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निवेश पर हॉवर्ड मार्क्‍स की बात

एक लोकप्रिय इन्‍वेस्‍टर टॉक से मार्क्‍स के विचार

निवेश पर हॉवर्ड मार्क्‍स की बात

हॉवर्ड मार्क्‍स ओकट्री मैनेजमेंट के सह संस्‍थापक हैं। यह कंपनी बुरे दौर से गुजर रही सिक्‍योरिटीज में सबसे बड़ी निवेशक है। मार्क्‍स निवेशक समुदाय में अपने नोट्स के लिए पसंद किए जाते हैं। नोट्स में उनकी निवेश रणनीति और अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में उनके विचार होते हैं। इस नोट को ओकट्री की वेबसाइट पर पोस्‍ट किया जाता है। इस इन्‍वेस्‍टर इनसाइट में हम बेन ग्राहम सेंटर में वैल्‍यू इन्‍वेस्टिंग पर उनकी 2021 की बातचीत साझा कर रहे हैं () ।

वैल्‍यू नगदी पैदा करने में है

क्‍या आप हीरे के नेकलेस की वैल्‍यू कर सकते हैं ? मार्क्‍स का मानना है कि आप इसकी वैल्‍यू नहीं निकाल सकते हैं सिर्फ इसकी कीमत बता सकते हैं। मार्क कहते हैं स्‍टॉक्‍स, बांड, बिल्डिंग और कंपनियों में नगदी पैदा करने की क्षमता होती है तो इनकी वैल्‍यू निकाली जा सकती है। लेकिन पेंटिंग, तेल, हीरा और आर्ट की कोई वैल्‍यू नहीं होती है क्‍योंकि वे नगदी का प्रवाह पैदा नहीं करते हैं। तो याद रखिए जब कोई कहता है कि किसी पेंटिंग की वैल्‍यू अच्‍छी है तो यह वैल्‍यू नहीं कीमत है।

निवेश के मोर्चे पर बढ़त हासिल करना

आज के समय में जब दुनिया एक दूसरे से जुड़ी हुई है ऐसे में किसी निवेशक के लिए सूचनाओं के मोर्चे पर बढ़त हासिल करना बहुत मुश्किल है। ऐसे में मार्क का मानना है कि ऐसे माहौल में हमें और आगे देखना होगा और निवेश के मोर्च पर बेहतरी मौजूदा गुणवत्‍ता से जुड़े फैक्‍टर की समझ से या भविष्‍य में सफलता की संभावना के बारे में बेहतर समझ से आनी चाहिए। अमूर्त संपत्ति, वर्कफोर्स के बारे में जानकारी, तकनीक से जुड़ी बाधाएं और गुणवत्‍ता से जुड़े फैक्‍टर अहम हो गए हैं।

गायब हुआ सुरक्षा घेरा

तकनीक के मोर्चे पर तेजी से बदलाव होने के कारण प्रतिस्‍पर्धा के मोर्चे पर लाभ की स्थिति गायब हो रही है। इसे कंपनियों के लिए एक सुरक्षा घेरा भी कहा जाता है। मार्क्‍स का कहना है कि सुरक्षा घेरा गायब हो चुका है और टेक सेवी नई कंपनियों ने तमाम कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। न्‍यूजपेपर बिजनेस तकनीक के मोर्चे पर बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण है।

कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं

तेजी से चढ़ते बाजार के दौर में अक्‍सर एक कमजोर कंपनी भी अच्‍छी कंपनी लगने लगती है। मार्क्‍स का कहना है कि कुछ चीजें निश्चित तौर पर नहीं बदली हैं। एक है कि तेजी से बढ़ता बाजार सभी प्रतिस्‍पर्धी कंपनियों को एक ही तरह से वैल्‍यू करता है जैसे कि ये सभी कंपनियां सफल होंगी। भारत में मौजूदा समय में तेजी से चढ़ता बाजार सभी केमिकल कंपनियों को एक ही रंग में दिखा रहा है। हालांकि निवेशकों के लिए यह अहम है कि वे औसत कंपनियों को अच्‍छी कंपनियों से अलग करके देखें।

ऊंचे पी /ई का मतलब खारिज करना नहीं

वैल्‍यू निवेशक के तौर पर हमारे पास चीजों को फिल्‍टर करने की प्रक्रिया है। कम से कम मानसिक स्‍तर पर। यह ऊंचे पी /ई वाली कंपनियों को अपने आप फिल्‍टर कर देती है। लेकिन इस मामले में मार्क्‍स की सलाह कुछ और है। उनका कहना है कि अगर आप कंपनी, ग्रोथ्‍ा और टेक्‍नोलॉजी या किसी इनोवेटिव कंपनी को ऊंचे पी / ई रेशियो के साथ देखते हैं तो यह अपने आप में उसे खारिज करने का कारण नहीं हो सकता है। हो सकता है कि टेक्‍नोलॉजी के लिहाज से शानदार संभानाएं हों।

वैल्‍यू बनाम ग्रोथ जैसा कुछ नहीं

एक निवेशक के तौर पर हमने खुद को एक खास कैंप में मान लिया है। ये कैंप वैल्‍यू इन्‍वेस्‍टर से लेकर ग्रोथ इन्‍वेस्‍टर और स्‍माल कैप व लार्ज कैप हैं। मार्क्‍स का कहना है कि हमें अपना दिमाग खुला रखना चाहिए। वैल्‍यू और ग्रोथ के बीच बड़ा अंतर नहीं होना चाहिए।

बदलते नजरिए के साथ जीवन भर सीखते रहने की चाहत एक अच्‍छे निवेशकों को महान निवेशक से अलग करती है। वारेन बफेट का एप्‍पल में निवेश इस बात का गवाह है।



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