म्यूचुअल फ़ंड में SIP और Lump Sum निवेश क्या है? - एक रीडर
What is Lump Sum investment in Mutual Fund: सीधे तौर पर कहें तो एकमुश्त निवेश (lump sum) की तुलना में SIP बेहतर है, हालांकि ऐसा कहने के पीछे कोई ख़ास नियम नहीं है. बस ये माना जाता है कि SIP, एकमुश्त निवेश की तुलना में बेहतर है. बहरहाल इसे समझने के लिए आपको ये जानना होगा कि SIP क्या है और Lump Sum निवेश क्या है?
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सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) क्या है?
SIP में आप अपना निवेश क़िश्तों में करते हैं. दूसरे शब्दों में, ये हर महीने की एक तय रक़म अपने चुने हुए फ़ंड में डालने की सुविधा है. इसके कई फ़ायदे हैं. SIP निवेशक चुनी गई म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में हर महीने एक तय रक़म (जो आम तौर पर न्यूनतम ₹100 महीना होती है) निवेश कर सकता है. बैंक ई-मैंडेट के साथ ये ऑटोमैटिक की जा सकती है, जिसमें आपकी SIP की रक़म आपके बैंक अकाउंट से अपने-आप हर महीने एक तय दिन पर काट ली जाती है. SIP से निवेशक में निवेश को लेकर नियम और अनुशासन आता है.
Lump Sum निवेश क्या है?
Lump Sum निवेश के ज़रिए आप म्यूचुअल फ़ंड में एकमुश्त पैसा निवेश करते हैं. एकमुश्त निवेश में आप बाज़ार की स्थिति को ध्यान में रखकर निवेश करते है और उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते है. हालांकि, पूरा निवेश एक ही बार में करने में रिस्क ज़्यादा होता है. दरअसल, हो सकता है जब आप निवेश कर रहे हों, तो बाज़ार ऊंचा हो या ये भी हो सकता है कि आपके निवेश करते ही किन्हीं कारणों से बाज़ार में बड़ी गिरावट आ जाए.
एक्सपर्ट्स की मानें तो Lumpsum में इकट्ठा की हुई बड़ी रक़म तभी लगानी चाहिए जब आपको बाज़ार की अच्छी समझ हो. इसमें आपकी छोटी सी गलती बड़ा नुक़सान करा सकती है. अगर आप नए हैं और आप मार्केट में कम रिस्क लेना चाहते हैं, तो अच्छा रिटर्न SIP एक बेहतर और कम जोख़िम भरा विकल्प हो सकता है.
SIP कैसे काम करती है?
SIP के ज़रिए म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने से निवेशकों को अपने निवेश की लागत को औसत करने में मदद मिलती है. साथ ही, ये निवेश की आदत भी बनाती है क्योंकि जब आप हर महीने अपनी सैलरी का एक हिस्सा SIP के लिए अपने अकाउंट से कटवाते हैं और निवेश करते हैं तो ये सहज और स्वाभाविक चीज़ हो जाती है.
म्यूचअल फ़ंड SIP में आपका पैसा कहां निवेश होता है?
म्यूचुअल फ़ंड अलग-अलग इन्वेस्टर से पैसे लेकर उन्हें स्टॉक और होल्डिंग कहलाने वाले दूसरे मार्केट इंस्ट्रुमेंट में इन्वेस्ट करते हैं. इन्हीं अलग-अलग होल्डिंग का कलेक्शन म्यूचुअल फ़ंड का पोर्टफ़ोलियो कहलाता है. कई तरह के फ़ंड्स होते हैं जिनका अलग-अलग मैंडेट होता है. इसी मैंडेट के मुताबिक़, हर फ़ंड अपना निवेश इक्विटी या डेट इंस्ट्रुमेंट्स में करता है.
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SIP के 6 बड़े फ़ायदे
1. फ़ंड निवेश को मैनेज करने में आसानी
इसमें आप कभी भी म्यूचुअल फ़ंड ख़रीद और बेच सकते हैं और जितने चाहे उतने फ़ंड ख़रीद सकते हैं. अब सब कुछ आसानी से ऑनलाइन हो जाता है.
2. बहुत से ऑप्शन मिलते हैं
म्यूचुअल फ़ंड, कम पैसे के निवेश में डाइवर्सिफ़िकेशन(कई जगह किया जाने वाला निवेश) का ऑप्शन देता है. यानी किसी भी एक फ़ंड में लगा आपका पैसा, कई शेयरों या बॉन्ड्स में लगा होता है.
3. निवेश का कम ख़र्च
म्यूचुअल फ़ंड का ख़र्च (जिसे एक्सपेंस रेशियो कहते हैं), आमतौर पर आपके निवेश का 1.5-2.5% होता है. ये एक्सपेंस रेशियो एक फ़ीस है. ये फ़ीस इसलिए कम होती है क्योंकि एक म्यूचुअल फ़ंड में बहुत से लोग निवेश करते हैं इसलिए ये ख़र्च सबके बीच बंट जाता है.
4. सारी जानकारी निवेशकों से साझा की जाती है
म्यूचुअल फ़ंड्स को SEBI रेगुलेट करता है और फ़ंड की यूनिट वैल्यू (NAV यानी नेट एसेट वैल्यू) या क़ीमत हर रोज़ घोषित की जाती है. हरेक फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो को भी हर महीने अपनी सारी ज़रूरी जानकारियां सार्वजनिक करनी होती हैं.
5. टैक्स बचत का फ़ायदा
आप इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत अपने फ़ाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट के लिए हर फ़ाइनेंशियल ईयर में अधिकतम ₹1.5 लाख तक टैक्स में छूट ले सकते हैं. इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश का एक बड़ा कारण टैक्स सेविंग है.
6. एक्सपर्ट-मैनेजमेंट
आपके म्यूचुअल फ़ंड निवेश का मैनेजमेंट एक्सपर्ट और प्रोफ़ेशनल फ़ंड मैनेजर द्वारा किया जाता है. इसके साथ रिसर्च करने वालों की एक बड़ी टीम भी होती है. फ़ंड मैनेजर आपके पैसों के लिए निवेश की स्ट्रैटजी तैयार करते हैं. रिसर्च टीम, निवेश के लिए फ़ंड के मैंडेट (निवेश के उद्देश्य) के मुताबिक़ निवेश का ज़रिया चुनती है.
हमारी राय
ऊपर बताई गई बातों से बिल्कुल साफ़ है कि हो सकता है एकमुश्त निवेश ऐसे समय किया गया हो जब बाज़ार में तेजी हो या फिर निवेश ऐसे समय में भी हो सकता है जब बाज़ार निचले स्तर पर हो. ऐसे में आपका एकमुश्त निवेश, SIP से बेहतर रिटर्न भी दे सकता है. लेकिन एक साल से ज़्यादा समय के निवेश के लिए SIP क़रीब-क़रीब हमेशा बेहतर रहती है. हालांकि, निवेशकों को ये भी समझना चाहिए कि SIP के ज़रिए निवेश करने में ग़लतियों की गुंजाइश कम होती है जबकि एकमुश्त रक़म निवेश करने की प्रक्रिया में ग़लतियों की गुंजाइश ज़्यादा है.
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