Anand Kumar
एक दिन, किराने के सामान के ऑर्डर के साथ, मुझे बिटकॉइन एक्सचेंज बेचने का एक सेल्स फ़्लायर मिला. ये नई बात है, क्योंकि जहां तक मुझे पता है, बिटकॉइन के विज्ञापन अब तक किराने के सामान में पैम्फ़लेट के स्तर तक नहीं पहुंचे हैं. इस फ़्लायर में 2050 में बस पकड़ने के लिए दौड़ते हुए एक युवक को दिखाया गया (सही ही है कि तस्वीर AI से बनी थी) था. ये युवक सोच रहा था, "काश, पापा ने 2024 में बिटकॉइन लिया होता." पैम्फ़लेट के पीछे की तरफ़ बिटकॉइन की क़ीमतों का एक ग्राफ़ था, साथ ही एक मैसेज भी, "हर बार बिटकॉइन के आधा (halving) होने के बाद बिटकॉइन की क़ीमतों में उछाल आया है." फ़ाइनेंशियल विज्ञापनों के लिहाज़ से ये इससे ज़्यादा सरल नहीं हो सकता.
हालांकि, मेरे पाठक समझते ही हैं कि बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की वास्तविकता मार्केटिंग की असलियत से कहीं ज़्यादा जटिल और धुंधली है. मूल्य में उछाल का वादा बड़ा लुभावना है, लेकिन क्रिप्टो का अस्थिर स्वभाव इस पर हावी है. इस तरह के पैम्फ़लेट इस तथ्य को नज़रअंदाज़ करते हैं कि ये सेक्टर अचानक होने वाले रेग्युलेटरी बदलावों, साइबर सुरक्षा के ख़तरों और बाज़ार में हेरफेर करने वाली स्कीमों से भरा हुआ है. इसके अलावा, क्रिप्टो के आंतरिक मूल्य की कमी और सट्टेबाज़ी का स्वभाव इसे शायद ही ऐसा एसेट बनाती है जिस पर आप भरोसा कर सकें कि इसे लिया, तो आपके बच्चों को 2050 में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल नहीं करेंगे.
बेचने के इस तरीक़े की सबसे अजीब बात ये नहीं है कि ये क्या कह रहा है बल्कि ये है कि ये क्या नहीं करता है. किसी भी दूसरे फ़ाइनेंशियल प्रोडक्ट के उलट, इस पैम्फ़लेट पर कोई डिस्क्लेमर नहीं था. इस देश में (जैसा कि किसी भी अच्छी तरह से रेग्युलेट होने वाले मार्केट में होता है) कोई भी व्यक्ति पर्याप्त क़ानूनी जांच और डिक्स्केमर के बिना किसी भी फ़ाइनेंशियल प्रोडक्ट का विज्ञापन या प्रचार नहीं कर सकता है. मिसाल के तौर पर म्यूचुअल फ़ंड को ही लें. चाहे किसी ने इसमें निवेश किया हो या न किया हो, उन्होंने 'म्यूचुअल फ़ंड बाज़ार जोख़िमों के अधीन हैं' सुना या पढ़ा होगा. और फिर भी, बिटकॉइन को बिना किसी चेतावनी या डिक्स्केमर के विज्ञापित किया जा सकता है. इस पैम्फ़लेट में बस इतना ही लिखा था, 'भारतीय सरकार द्वारा रजिस्टर्ड'.
पिछले साल FTX की पतन के बाद, मैं असल में भारत में आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी रेग्युलेशन की कमी से ख़ुश था. एक हद तक, कोई कह सकता है कि क्रिप्टो को बिना रेग्युलेशन के ही रहना चाहिए, जिससे इसमें शामिल होने वाले व्यक्ति अपने काम के नतीजों का सामना कर सकें. आख़िर लोगों को उनकी अपनी शर्तों पर फ़ाइनेंशियल बर्बादी का रिस्क उठाने की आज़ादी होनी ही चाहिए.
हालांकि, उम्मीद के विपरीत, FTX घोटाला क्रिप्टो के ताबूत में आख़िरी कील साबित नहीं हुआ है. इससे पता चलता है कि क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट ग्लोबल फ़ाइनेंस में स्थाई तौर पर क़ायम रह सकती है. FTX की घटना ने दिखाया है कि एक क्रिप्टो वेंचर दुनिया भर के निवेशकों से अरबों ले सकता है, इसे पूरी तरह से ग़लत ढंग से मैनेज कर सकता है, मगर तब भी क्रिप्टोकरेंसी के बुनियादी सिद्धांतों को मौलिक रूप से कमज़ोर नहीं कर सकता. यहां मुनाफ़े की संभावना बहुत ज़्यादा है और आसानी से हासिल किया जा सकता है.
हम एक ऐसी स्टेज में पहुंच गए हैं जहां हर कोई सोचता है कि क्रिप्टोकरेंसी एक वैध या क़ानूनी तौर पर स्वीकार्य एसेट क्लास है. हालांकि कुछ रेग्युलेटरी बाधाएं हो सकती हैं, लेकिन अंततः इन्हें दूर कर दिया जाएगा. जैसा कि मुझे मिले सेल्स के पैम्फ़लेट में दावा किया गया था, मूल्य में एक और उछाल होना ही है, जिसके नतीजे में क्रिप्टो रखने वालों की पूंजी में ज़बरदस्त बढ़ोतरी होगी.
जहां हरेक उछाल के साथ, दुनिया भर के बेखबर बचत करने वालों की एक नई लहर अपनी फ़ाइनेंशियल हेल्थ को रिस्क में डाल देगी. और हर एक लहर में, शिकार होने वालों का एक नया समूह जुड़ता जाएगा. कोई भी सट्टेबाज़ी वाला एसेट, जो बेतरतीब ढंग से दोगुना और आधा हो सकता है, नए लोगों को लुभाने और शोषण करने के लिए तैयार होता है. स्पष्ट तौर पर, ये भूमिका अब बिटकॉइन निभा रहा है. बदक़िस्मती से, ये निकट भविष्य में भी जारी रह सकता है.
आम निवेशक के तौर पर हमें जिन सवालों का जवाब देना है, वो ये हैं कि हम इसके बारे में क्या करने जा रहे हैं? हम इस पागलपन से ख़ुद को कैसे बचाएंगे? अंत में, इस ख़तरनाक खेल में सावधानी से आगे बढ़ने की ज़िम्मेदारी हर किसी पर आती है. तुरंत पैसा पा लेने का लालच आपके पैसों से जुड़े फ़ैसलों के आधार का सिद्धांत नहीं हो सकता. कुछ लोग हैं जो इसे समझेंगे और कुछ ऐसे हैं जो नहीं समझेंगे. आप किस ग्रुप का हिस्सा में होंगे?
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