माना जाता है कि भारतीय बचत करने में माहिर हैं और ख़र्च के मामले में सुस्त. हो सकता है कि अतीत में ये सच हो, लेकिन आज तो ये सही नहीं लगता. जिस तरह से हमारे माता-पिता ने बचत की, उसका ज़रूर हमें फ़ायदा हुआ है, पर भारतीय अब उस तरह बचत नहीं करते जैसे पहले किया करते थे. हमारी पिछली पीढ़ियों के ज़्यादा बचत करने के पीछे भी कई कारण थे.
पहली बात तो ये कि उनके पास ख़र्च करने के उतने मौक़े नहीं थे जितने आज हमारे पास हैं. दूसरा, अब क्रेडिट कार्ड हैं, यानी अभी ख़रीदो और पैसे बाद में दो. पहले, लोन भी इतनी आसानी से नहीं मिला करता था. कुछ ही साल में चीज़ें बहुत तेज़ी से बदली हैं. आज, आप अपने पड़ोस की दुकान पर या ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल पर डिस्काउंट में कुछ भी ख़रीद सकते हैं. इसने ख़रीदारी को बढ़ावा दिया है.
हमने अपने माता-पिता को स्कूटर, कार या कोई दूसरा महंगा सामान ख़रीदने से पहले कई साल तक इंतज़ार करते देखा है. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. आज आप चाहें, तो पैसे न होने पर भी महंगी ख़रीदारी आसानी से कर सकते हैं, क्योंकि इसके लिए आपको कभी भी लोन मिल जाएगा. लेकिन उस महंगे फ़ोन, कार, टीवी को ख़रीदना या EMI पर घर लेने के कारण असल में आपका निवेश नहीं हो पाता, क्योंकि आप आज अपनी लग्ज़री से जुड़े सामान ख़रीदने के लिए अपनी भविष्य की बचत या अपनी इनकम को दांव पर लगा रहे हैं. इसलिए, लोगों को इन्वेस्टमेंट शुरू करने में काफ़ी समय लग जाता है.
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ये बहुत बड़ी समस्या है और ये आपके फ़ाइनेंशियल फ़्यूचर के लिए काफ़ी नुक़सानदेह हो सकती है. सबसे पहले सेविंग और इन्वेस्टमेंट न कर पाने की समस्या पर क़ाबू पाना होगा. लेकिन एक बार जब आप जान जाते हैं कि आपने सेविंग करना शुरू कर दिया है, तो आपको ये सोचने की ज़रूरत है कि उस पैसे को इन्वेस्ट करने का सबसे अच्छा तरीक़ा क्या है. अपने सेविंग बैंक अकाउंट में पैसे की बचत शुरू करने के बाद, क्या आपको लगता है कि इन्वेस्टमेंट शुरू करने से पहले आपको उस पैसे के एक बड़ी रक़म बनने तक इंतज़ार करना होगा?
एक बार जब आप ऐसा करना शुरू कर देते हैं, तो क्या आप फ़िक्स्ड डिपॉज़िट (fixed deposit) करते हैं या मनी बैक इंश्योरेंस पॉलिसी (money back insurance policy) या कोई ऐसी स्कीम लेते हैं जो बहुत कम रिटर्न वाली होगी और ये सोचकर खुश होंगे कि आपने कुछ कर लिया है?
अपने करियर के शुरुआती दौर में हम कम कमाते हैं और हमारे पास बहुत सारे ज़रूरी ख़र्च होते हैं, जहां हमारी ज़्यादातर कमाई ख़र्च हो जाती है. तो, हम एक बहुत ही कम पैसा बचा पाते हैं जो कम ही होता है. आपको लग सकता है कि इससे कुछ भी सार्थक या बड़ा काम नहीं किया जा सकता. लेकिन ये बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपके छोटे निवेश पर मिलने वाली कंपाउंडिंग के नतीजे बेहद हैरत में डालने वाले हो सकते हैं.
इस धारणा को मज़बूती देना अहम है कि सेविंग और इन्वेस्टमेंट एक आदत का मामला है और इसका इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि कौन ज़्यादा और कौन कम कमा रहा है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो अच्छी कमाई करते हैं लेकिन वे इन्वेस्टमेंट नहीं करते हैं, और बहुत से लोग हैं जो इतनी ज़्यादा कमाई नहीं करते हैं, लेकिन वो अपनी सेविंग और इन्वेस्टमेंट को लेकर बहुत अनुशासित हैं. तो एक तरह से ये नज़रिये और आदत का मामला है और आपको जितनी जल्दी हो सके उस आदत को अपनाना चाहिए.
निवेश के सफ़र में इक्विटी एकमात्र ऐसी एसेट क्लास है, जो लंबी अवधि में महंगाई को मात देती है और इस प्रकार इसमें वेल्थ क्रिएशन टूल बनने की क्षमता है. पहले अपने इक्विटी इन्वेस्टमेंट के साथ बहुत व्यवस्थित होना संभव नहीं था, आज यह संभव है. आप कम से कम ₹500 से शुरुआत कर सकते हैं. लोगों के मन में निवेश करने के लिए बड़ी रक़म की ज़रूरत आदि कई मानसिक बाधाएं होती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है. इसके लिए शुरुआत करना आसान हो गया है और बहुत सी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो आपको इस दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेंगी. अगर आपने मार्केट में इन्वेस्टमेंट कभी नहीं किया है या आपने कभी म्यूचुअल फ़ंड या किसी अन्य विकल्प के जरिये मार्केट में एक्सपोज़र नहीं लिया है, तो आज ही अपना इलेक्ट्रॉनिक-केवाईसी (e-KYC) करके शुरुआत करना संभव है. अगर आपके पास बैंक अकाउंट है तो आपको कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है. आप किसी भी म्यूचुअल फ़ंड कंपनी की वेबसाइट पर जा सकते हैं और अपना e-KYC कर सकते हैं, जिससे आपको शुरुआत करने में मदद मिलेगी.
ये सलाह दी जाती है कि जिस किसी को भी बचत करने में मुश्किल हो, उसे पूरा तजुर्बा हासिल करने के लिए थोड़ी सा पैसा ज़रूर बचाना चाहिए. भले ही ये सिर्फ़ ₹500 ही क्यों न हों, आपको कैसे शुरुआत करनी है और कैसे इन्वेस्टमेंट करना है, इसका पूरा तजुर्बा लेने के लिए आपको अपने इक्विटी इन्वेस्टमेंट के साथ आगे बढ़ना चाहिए और ये ज़्यादातर इन्वेस्टर्स के लिए एक शानदार शुरुआत होगी, क्योंकि एक बार जब आप ऐसा कर लेंगे तो आप बहुत सी चीज़ों को ख़ुद समझने में सक्षम हो जाएंगे.
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