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भारतीय बाज़ार पर अपनी 30 साल की रिसर्च में, हमने कुछ ऐसी बेहतरीन कंपनियों के बारे में बताया है जिससे निवेशकों की बांछें खिल गई हैं, और ऐसी कंपनियों के राज़ भी ज़ाहिर किए हैं जिनसे उनकी नाक-भौं सिकुड़ गई हैं.
मगर हाल ही में, हमने एक ऐसी कंपनी खोजी है जो अलग-अलग तरह के बिज़नस में उतरने की वजह से अपनी अलग ही कैटेगरी में रखे जाने लायक़ है.
हम यहां ओके प्ले इंडिया की बात कर रहे हैं, जो खिलौने बनाने वाली एक स्मॉल-कैप कंपनी है. हालांकि, ये कमर्शियल व्हीकल फ़्यूल टैंक और इलेक्ट्रिक थ्रीव्हीलरों में भी अपनी मौजूदगी रखती है. चौंक गए न? हम भी हैरत में पड़ गए थे. हालांकि बाज़ार इस अनोखे डाइवर्सिफ़िकेशन को पसंद कर रहा है. पिछले दो साल में इसका स्टॉक क़रीब 3 गुना बढ़ गया है! इस शेयर को लेकर ऐसा उत्साह इसके आश्चर्यजनक 348 गुना प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो में भी दिखाई देता है.
हमारी शुरुआती रिसर्च से जवाबों की तुलना में सवाल ज़्यादा खड़े हुए हैं. क्या हम कुछ भूल रहे हैं? क्या बाज़ार किसी सीक्रेट के बारे में जानता है? क्या ये कंपनी अपने इलेक्ट्रिक थ्रीवव्हीलर के साथ मुफ़्त खिलौने दे रही है?
इन तमाम सवालों के चलते हमने इस अनोखी कंपनी के बही-खातों को गहराई से जांचने का फ़ैसला किया. हमने जो पाया, उससे हम हैरान रह गए.
मुंगेरीलाल के हसीन सपने या हक़ीकत?
अगर आप सोचते हैं कि केवल राजनेता ही हवा-हवाई वादे करते हैं, तो हक़ीक़त से सामना करने के लिए कमर कस लें. ओके प्ले का मानना है कि वो अगले 5 साल तक, हर साल, खिलौनों के सेक्टर से अपना रेवेन्यू दोगुना कर सकती है! यही नहीं, बल्कि उसे ये भी उम्मीद है कि इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और कमर्शियल गाड़ियों के टैंक के सेगमेंट में, कंपनी को हर साल 15-20 प्रतिशत बढ़ेगी.
भले ही, हम ये कह नहीं रहे कि ऐसा होना असंभव है, लेकिन इतना तो कह ही सकते हैं कि कंपनी का पिछला प्रदर्शन इस ओर इशारा नहीं करता.
नुक़सान का इतिहास
पिछले 5 फ़ाइनेंशियल ईयर के दौरान 4 बार इसे घाटा हुआ है
FY24 | FY23 | FY22 | FY21 | FY20 | FY19 | FY18 | |
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कुल बिक्री | 184.57 | 181.45 | 101.15 | 91.91 | 78.81 | 156.73 | 142.26 |
EBIT (ex OI) | 21.13 | 19.99 | 1.41 | 7.79 | 4.28 | 32.03 | 24.39 |
EBIT मार्जिन (%) | 11.4 | 11 | 1.4 | 8.5 | 5.4 | 20.4 | 17.1 |
प्पॉफ़िट आफ्टर टैक्स | 1.14 | -1.96 | -7.72 | -7.99 | -3.62 | 6.25 | 2.23 |
*सभी आंकड़े करोड़ ₹ में |
अगर, कंपनी इस ग्रोथ रेट को हासिल कर लेती है, तो ये इस दशक का एक बड़ा बदलाव होगा, और आने वाले वक़्त में हमें इस अजूबे पर नेटफ़्लिक्स ओरिजिनल देखने को मिल सकता है.
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डाइवर्सिफ़िकेशन से मन ही नहीं भरता
इस कंपनी की डाइवर्सिफ़िकेशन की कहानी इलेक्ट्रिक थ्रीव्हीलरों पर ही ख़त्म नहीं होती, बल्कि इसमें एक और दिलचस्प मोड़ आता है. हाल ही में, इसने एयर प्यूरीफ़ायर में क़दम रख दिया है. प्रदूषण के ख़िलाफ़ भारत की लड़ाई को देखते हुए ये क़दम तारीफ़ के क़ाबिल कहा जाएगा. मगर, निवेश के नज़रिए से, इसके मुख्य सेगमेंट, खिलौनों के बाज़ार में पूंजी निवेश बेहतर फ़ैसला हो सकता था. क्या हर साल, इसे दोगुना नहीं होना चाहिए था?
आप ये सोच सकते थे कि थ्री-व्हीलर सेगमेंट में ख़राब प्रदर्शन के बाद, डाइवर्सिफ़िकेशन पर लगाम लगेगी. मगर, कंपनी HPCL के साथ साझेदारी का दावा कर रही है और इसका लक्ष्य HPCL की LPG डिलीवरी सिस्टम (दिल्ली के लिए) में अपने EV को लागू करना है. लेकिन, आज तक, थ्री-व्हीलर सेगमेंट घाटे में चल रहा है, जिसमें रेवेन्यू का योगदान मामूली (वित्त-वर्ष 24 की पहली छमाही में क़रीब 2%) है.
फ़ैसलों का पिंगपॉन्ग
09 नवंबर 2023 को इसके मैनेजमेंट ने शेयर स्प्लिट की घोषणा की. लेकिन एक ही महीने में इसने इक्विटी शेयर इश्यू के ज़रिये अपने एयर प्योरिफ़ायर वेंचर के लिए ₹43 करोड़ जुटाए और स्टॉक स्प्लिट के प्लान को ठंडे बस्ते में डाल दिया. फिर, 30 जनवरी 2024 को उसने कहा कि शेयर स्प्लिट किया जाएगा.
यहां कंपनी को असल में कोई नुक़सान नहीं हुआ. लेकिन अगर इस क़दम से कोई वैल्यू क्रिएट नहीं हो रही है तो इतनी परेशानी उठाने का क्या मतलब है?
एक छिपा हुआ सबक़
ओके प्ले की हैरान कर देने वाली कहानी हमें बेंजामिन ग्राहम की बात याद दिलाती है, "छोटे समय में, बाज़ार वोटिंग मशीन है लेकिन लंबे समय में, वज़न मापने वाली मशीन है."
ओके प्ले के रोमांच से भरे भविष्य के अनुमानों ने बाज़ार की दिलचस्पी हासिल कर ली है. लेकिन क्या लंबे समय में तराजू का पलड़ा बराबर होगा, जब एक तरफ़ इसका प्रदर्शन रखा होगा और दूसरी तरफ़ आज की बड़ी उम्मीदें और दावों का वज़न?
ख़ैर कहते हैं न - अब की अब के साथ, जब की जब के साथ - यानी, अभी की बात करें, भविष्य के सवालों के जवाब, तो केवल वक़्त ही बताएगा.
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