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ये रेशियो आपको बताएगा कंपनी का असली हाल

किसी स्टॉक में निवेश से पहले कंपनी का वर्किंग कैपिटल एफ़िशिएंसी रेशियो पता करना बड़े काम का है

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वर्किंग कैपिटल किसी भी बिज़नस की सबसे ज़रूरी चीज़ों में से एक होता है. इससे पक्का होता है कि बिज़नस रोज़ाना सुचारू रूप से चलता रहे. चाहे सप्लायर को पेमेंट करनी हो या अनचाहे ख़र्च पूरे करने हों या फिर ऑपरेशन के लिए पैसों की ज़रूरत हो, इन सब चीज़ों में वर्किंग कैपिटल ही काम आता है.

किसी बिज़नस के लिए वर्किंग कैपिटल उतना ही ज़रूरी है जितना किसी पुजारी के लिए धर्म. यही वजह है कि किसी कंपनी की वर्किंग कैपिटल एफ़िशिएंसी की जांच ज़रूरी है, क्योंकि इससे किसी कंपनी के बारे में काफ़ी कुछ पता चलता है.

तो, आइए इन अहम रेशियो पर नज़र डालें जो निवेशकों को ये समझने में मदद कर सकते हैं कि कोई कंपनी अपनी वर्किंग कैपिटल का इस्तेमाल कैसे कर रही है.

करंट रेशियो (Current Ratio)

ये क्लासिक और सबसे बुनियादी रेशियो मापता है कि किसी कंपनी के पास शार्ट-टर्म दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रिसोर्स हैं या नहीं. इसकी कैलकुलेशन करेंट एसेट्स को करेंट लाइबिलिटीज़ से भाग (विभाजन/डिवाइड) देकर की जाती है (करंट एसेट्स को एक साल या एक ऑपरेशनल साइकिल के दौरान कैश के रूप में लिया जा सकता है; करंट लाइबिलिटी का मतलब है किसी बिज़नस की एक साल के अंदर देय देनदारियां).

दो या इससे ज़्यादा का करंट रेशियो आम तौर पर अच्छा माना जाता है, जिसका मतलब है कि करंट एसेट्स की वैल्यू करंट लाइबिलिटी से कम से कम दोगुनी होनी चाहिए.

हालांकि, इस रेशियो की अपनी सीमाएं होती हैं; ये करंट एसेट्स का सही रूप नहीं दिखाता है. करंट एसेट्स दो तरह के हो सकते हैं: कैश या ट्रेड रिसीवेबल. कैश अच्छा माना जाता है क्योंकि ये तुरंत और आसानी से उपलब्ध हो जाता है, लेकिन रिसीवेबल का मामला उल्टा होता है.

इन्वेंटरी टर्नओवर (Inventory Turnover)

ये रेशियो बताता है कि कोई कंपनी कितनी बार अपनी इन्वेंट्री बदल रही है. इसकी कैलकुलेशन सेल्स को एवरेज़ इन्वेंट्री से भाग देकर की जाती है.

ज़्यादा बड़ा रेशियो अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे पता चलता है कि कंपनी ने ज़्यादा डिमांड के कारण ज़्यादा सामान बेचा है. इसके उलट, छोटा रेशियो कमज़ोर डिमांड के कारण कम सामान बिकने का संकेत दे सकता है. हालांकि, ज़्यादा बड़ा रेशियो डिमांड के मुताबिक़ इन्वेंट्री की कमी का भी संकेत दे सकता है. इसलिए, इन्वेंट्री टर्नओवर को कंपनी की इंडस्ट्री के संदर्भ में जांचना ज़रूरी है.

ये रेशियो मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर लागू होता है और इसमें BFSI, सर्विस और रियल एस्टेट जैसे दूसरे सेक्टर शामिल नहीं होते हैं. ये रेशियो सेक्टर के आधार पर भी अलग-अलग होता है. उदाहरण के लिए, ब्रिटानिया (जो FMCG सेक्टर की टॉप कंपनियों में से एक है) का पांच साल का एवरेज़ इन्वेंट्री टर्नओवर (average inventory turnover) 15 है. इसके उलट, इसी अवधि के दौरान सन फ़ार्मास्यूटिकल के लिए ये 7.5 है. एवरेज़ इन्वेंट्री टर्नओवर के आधार पर सन फ़ार्मा का प्रदर्शन ब्रिटानिया की तुलना में कम लगता है, पर ये फ़ार्मा कंपनी अपनी इंडस्ट्री में अच्छी स्थिति में है. इंडस्ट्री और बिज़नेस मॉडल के आधार पर इन्वेंट्री टर्नओवर का मूल्यांकन करने से कंपनी की इन्वेंट्री मैनेजमेंट एफ़िशिएंसी के बारे में पता लगाया जा सकता है.

रिसीवेबल्स टर्नओवर (Receivables Turnover)

बिज़नस में उधार या क्रेडिट पर सामान बेचना आम बात है. कोई बिज़नस अपने ग्राहकों से कितनी कुशलता से पेमेंट लेता है ये रिसीवेबल्स टर्नओवर (receivables turnover) से पता चलता है. इसकी कैलकुलेशन सेल्स को एवरेज़ रिसीवेबल्स या देनदारों से भाग देकर की जा सकती है.

ज़्यादा बड़ा रेशियो अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे पता चलता है कि देनदार कम हैं या ग्राहकों से लगातार पेमेंट ली जा रही है. हालांकि, ये सख़्त क्रेडिट पॉलिसियों का भी संकेत दे सकता है. एक-जैसे प्रोडक्ट्स वाले बहुत ज़्यादा कॉम्पिटेटिव मार्केट में, सख़्त पॉलिसी वाली कंपनियां बेहतर या लचीली क्रेडिट पॉलिसी वाले प्रतिद्वंद्वियों के कारण अपने ग्राहक गवा सकती हैं.

कंपनी की इंडस्ट्री के हिसाब से रिसीवेबल्स टर्नओवर जांचना भी ज़रूरी है. आम तौर पर, B2C कंपनियों का रिसीवेबल्स टर्नओवर B2B कंपनियों की तुलना में ज़्यादा होता है. उदाहरण के लिए, नेस्ले का पांच साल का एवरेज़ रिसीवेबल्स टर्नओवर 97 है, जबकि GMM फॉडलर का 8 है. एवेन्यू सुपरमार्ट्स का एवरेज़ रिसीवेबल्स टर्नओवर 649 है, जो कि दोनों कंपनियों से ज़्यादा है. हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि नेस्ले और GMM फ़ॉडलर का रेशियो ख़राब है. हरेक कंपनी के रिसीवेबल्स टर्नओवर का आंकलन संबंधित इंडस्ट्री के हिसाब से किया जाना चाहिए. अगर किसी कंपनी का रिसीवेबल्स टर्नओवर ज़्यादा है तो इसका मतलब उसने संबंधित इंडस्ट्री में अच्छा मुक़ाम हासिल किया है.

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पेबल्स टर्नओवर (Payables Turnover)

जैसे कंपनिया उधार या क्रेडिट पर सामान बेचती हैं, वैसे ही अक्सर कच्चा माल और दूसरी ज़रूरी चीज़ें उधार पर ख़रीदती हैं. पेबल्स टर्नओवर लेनदारों को दी जाने वाली पेमेंट्स को मापता है. इसकी कैलकुलेशन ख़रीद को एवरेज़ पेबल्स (average payables) या लेनदारों द्वारा भाग देकर की जा सकती है. ख़रीद में कच्चा माल, कोई दूसरी ख़रीदारी और इन्वेंट्री में बदलाव शामिल हो सकते हैं.

ज़्यादा बड़ा पेबल्स टर्नओवर अच्छा माना जाता है क्योंकि ये जल्दी की जाने वाली पेमेंट्स और पर्याप्त कैश की उपलब्धता को दर्शाता है. हालांकि, पेबल्स टर्नओवर अगर रिसीवेबल्स टर्नओवर से कम हो तो ये अच्छा माना जाता है. इसके अलावा, लगातार गिरता पेबल्स टर्नओवर एक बुरा संकेत हो सकता है और ये बढ़ते पेबल्स या लेनदारों को पेमेंट में देरी दर्शा सकता है.

कंपनी की इंडस्ट्री के हिसाब से पेबल्स टर्नओवर जांचना भी ज़रूरी है. न तो कम और न ही ज़्यादा बड़ा रेशियो बेहतर माना जाता है. ये किसी अवधि के दौरान कंपनी की इंडस्ट्री और वर्किंग कैपिटल के आधार पर अलग-अलग हो सकता है.

कैश कन्वर्जन साइकिल (Cash Conversion Cycle)

ऊपर बताए गए रेशियो अकेले पूरी तस्वीर नहीं दिखाते हैं. किसी कंपनी की साफ़ तस्वीर देखने के लिए इन रेशियो को एक साथ देखा जाना चाहिए. कैश कन्वर्जन साइकिल इसमें हमारी मदद करता है.

365 को संबंधित रेशियो से भाग देने पर हमें हरेक रेशियो के लिए दिनों की संख्या मिलती है. उदाहरण के लिए, रिसीवेबल्स डेज़ (दिन) दर्शाते हैं कि कंपनी देनदारों से पैसा लेने में कितना समय लेती है, और पेबल्स डेज़ दर्शाते हैं कि लेनदारों को पेमेंट देने में कितना समय लगता है.

कैश कन्वर्जन साइकिल की कैलकुलेशन करने के लिए, रिसीवेबल्स डेज़ को इन्वेंट्री डेज़ के साथ जोड़ें और पेबल्स डेज़ को घटाएं.

ये साइकिल मापता है कि किसी कंपनी को अपने इन्वेंट्री इंवेस्टमेंट को कैश में बदलने में कितना समय लगता है. ये साइकिल जितना छोटा होगा, उतना ही अच्छा है. कैश कन्वर्जन साइकिल नेगेटिव भी हो सकता है. उदाहरण के लिए, पेबल्स डेज़ (payable days) की तुलना में कम रिसीवेबल्स और इन्वेंट्री डेज़ (inventory days) के कारण ब्रिटानिया का साइकिल पिछले दस साल से नेगेटिव बना हुआ है.

इसके लिए भी इंडस्ट्री और बिज़नेस मॉडल के आधार जांच करना ज़रूरी है. उदाहरण के लिए, कैपिटल गुड्स और FMCG कंपनियों के लिए एवरेज़ कैश कन्वर्जन डेज़ (average cash conversion days) क्रमशः 82 और 11 हैं.

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