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भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर की गाड़ी चल निकली है. इस सेक्टर के स्टॉक टॉप गियर में हैं, जिसकी वजह चिप की उपलब्धता का बढ़ना और कोविड के दिनों के मुक़ाबले कंज्यूमर सेंटीमेंट का बेहतर होना है. इस सुधार ने भारत के सबसे बड़े म्यूचुअल फ़ंड का भी ध्यान खींचा है. SBI म्यूचुअल फ़ंड ने अपना एक नया फ़ंड ऑफ़र लांच किया है, SBI ऑटोमोटिव अपॉर्चुनिटीज़ फ़ंड. ये ऑफ़र 17 मई 2024 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था और 31 मई 2024 को बंद हो जाएगा.
वैसे तो इस वक़्त निफ़्टी ऑटो इंडेक्स को ट्रैक करने वाली चार पैसिव स्कीमें (दो ETFs और दो इंडेक्स फ़ंड्स) मौज़ूद हैं, पर SBI म्यूचुअल फ़ंड का नया ऑफ़र, ऑटो इंडस्ट्री और इससे जुड़े सेक्टरों में निवेश करने वाला पहला एक्टिव फ़ंड है.
इस NFO (न्यू फ़ंड ऑफ़र) के बारे में कुछ प्रमुख जानकारी नीचे दी गई है.
NFO के बारे में
फ़ंड का नाम | SBI ऑटोमोटिव ऑपर्च्युनिटीज़ फ़ंड |
SEBI कैटेगरी | सेक्टोरल/थीमेटिक |
NFO पीरियड | 17 मई से 31 मई 2024 |
निवेश का उद्देश्य | ऑटोमोटिव सेक्टर और इससे संबंधित बिज़नस गतिविधियों की ग्रोथ का फ़ायदा उठाना. |
बेंचमार्क | निफ़्टी ऑटो TRI |
फ़ंड मैनेजर | तन्मय देसाई और प्रदीप केसवन |
एग्ज़िट लोड | अगर एलोकेशन की तारीख़ से एक साल के अंदर यूनिट्स को रिडीम किया जाता है तो 1% (लागू NAV का). उसके बाद शून्य. |
टैक्स | किसी भी दूसरे इक्विटी फ़ंड की तरह. अगर यूनिट्स एक साल बाद बेची जाती हैं तो ₹1 लाख से ज़्यादा के मुनाफ़े पर 10% टैक्स लगेगा. अगर यूनिट्स एक साल के अंदर बेची जाती हैं तो ₹1 लाख से ज़्यादा के मुनाफ़े पर 15% टैक्स लगेगा. |
SBI ऑटोमोटिव ऑपर्च्युनिटीज़ फ़ंड के बारे में
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फ़ंड को निफ़्टी ऑटो टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) पर बेंचमार्क किया जाएगा, जिसने पिछले साल निफ़्टी 50 TRI के 26.5 फ़ीसदी रिटर्न की तुलना में 71.7 फ़ीसदी का तगड़ा रिटर्न दिया है.
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फ़ंड में क़रीब 25-30 शेयरों का एक कॉन्सनट्रेटेड पोर्टफ़ोलियो होने की संभावना है. फ़ंड के इंवेस्टमेंट यूनिवर्स में ऑटो कंपोनेंट और इक्विपमेंट मैन्युफ़ैक्चरर, पैसेंजर कार और यूटिलिटी व्हीकल्स, टू- और थ्री-व्हीलर्स और कमर्शियल व्हीकल कंपनियां शामिल हैं.
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फ़ंड के पूल में एब्रेसिव (abrasives) और बेयरिंग (bearings) जैसे ऑटो एंसीलरी, कंस्ट्रक्शन व्हीकल, टायर और रबर कंपनियां आदि शामिल हैं.
- फ़ंड अपने नेट एसेट का 35 फ़ीसदी तक विदेशी कंपनियों में भी निवेश कर सकता है. हालांकि, ये तभी संभव होगा जब RBI द्वारा विदेशी निवेश पर लगाए प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी.
फ़ंड मैनेजरों के बारे में
तन्मय देसाई फ़ंड के घरेलू एलोकेशन का मैनेजमेंट संभालेंगे, और प्रदीप केसवन फ़ंड की विदेशी सिक्योरिटीज़ को संभालेंगे.
देसाई के पास लगभग 19 साल का अनुभव है, जिसमें कैपिटल मार्केट में 16 साल का अनुभव भी शामिल है. वो इस समय SBI हेल्थकेयर ऑपर्ज्युनिटीज़ फ़ंड को मैनेज करते हैं. फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ में 18 साल से ज़्यादा के अनुभव के साथ, केसवन जुलाई 2021 में फ़ंड हाउस में शामिल हुए. वो SBI म्यूचुअल फ़ंड स्कीम्स के विदेशी निवेश को मैनेज करने वाले एक समर्पित फ़ंड मैनेजर हैं.
तो, क्या फ़ंड में निवेश करें?
थीमैटिक या सेक्टोरल फ़ंड्स बहुत ज़्यादा उतार-चढ़ाव और लंबी अवधि के कंसॉलिडेशन के लिए जाने जाते हैं. धनक का लंबे समय से मानना रहा है कि फ़्लेक्सी-कैप जैसे डाइवर्स इक्विटी फ़ंड्स निवेशकों के लिए बेहतर और अनुकूल होते हैं. ये फ़ंड्स ऑटो सेगमेंट सहित कई सेक्टरों की कंपनियों में निवेश करते हैं. ये फ़ंड्स पहले से ही निवेशकों को ऑटो इंडस्ट्री में एक्सपोज़र देते हैं.
हालांकि, अगर आप इस ख़ास थीम में निवेश करना ही चाहते हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप अपने इंवेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो का सिर्फ़ 5-10 फ़ीसदी ही इस फ़ंड में एलोकेट करें.
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