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NFO में निवेश से पहले खुद से पूछें ये 3 सवाल

बहुत से नए फ़ंड लॉन्च हो रहे हैं, मगर निवेश से पहले उनकी उपयोगिता समझना ज़रूरी है

NFO में निवेश से पहले खुद से पूछें ये 3 सवाल

पिछले तीन साल में 300 से ज़्यादा नए इक्विटी और हाइब्रिड फ़ंड लॉन्च हुए हैं, जिन्होंने सामूहिक रूप से ₹1.64 लाख करोड़ जुटाए हैं. अकेले जनवरी में ही 16 नए फ़ंड ऑफ़र (NFO) के साथ 2024 में ये सिलसिला जारी है.

भले ही SEBI ने फ़ंड हाउसों के लिए हर कैटेगरी में केवल एक फ़ंड की सीमा तय की है, लेकिन फ़ंड हाउसों ने पैसिव फ़ंड के तौर पर बीच का रास्ता तलाश लिया है, जिनके नंबरों पर कोई सीमा तय नहीं की गई है. नतीजा, इन दोनों कैटेगरी में NFO की बाढ़ आ गई है. असल में 2021 और 2023 के बीच लॉन्च किए गए 55 नए लार्ज-कैप फ़ंड्स में से 52 पैसिव फ़ंड (इंडेक्स फंड, ETF या फ़ं ऑफ़ फ़ंड्स) थे.

नए फ़ंड्स में इस तरह की बढ़ोतरी से निवेशकों के मन में एक अहम सवाल पैदा होता है: NFO में निवेश का नज़रिया कैसा होना चाहिए, और इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि क्या वे निवेश लायक़ हैं?

IPO की तरह नहीं हैं NFO
इनिशियल पब्लिक ऑफ़रिंग (IPOs) से जुड़े रोमांच की तुलना में NFO कहीं ज़्यादा व्यावहारिक हैं और कम सुर्खियों में रहते हैं. IPO के मामले में इन्वेस्टर्स लिस्टिंग प्रॉफ़िट के तौर पर ज़ल्दी फ़ायदा कमाना चाहते हैं.

NFO के मामले में इन्वेस्टर्स ₹10 के स्टैंडर्ड प्राइस पर यूनिट ख़रीदते हैं. और यहीं से ग़लतफ़हमी शुरू होती है.

कुछ इन्वेस्टर्स ग़लती से मानते हैं कि NFO के दौरान ₹10 की कम नेट एसेट वैल्यू (NAV) का मतलब है कि इन्वेस्टमेंट सस्ता है. लेकिन ये बात सच्चाई से बहुत दूर है. किसी इन्वेस्टमेंट का मूल्य का वास्तविक माप ये है कि उसका पोर्टफ़ोलियो कितना अच्छा प्रदर्शन करता है. संक्षेप में, ये इस बात पर निर्भर करता है कि फ़ंड को मैनेज कैसे किया जाता है.

NFO की भरमार
अगर NFO वास्तव में सस्ते नहीं हैं, तो इतने सारे NFO क्यों हैं?

NFO आम तौर पर बढ़ते मार्केट के दौरान बढ़ते हैं, क्योंकि ये ऐसा समय होता है जब फ़ंड हाउसेज को आपके और मेरे जैसे इन्वेस्टर्स से पैसा हासिल करना आसान होता है. NFO से ज़्यादा पैसा जुटाकर, वे एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़ाते हैं और परिणामस्वरूप, और ऊंची मैनेजमेंट फ़ीस हासिल करते हैं.

इसलिए, NFO की भीड़ में फंसने से पहले इन तीन सवालों पर विचार करना ज़रूरी है:

प्रश्न 1: क्या नए फ़ंड में कुछ नया है?
बहुत कम ही ऐसा कोई फ़ंड सामने आता है जिसे सबसे अच्छा बताया जा सके. ज़्यादातर मामलों में आपको ऐसे ही फ़ंड मिलेंगे जो पहले से मौजूद हैं.

तो, पहला सवाल आपको ख़ुद से पूछना चाहिए, 'ये आपके म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो में नया क्या जोड़ता है?

अगर नहीं जोड़ता, तो NFO को छोड़ दें. हमेशा पहले से ही अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाला फ़ंड चुनने की सलाह दी जाती रही है.

आप फ़ंड में इन्वेस्टमेंट करने पर तभी विचार कर सकते हैं जब ये आपके पोर्टफ़ोलियो में एक नई एसेट क्लास जोड़ता है. उदाहरण के लिए, अगर ये एक अंतरराष्ट्रीय इक्विटी/ बॉन्ड फ़ंड है, तो ये वास्तव में आपको डायवर्सिफ़िकेशन देता है. पोर्टफ़ोलियो एक इंडेक्स है तो आप पिछला ट्रैक परफ़ॉर्मेंस भी देख सकते हैं.

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प्रश्न 2: क्या नया फ़ंड मेरी निवेश से जुड़ी ज़रूरतों को पूरा करता है?
नया होने का ये मतलब नहीं कि वो काम का ही हो. अगर आपने पहले ही एक पोर्टफ़ोलियो बनाया हुआ है, जो आपकी निवेश की ज़रूरतों को अच्छी तरह से कवर करता है, तो नए फ़ंड से बचा जा सकता है.

म्यूचुअल फ़ंड स्पेस को एक सुपरमार्केट के तौर पर सोचें. आपको ज़्यादा प्रोडक्ट की ज़रूरत नहीं है, लेकिन मार्केटिंग के हथकंडों के चलते, प्रोडक्ट लगातार आपके सामने लाए जाते हैं ताकि आप हार कर उन्हें ख़रीद ही लें.

संक्षेप में इस बात पर विचार करें कि नया फ़ंड आपके लिए कितना उपयोगी है? उदाहरण के लिए इंडेक्स-आधारित टारगेट मेच्योरिटी फ़ंड का NFO केवल तभी सही होता है जब आपकी निवेश की अवधि फ़ंड के मेच्योरिटी पीरियड से मेल खाता है.

प्रश्न 3: क्या मौजूदा फ़ंड निवेश की एक जैसी स्ट्रैटजी फ़ॉलो कर रहे हैं?
इस सवाल के तीन पहलू हैं.

पहला, क्या आपके पास ऐसी ही निवेश स्ट्रैटजी वाले दूसरे फ़ंड हैं? अगर हैं तो पुख्ता रिकॉर्ड वाले फ़ंड को चुनें, जैसा कि सवाल 1 में बताया गया है.

दूसरा, क्या नया फ़ंड ऐसी निवेश स्ट्रैटजी को फ़ॉलो करता है जिसका ख़राब प्रदर्शन का इतिहास रहा है? अगर हां, तो अपने पोर्टफ़ोलियो को खुद बरबाद करने का कोई मतलब नहीं.

तीसरा, क्या नए फ़ंड में कोई ख़ास फ़ीचर है या बिल्कुल नया निवेश का स्टाइल पेश किया गया है? इस मामले में भी हमारा सुझाव है कि आप उन्हें अपने पोर्टफोलियो में जोड़ने से पहले कम-से-कम तीन साल तक उन पर नज़र रखें. भले ही, नया फ़ंड आकर्षक लग सकता है, लेकिन ये हमेशा बेहतर होता है कि निवेश स्टाइल को पहले मार्केट द्वारा परख लिया जाए.

और हमारे दावे के समर्थन में डेटा मौजूद है. ये निर्धारित करने के लिए कि क्या NFO मौजूदा फ़ंड्स से बेहतर प्रदर्शन करते हैं, हमने उन फ़ंड्स को देखा, जिन्होंने ₹1,500 करोड़ से ज़्यादा जुटाए और कम-से-कम तीन साल से मौजूद हैं. ऐसे नौ फ़ंड्स में से केवल तीन ही अपनी संबंधित कैटेगरीज एवरेज से बेहतर रहे.

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हमारी राय

  • इसके बारे में सोचें, नए फ़ंड में निवेश करने का विचार 99 प्रतिशत मामलों में 'नहीं' होता है.
  • मौक़ा चूकने के डर (fear of missing out) से ज़ल्दबाज़ी में निवेश न करें.
  • निवेश से पहले किसी फ़ंड के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कम-से-कम तीन साल तक उसके मेच्योर होने का इंतज़ार करें.
  • NFO अक्सर इक्विटी में एकमुश्त निवेश मांगते हैं. लेकिन जब मार्केट हाई हो, तो इससे बचें. इसके बजाय, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) से ही इक्विटी इन्वेस्टमेंट करें.

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