर आप उनसे पूछेंगे कि उन्हें पैसे कौन देता है, तो जवाब होगा, इस तरह से तो उन्हें कोई पैसे नहीं देता, क्योंकि वो वेंचर-फ़ंड से चलती हैं. इनमें से क़रीब-क़रीब सभी को सीधे-सीधे प्लान पिच किए जाते हैं, यानी उन्हें न तो कमीशन मिलते हैं और न ही वो कोई फ़ीस भी चार्ज करते हैं. अब अगर इन गवैयों को कोई पैसे नहीं देता, तो ये किसके गीत गाते हैं?

एडवाइज़र के चुनाव में एक मुश्किल ये भी है कि एक ख़राब एडवाइज़र आपके निवेश पर कोई असर नहीं डालता ऐसा नहीं है, बल्कि वो नकारात्मक असर डालता ही डालता है. ये एक आम समस्या है, और सिर्फ़ भारत की ही समस्या नहीं है. कुछ वक़्त पहले, मैंने Bloomberg.com के अमेरिकी एडिशन में एक लेख में पढ़ा था जिसमें कुछ लोगों ने अपने फ़ाइनेंस के लिए प्रोफ़ेशनल फ़ाइनेंशियल एडवाइज़रों की सर्विस का इस्तेमाल किया और इससे उन्हें बड़ा नुक़सान पहुंचा. एक ख़ास स्टडी में, कुछ रिसर्च करने वालों ने क्लायंट के तौर पर ख़ुद को पेश किया और वो अपने मौजूदा निवेशों में सुधार के लिए फ़ाइनेंशियल एडवाइज़रों के पास पहुंचे. ये निवेश हर मायने में सही निवेश थे, यानी ये सस्ते थे और इनका पोर्टफ़ोलियो अच्छे से डाइवर्सिफ़ाइड था. पर, फ़ाइनेंशियल एडवाइज़रों ने इनमें से 85 फ़ीसदी लोगों को अपने पोर्टफ़ोलियो में बदलाव के लिए कहा और उनके सुझाए गए ये बदलाव, सीधे तौर पर ख़राब थे, और इन एडवाइज़रों को ज़्यादा कमीशन देने वाले थे.

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भारत में, फ़ाइनेंशियल इंटरमीडियेरी के लिए कई रेग्युलेशन मौजूद हैं, मगर इसके बावजूद फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र अपने फ़ायदे के लिए ही काम करते दिखाई देते हैं. निवेश चाहे किसी भी क़िस्म का हो—इंश्योरेंस, म्यूचुअल फ़ंड, या स्टॉक—एडवाइज़रों का व्यवहार मुख्य तौर पर अपने इंसेटिव को ध्यान में रख कर किया जाता है. हर सेक्टर में काफ़ी रेग्युलेशन हैं, मगर बुरी सलाह को रोकने में ये पूरी तरह से नाक़ाम लगते हैं. इसका कारण साफ़ है: कोई भी फ़ाइनेशियल प्रोडक्ट बचत करने वालों या निवेशकों के हितों से मेल नहीं खाता. बेचने वाले (व्यक्ति और संस्थाएं दोनों) ख़रीदने बेचने के लेन-देन से ही मुनाफ़ा कमाते हैं, वहीं बचत करने वाले अपने पसंद के निवेश के सही साबित होने पर समय के साथ फ़ायदा पाते हैं.

जैसा कि मैंने पहले कहा, ये आसानी से सुलझने वाली समस्या नहीं है; असल में, कई बचत करने वाले इसे नहीं सुलझा पाएंगे. ऐसे कोई भी फ़ायनेंशियल एडवाइज़र नहीं हैं—चाहे वो एक व्यक्ति द्वारा अकेले किया जा रहा का हो या कोई बड़ा बैंक करे—जो इससे ऊपर है. हालांकि, बजाए किसी बड़ी कंपनी के, अकेले काम करने वाला एक सही फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र आपको फिर भी मिल सकता है. पर, इसका एक दूसरा हल है कि आप कोशिश करें और ख़ुद इतनी समझ पैदा कर लें कि आप अपने एडवाइज़र ख़ुद बन सकें. मैं ये नहीं कहूंगा कि ये आसान है. न ही हर किसी के पास इतना समय हो और इस काम में रुचि हो, ऐसा ज़रूरी नहीं है. हालांकि, ये पहले से कहीं ज़्यादा आसान है.

आप एक सही फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र की ख़ूबियों के बारे में सोचिए. पहली बात ये है उसे निवेश की जानकारी होनी चाहिए और उस जानकारी को समझकर अमल में लाने की क़ाबिलियत होनी चाहिए. दूसरी बात है कि उसे निवेशक के प्रति पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए, निवेशक का पूरा भरोसा हासिल होना चाहिए, और निवेशक की ज़रूरतों की पूरी समझ होनी चाहिए. अब चाहे आपको पहली ज़रूरत की जानकारी और समझ कुछ कम हो, पर दूसरे एडवाइज़र को दूसरे वाले हिस्से को लेकर समझ आपसे कहीं कम ही होगी! कुल मिला कर, अगर आप ख़ुद ये काम करते हैं तो दूसरों से कहीं बेहतर कर सकेंगे.

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