म्यूचुअल फंड कोर्स

अपने म्यूचुअल फ़ंड प्‍लान पर अमल करें

म्यूचुअल फ़ंड कोर्स की सीरीज़ के पार्ट-6 में समझते हैं कि फ़ंड्स में निवेश करना कितना आसान है

अपने म्यूचुअल फ़ंड प्‍लान पर अमल करेंAnand Kumar

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आप सोच रहे होंगे कि कहां और कैसे निवेश की शुरुआत करें? आसान रास्ता तो ये है कि आप सारी औपचारिकताएं ऑनलाइन ही पूरी करें और कुछ ही मिनटों में अपना पहला निवेश कर लें.

मगर अपनी निवेश यात्रा शुरू करने से पहले आपको ज़रूरी जानकारियों से ख़ुद को लैस करना चाहिए और ये लेख इसी बारे में है.

स्टेप 1:म्यूचुअल फ़ंड KYC
म्यूचुअल फ़ंड KYC एक ही बार करनी होती है. ठीक बैंक अकाउंट KYC की तरह. इसका मक़सद निवेशक की पहचान स्थापित करना है. KYC ये पक्का करने के लिए है कि निवेश सही व्यक्ति के नाम पर किया जाए और फ़ाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन काले धन पर अंकुश लगा सकें. KYC मुफ़्त होता है और इसके लिए सिर्फ़ आपकी पासपोर्ट साइज़ फोटो, PAN और आधार कार्ड की ज़रूरत होगी. ऐसा आप नीचे दिए गए तरीक़ों में से किसी एक के ज़रिए कर सकते हैं.

  • ऑफ़लाइन KYC: आप फ़ंड हाउस, एसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फ़ंड ऑफ़ इंडिया AMFI, रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफ़र एजेंट्स जैसे - CAMS और Karvy की वेबसाइट पर उपलब्ध KYC फ़ॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं. आपको फ़ॉर्म भर कर अपने फ़ंड हाउस के ऑफ़िस या किसी RTA के पास जमा कराना होगा. इसमें आमतौर पर तीन से चार दिन लगते हैं. इसके बाद आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश शुरू कर सकते हैं.

  • ऑनलाइन KYC: आप AMC या इंटरमीडियरीज़ की वेबसाइअट पर उपलब्ध फ़ॉर्म ऑनलाइन भरके पांच मिनट में KYC प्रॉसेस कर सकते हैं. आपको OTP के ज़रिए वेरीफ़िकेशन के लिए अपना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और आधार नंबर मुहैया कराना होगा. और कन्फर्मेशन के लिए डिटेल्स आपके PAN कार्ड से मैच कराई जाएगी. आपका इन परसन वेरीफिकेशन (in person verification) वीडियो कॉल के ज़रिए किया जाएगा, उस समय आपका ओरिजनल ID प्रूफ़ और एड्रेस प्रूफ़ दिखाना होगा. वेरीफ़िकेशन के बाद आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश शुरू कर सकते हैं.

KYC प्रक्रिया पूरी करने के लिए यहां ऑनलाइन क्लिक करें और अपना पहला निवेश अभी शुरू करें.

स्टेप 2:डायरेक्ट और रेग्युलर म्यूचुअल फ़ंड में चुनाव करें
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने के दो तरीक़े हैं. हर फ़ंड में रेग्युलर और डायरेक्ट प्लान होते हैं. इनका फ़र्क़ कुछ इस तरह होता है.

  • डायरेक्ट म्यूचुअल फ़ंड स्कीम: डायरेक्ट प्लान यानी ख़ुद से निवेश करना. इस स्कीम में, आप ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर जैसे किसी भी इंटरमीडियरी को दरकिनार करते हुए सीधे म्यूचुअल फ़ंड कंपनी में निवेश करते हैं. इसके लिए आपको ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर की मदद के बिना ऑनलाइन निवेश करने की कोशिश करनी चाहिए. डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का मतलब है कि आप सीधे फ़ंड हाउस के साथ काम कर रहे हैं, जिसका नतीजा होता कि आमतौर पर आपको कम एक्सपेंस रेशियो और फ़ीस देनी होती है. क्योंकि आपके और फ़ंड हाउस के बीच कोई नहीं होता, इसलिए इस स्कीम के रिटर्न आमतौर पर रेग्युलर म्यूचुअल फ़ंड स्कीम की तुलना में ज़्यादा होते हैं. आप फ़ंड हाउस की वेबसाइट से या कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म हैं जिनसे से आप सीधे म्यूचुअल फ़ंड ख़रीद सकते हैं, जो म्यूचुअल फ़ंड ख़रीदने और बेचने की सुविधा देते हैं. आप ट्रांज़ैक्शन पूरा करने के लिए नेट बैंकिंग या UPI का इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • रेग्युलर म्यूचुअल फ़ंड स्कीम: रेग्युलर म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में, आप ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर जैसे इंटरमीडियेरी के ज़रिए निवेश करते हैं. ये ब्रोकर ओर डिस्ट्रीब्यूटर आपके लिए ट्रांज़ैक्शन पूरा करते हैं, सलाह से लेकर कागज़ी कार्रवाई में मदद करते हैं और कस्टमर सर्विस देते हैं. हालांकि, वो इसका कमीशन और फ़ीस भी लेते हैं, जिससे समय के साथ आपका रिटर्न प्रभावित होता है. इस अतिरिक्त लागत के कारण रेग्युलर म्यूचुअल फ़ंड स्कीमों में एक्सपेंस रेशियो ज़्यादा होता है.

हालांकि रेग्युलर और डायरेक्ट काफ़ी हद तक एक जैसे होते हैं सिवाए इस फ़र्क़ के कि डायरेक्ट प्लान में एक्सपेंस रेशियो कम होता है. इक्विटी फ़ंड में ये अंतर सालाना 0.75 फ़ीसदी से 1 फ़ीसदी तक कम होता है. दूसरे शब्दों में कहें, तो डायरेक्ट प्लान में आपका रिटर्न, रेग्युलर रिटर्न की तुलना में ज़्यादा होता है. आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे होता है?

अगर आपको अभी सबकुछ ख़ुद करने से डर लगता है तो डिस्ट्रीब्यूटर के ज़रिए रेग्युलर प्लान में निवेश करने विचार बुरा नहीं है. भले ही इसके लिए आपको ख़र्च के तौर पर ज़्यादा भुगतान करना पड़े. बाद में ज़्यादा जानकारी हो जाने पर और भरोसा बढ़ने पर आप डायरेक्ट प्लान पर स्विच कर सकते हैं और ख़ुद से निवेश शुरू कर सकते हैं.

एक बात और अगर आप डिस्ट्रीब्यूटर के ज़रिए KYC करते हैं तो निवेश से लेकर सब कुछ वही करता है. मगर एक बात को लेकर आपको सावधान रहना चाहिए कि आप किसी अनचाही सलाह में न आएं और निवेश के अपने प्लान पर क़ायम रहें. फ़ंड में निवेश के अलावा किसी और इन्वेस्टमेंट ऑप्शन में पड़ने से बचें. डिस्ट्रीब्यूटर आमतौर पर निवेशकों को तमाम तरह के निवेश विकल्पों की पेशकश करते हैं. इसमें उनका अपना फ़ायदा होता है.

ग्रोथ बनाम IDCW: हर म्यूचुअल फ़ंड स्कीम के रेग्युलर और डायरेक्ट प्लान के दो ऑप्शन में से एक चुनना होगा.

IDCW प्लान: इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल विद्ड्रॉल प्लान यानी IDCW में फ़ंड हाउस, यूनिट होल्डर को मुनाफ़े का एक हिस्सा भुगतान करता है. भुगतान कितना होगा और उसकी टाइमिंग, AMC अपने हिसाब से तय करती है. इसके अलावा भुगतान की जाने वाली रक़म इनकम टैक्स के दायरे में आती है. ये बिल्कुल उसी तरह है जैसे आप फ़ंड से रक़म निकालते हैं.

ग्रोथ प्लान: ग्रोथ ऑप्शन में AMC समय-समय पर कोई भुगतान नहीं करती है. आपकी रक़म पूरी तरह निवेश में बनी रहती है, जब तब कि आप निवेश भुनाने का फ़ैसला नहीं करते हैं, फिर चाहे आप निवेश पूरा निकालें या निवेश का एक हिस्सा ही कैश कराएं.

तो कौन सा ऑप्शन बेहतर है? हमारा सुझाव है कि आप इसे सरल रखें और हमेशा ग्रोथ ऑप्शन चुनें. ये टैक्स के लिहाज़ से फ़ायदेमंद है. ये विकल्प, निवेश को कब और कितना भुनाना है इसे लेकर आपको ज़्यादा नियंत्रण देता है.

ओनरशिप पर क्लेम: ऑफ़लाइन दुनिया में हमें लगभग हर चीज़ के लिए कागज़ की रसीद मिलती है. ये पेमेंट का सबूत है. हालांकि, डिजिटल दौर में ट्रांज़ैक्शन कन्फ़र्म करने के लिए SMS या ईमेल इसके लिए काफ़ी है. ऑनलाइन बैंकिंग या ऑनलाइन बिल पेमेंट के मामले में भी ऐसा ही होता है. इसी तरह से जब आप म्यूचुअल फ़ंड ख़रीदते हैं, तो आपको बैंक अकाउंट नंबर की ही तरह, यूनिक फ़ोलियो नंबर मिलता है. और शुरूआती इन्वेस्टमेंट ट्रांज़ैक्शन से पांच दिनों (5 business days) के अंदर आपको कन्फ़र्मेशन ईमेल या SMS भेजा जाता है. इसमें बताया जाता है कि आपको कितनी यूनिट अलॉट की गईं हैं.

अपने निवेश में नॉमिनी ज़रूर जोड़ें
नॉमिनी जोड़ने में मुश्किल से दो मिनट का समय लगता है और कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने पर एसेट का ट्रांसफ़र आसानी से हो जाता है. निवेशक की मौत होने पर नॉमिनेट किया गया व्यक्ति म्यूचुअल फ़ंड यूनिट का हक़दार होता है. नॉमिनेशन के बिना निवेशक का कानूनी उत्तराधिकारी ही अपना कानूनी उत्तराधिकार साबित करने के बाद म्यूचुअल फ़ंड क्लेम कर सकता है. ये एक मुश्किल काम होता है.

निवेश करते समय अपना ईमेल एड्रेस ज़रूर दें
ईमेल एड्रेस मुहैया कराने से आपकी फ़ंड कंपनी आपसे आसानी से संपर्क कर सकती है और आपको अपडेट, अकाउंट स्टेटमेंट और फ़ैक्ट-शीट जैसी चीज़ें भेज सकती है. कुछ ख़ास ट्रांज़ैक्शन, जो आप उनकी वेबसाइट पर करते हैं उसके लिए वो आपके रजिस्टर्ड मोबाल नंबर और ईमेल एड्रेस पर OTP भेज कर यूज़र वेरीफ़िकेशन करते हैं.

इसके अलावा CAS जैसे रिसोर्स, तमाम AMC में आपके फ़ंड निवेश को एक जगह पर रखते हैं. ऐसे में म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हुए ये पक्का करें कि आप अपना ईमेल एड्रेस ज़रूर भरें.


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