Anand Kumar
मैंने दो महान निवेशकों, वारेन बफ़े (warren buffett) और चार्ली मंगर (Charlie Munger) पर कई कॉलम लिखे हैं. ये कॉलम इन महान निवेशकों की लिखी और कही गई बातों पर हैं. लंबे समय से मेरे कॉलम को पढ़ने वाले लोग जानते हैं कि मैं अक्सर इन दो महान निवेशकों के अनुभवों पर लिखता रहता हूं. कुछ लोग सवाल खड़े करते हैं कि इन दो बुजुर्ग निवेशकों के अनुभव आज के समय में कितना प्रासांगिक हैं. फिर चाहे ये दोनों दुनिया के अमीर व्यक्तियों में ही क्यों न शामिल हों और चाहे उनके पास अरबों डॉलर के एसेट हों.
बफ़े और मंगर ने एप्पल जैसी कंपनियों में निवेश किया और BNSF जैसी कंपनियों में कंट्रोल लायक़ हिस्सेदारी ख़रीदी. BNSF एक बड़ी रेलवे कंपनी है. अब सवाल है कि ये दोनों हमें क्या सिखा सकते हैं. इसका जवाब है, बहुत कुछ. निश्चित तौर पर किसी निवेश गुरू को देखने और उससे सीखने के बारे में आपत्ति उठाई जा सकती है. और ये बात किसी भी फ़ील्ड के लिए सही है. यानी, एक गली का क्रिकेटर विराट कोहली को देख कर क्या सीख सकता है?
इसका जवाब पूरी तरह से इस बात पर निर्भर है कि आप क्या सीखने की कोशिश कर रहे हैं. ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि कुछ भी नहीं सीखा जाना चाहिए. वे ऐसा इसलिए सोचते हैं क्योंकि वो सीखने के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. इसके बजाए वे नकल के बारे में बात कर रहे हैं. सीखने और नकल करने के बीच बहुत बड़ा फ़र्क़ है. मिसाल के तौर पर, चार्ली मंगर का कहना है कि डायवर्सिफ़िकेशन असल में डायवर्स्टिफ़िकेशन है. ये बेहतर है कि कुछ ऐसी कंपनियों में निवेश किया जाए जिनको आप अच्छी तरह से समझते हैं. बजाए इसके कि बड़ी संख्या में कंपनियों में निवेश किया जाए. क्या ये तर्क डायवर्सिफ़िकेशन के खिलाफ़ है ? नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. इस तर्क का डायवर्सिफ़िकेशन से कोई लेना-देना ही नहीं है. इसके बजाए ये तर्क सिर्फ़ उन कंपनियों और इंडस्ट्रीज़ में निवेश को लेकर है, जिनको आप अच्छी तरह से समझते हैं और जिन पर ध्यान दे सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस तर्क का संबंध इस बात से है कि आप कितनी कंपनियों को अच्छी तरह से समझ सकते हैं. इस तर्क के लिहाज़ से अगर किसी व्यक्ति ने 40-50 स्टॉक्स में निवेश किया है, तो उसका निवेश ज़रूरत से ज्यादा डायवर्सिफ़ाइड है.
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एक एक्सपर्ट की नकल करने का एक तरीक़ा बहुत आम है. तरीक़ा ये है कि किसी प्रोफ़ेशनल या जाने-माने निवेशक का वास्तविक पोर्टफ़ोलियो देखा और कुछ ऐसे स्टॉक्स ख़रीद लिए जो पोर्टफ़ोलियो में हैं. ये कभी काम नहीं करता है. एक स्टॉक की पोर्टफ़ोलियो में भूमिका होती है. स्टॉक्स पोर्टफ़ोलियो में अपने रोल की वजह से है. एक निवेशक की जोख़िम उठाने क्षमता दूसरे से अलग हो सकती है. बिज़नस क्या है, उसे इसमें क्यों निवेश करना चाहिए और कब तक निवेश करना चाहिए इसके बारे में एक निवेशक की समझ का स्तर दूसरे निवेशक से बहुत अलग हो सकता है. यहां सिर्फ़ नकल करना काम नहीं करता है.
कुछ साल पहले मैंने एक और महान निवेशक हॉवर्ड मार्क्स की बात सुनी थी. वे इस बात को टेनिस के ज़रिए स्पष्ट कर रहे थे. उनका कहना था कि टेनिस के दिग्गज खिलाड़ी बड़े पैमाने पर ऐसे शॉट्स खेलते हैं जो उनको जीत दिलाते हैं. जोकोविक या नडाल या विलियम्स अक्सर ऐसे शॉट्स खेलते हैं जो उनके विपक्षी बहुत कम संभाल पाते हैं. और वे ऐसे शॉट्स लगातार खेलते हैं. वहीं, दूसरे शौकिया खिलाड़ी ऐसे शाट्स बहुत कम खेल पाते हैं. दूसरे अच्छे खिलाड़ी मानते हैं कि अगर वे बॉल को लगातार नेट के ऊपर डालते हैं और कुछ शॉट खेलते हैं तो जल्दी ही या देर से विपक्षी खिलाड़ी कोई ग़लती करेगा. इस तरह शौकिया खिलाड़ी सामान्य चीज़ें लगातार करते हुए जीत हासिल करते हैं. ऐसे में निवेश के लिए सीख एकदम स्पष्ट है. ये सीख इस बात से मिलती है कि महान खिलाड़ी क्या करते हैं. ये सीख आप महान खिलाडि़यों और सामान्य खिलाडि़यों को देखते हुए हासिल कर सकते हैं. निवेश के लिहाज़ से इसका क्या मतलब है. इसका मतलब है कि निवेश के लिए अहम बात ये है कि आप ग़लतियों से बचें. निवेश के लिए ये बात उतनी अहम नहीं है कि आपने कौन से शानदार फ़ंड निवेश के लिए चुने हैं.
किसी सफल निवेशक की नकल करना काम नहीं करता है लेकिन उस पर ग़ौर करना और उसकी रणनीति को समझना निश्चित तौर पर काम करता है.
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