टैक्स कैलकुलेटर

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टैक्स बचाना चाहते हैं लेकिन नहीं जानते कि किससे पूछें, तो आप सही जगह पर आए है। हमारा आसान ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर नई या पुरानी टैक्स रिज़ीम (कर व्यवस्था) के तहत कुल दिए जाने वाले टैक्स का अंदाज़ा लगाने के लिए ग्रॉस एनुअल इनकम, बेसिक मंथली सैलरी, टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट और HRA जैसे फ़ैक्टर्स पर विचार करेगा। सैलरी टैक्स कैलकुलेटर आपको तुरंत अनुमानित आंकड़ा देकर आपका क़ीमती समय और पैसा, दोनों बचाने में आपकी मदद करेगा।

  • अपनेे लिए सबसे अच्छा टैक्स सिस्टम चुनें (पुराना बनाम नया)
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आपकी उम्र क्या है?

साल

आमदनी का ब्यौरा

कुल वार्षिक वेतनInfo-icon

कृपया, अगर कंपनी का NPS में योगदान है तो उसे घटाकर, अपनी कुल वार्षिक आय लिखें

बैंक के बचत खाते का मिलने वाला सालाना ब्याज

80TTA/80TTB की छूट

टैक्स के दायरे में आने वाली अन्य आय

वेतन और ब्याज की आमदनी के अलावा टैक्स के दायरे में आने वाली आमदनी जिसे पहले ही ऊपर लिखा गया है मगर जिसमें कैपिटल गेन्स शामिल नहीं है

आपका बेसिक मासिक वेतनInfo-icon

अपनी पे-स्लिप से 'बेसिक सैलेरी' का अंश एंटर करें। इसमें महंगाई भत्ता (DA) यदि हो तो शामिल करें

आपके EPF डीटेल

कर्मचारी का EPF में मासिक योगदान

आपकी कंपनी EPF में कितना योगदान देती है?


आपके NPS डीटेल

कर्मचारी का NPS में मासिक योगदान

आपकी कंपनी NPS में कितना योगदान देती है?

क्या आप सरकारी कर्मचारी हैं?

नहीं
हां

नेशलन पेंशन स्कीम (NPS) में स्वतंत्र निवेशInfo-icon

वित्तीय वर्ष के दौरान एनपीए टियर 1 अकाउंट में निवेश

क्या आपको अपनी सैलरी में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) मिलता है?

नहीं
हां

आप हर माह कितना किराया देते हैं?Info-icon

असल किराया जो आप हर माह देते हैं

आपका मासिक हाउस रेंट अलाउंस (HRA)Info-icon

अपनी वेतन की स्लिप में दिया गया हाउस रेंट अलाउंस (HRA) भरें

क्या आप दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या चेन्नई में रहते हैं?

नहीं
हां

क्या आपने घर का लोन ले रखा है?

नहीं
हां

ब्याज और मूल जिसे वित्त-वर्ष के दौरान वापस किया जाना है

मूल राशि

सैक्शन 80सी के तहत छूट

पूरे वित्त-वर्ष के लिए रक़म एंटर करें। उदाहरण के लिए, अगर आपकी ELSS फंड की कोई SIP चल रही है, तो पूरे वित्त-वर्ष के लिए प्लान की गई रक़म एंटर करें।


लाइफ़ इन्‍श्‍योरेंसInfo-icon

अपने लिए, पत्नी/ पति और बच्चों के लिए दिया जाने वाला वार्षिक प्रीमियम

PPFInfo-icon

वित्तीय वर्ष के दौरान निवेशित पब्लिक प्रॉविडेंट फंड

इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम (ईएलएसएस)Info-icon

वित्तीय वर्ष के दौरान टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश

नेशनल सेविंग सर्टिफ़िकेट (एनएससी)Info-icon

वित्तीय वर्ष के दौरान नेशनल सेविंग सर्टिफ़िकेट में निवेश

5-वर्ष फिक्स डिपॉज़िटInfo-icon

वित्तीय वर्ष के दौरान 5-वर्ष के फ़िक्स डिपॉज़िट टैक्स सेविंग में निवेश

ट्यूशन फ़ीInfo-icon

वित्तीय वर्ष के दौरान अधिकतम दो बच्चों के स्कूल या कॉलेज की दी गई ट्यूशन फ़ीस का अंश

सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम (एससीएसएस)Info-icon

वित्तीय वर्ष के दौरान सीनियर सिटिज़न इन्वेस्टमेंट स्कीम में निवेश

कोई औरInfo-icon

कोई और डिडक्शन जो सेक्टर 80C के तहत मिलते हैं

दूसरे डिडक्शन

डोनेशन (सेक्शन 80G)

एजुकेशन लोन पर ब्याज (सेक्शन 80E)

कोई और Info-icon

दूसरे डिडक्शन जो सेक्शन 80C के तहत मौजूद हैं

क्या आप किसी के लिए कोई हेल्थ इन्श्योरेंस प्रीमियम देते हैं?

नहीं
हां

आप हेल्थ इन्श्योरेंस के लिए कितना प्रीमियम देते हैं? (अपना, पत्नी/ पति, बच्चे) Info-icon

वार्षिक प्रीमियम जो हैल्थ इन्शोरेंस पॉलिसी के लिए दिया गया

आप अपने माता-पिता के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए कितना प्रीमियम देते हैं? Info-icon

वार्षिक प्रीमियम जो माता-पिता की हैल्थ इन्शोरेंस पॉलिसी के लिए दिया गया

आपके माता-पिता में से जो बड़े है उनकी उम्र कितनी है, जिनके लिए आप प्रीमियम देते हैं? Info-icon

परिवार के सबसे बड़ी आयु के व्यक्ति जिनका बीमा हुआ हो उनकी आयु

साल
साल

आपका संभावित टैक्स

लोडिंग...

सालाना आय ₹0

बेसिक सैलरी( महीने )

आपकी उम्र

EPF में कर्मचारी का योगदान( महीने ) ₹0

EPF में कंपनी का योगदान( महीने ) ₹0

NPS में कंपनी का योगदान( महीने ) ₹0

NPS में कंपनी का योगदान( महीने ) ₹0

मासिक किराया( महीने ) ₹0

मासिक HRA( महीने ) ₹0

मेट्रो में रहते हैं -

ब्याज दिया -

मूल राशि ₹0

मौजूदा छूट ₹0

लाइफ़ इन्‍श्‍योरेंस ₹0

PPF ₹0

इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) ₹0

नेशनल सेविंग सर्टिफ़िकेट (एनएससी) ₹0

5-वर्ष फिक्स डिपॉज़िट ₹0

ट्यूशन फ़ी ₹0

सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम (एससीएसएस) ₹0

कोई और ₹0

डोनेशन (सेक्शन 80G) ₹0

एजुकेशन लोन पर ब्याज (सेक्शन 80E) ₹0

कोई और ₹0

आप हेल्थ इन्श्योरेंस के लिए कितना प्रीमियम देते हैं? (अपना, पत्नी/ पति, बच्चे) ₹0

आप अपने माता-पिता के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए कितना प्रीमियम देते हैं? ₹0

इनकम टैक्स कैलकुलेटर (Income Tax Calculator )क्या है?

इनकम टैक्स कैलकुलेटर एक ऑनलाइन टूल है जो ये कैलकुलेट करने में आपकी मदद करता है कि आपकी इनकम के आधार पर आपको कितना टैक्स देने की ज़रूरत है. अलग-अलग इनकम टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों को अपनी सालाना आमदनी पर के एक हिस्से पर टैक्स देना होता है.

आप हर महीने अपनी सैलरी मिलने के समय अपना इनकम टैक्स अदा कर सकते हैं. या फिर, आप सेट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) द्वारा मैनेज किए जा रहे इनकम टैक्स पोर्टल पर जा सकते हैं और अपना टैक्स अदा कर सकते हैं. इनकम टैक्स कैलकुलटेर का इस्तेमाल करते समय, आपको कुछ बेसिक डिटेल जमा करने होंगे, इसमें आपकी सालाना आमदनी और ख़र्च शामिल होते हैं जिनमें होम लोन EMI शामिल होगी, एजुकेशन लोन का ब्याज (अगर है), आपका टैक्स बचत के निवेश, आपका किराया, ट्यूशन फ़ीस जैसी चीज़ें शामिल होंगी.

साल 2020 के बजट के दौरान, भारत सरकार ने एक नई टैक्स रिज़ीम (new tax regime) शुरू की और पुरानी टैक्स रिज़ीम (old tax regime) को भी जारी रखा. अब, आपके पास हर साल, वित्त-वर्ष की शुरुआत में नई या पुरानी टैक्स रिज़ीम को चुनने का विकल्प है. चाहे आप किसी भी रिज़ीम को चुनें, आप अपना इनकम टैक्स भारत के किसी भी टैक्स कैलकुलेटर पर टैक्स कैलकुलेट कर सकते हैं.

हमारा इनकम टैक्स कैलकुलेटर 2023-24 के यूनियन बजट में प्रस्तावित बदलावों के मुताबिक़ काम करता है.

इनकम के स्रोत क्या होते हैं?

जब बात इनकम टैक्स की हो, तो आपकी आमदनी या इनकम को इन हिस्सों में बांटा जा सकता है:

  • सैलरी से होने वाली इनकम: आपकी जो आमदनी इस माध्यम से होती है, उस पर इस मद में टैक्स लगता है. हालांकि, इसके तहत टैक्स देने के लिए नियोक्ता-कर्मचारी (employer-employee) का संबंध होना ज़रूरी है.

  • कैपिटल गेन से होने वाली इनकम: ये तब होता है जब आप अपने किसी कैपिटल एसेट को बेचने पर प्रॉफ़िट कमाते हैं. ये टैक्स उसी वित्त-वर्ष में लिया जाता है जिसमें आप सेल करते हैं.

  • संपत्ति से मिलने वाली इनकम: इसमें टैक्सपेयर को किराए से होने वाली आमदनी शामिल की जाती है. ये आमदनी एक ख़ास संपत्ति (जैसे मकान) की सालाना क़ीमत पर आधारित होती है, जो सेक्शन 23 के प्रावधानों के तहत तय की जाती है.

  • किसी बिज़नस या व्यवसाय की इनकम: अगर आपको किसी बिज़नस या पेशे से आमदनी होती है, जैसे कि वकालत, डाक्टरी, आदि, तो ऐसी आमदनी इसके तहत टैक्स के दायरे में आती है.

  • अन्य स्रोतों से मिलने वाली इनकम: इसके तहत वो सारी आमदनी शामिल होती है जो ऊपर दिए चार इनकम के स्रोतों के अलावा होती है. हालांकि, सभी ख़र्चों को इस मद में कटौती के तौर पर नहीं माना जाता है. उनमें से कुछ में डिविडेंड से इनकम, खेलों में जीतने से मिलने वाली पुरस्कार राशि आदि शामिल हैं.

इनकम टैक्स कैसे कैलकुलेट करें?

जब बात इनकम टैक्स कैलकुलेटर के इस्तेमाल से इनकम टैक्स कैलकुलेट करने की हो, तो आपको ये स्टेप फ़ॉलो करने चाहिए:

स्टेप 1: Gross Taxable Income: कुल टैक्स योग्य आमदनी पता लगाएं: इसे कैलकुलेट करने के लिए, आपको अपनी कुल सैलरी से सभी कटौतियों को हटाने के बाद अपनी नेट सैलरी तय करनी होगी. फिर, अगर आपके पास आमदनी के दूसरे स्रोत हैं, तो आपको उस आमदनी को अपने शुद्ध वेतन में जोड़ना होगा. तब, आपको अपनी सकल कर योग्य आय जानना संभव होगा.

स्टेप 2: Total Tax Benefits: अपने टैक्स के सभी बेनेफ़िट पता लगाएं: अब, अगर आपके पास कोई टैक्स -सेविंग के लिए किया गया निवेश है या अगर आपको कोई छूट मिलती है, तो आपको कुल बेनेफ़िट्स की गणना करने की ज़रूरत है. आपके कुल टैक्स बेनेफ़िट्स में सेक्शन 80C के तहत आपके सभी निवेश, आपके होम लोन का इंटरेस्ट (यदि कोई हो), हेल्थ इन्श्योरेंस प्रीमियम और अन्य शामिल हो सकते हैं.

स्टेप 3: अपनी कुल टैक्सेबल इनकम का पता लगाएं: अब, आपको अपनी कुल टैक्सेबल इनकम जानने की ज़रूरत है. इसके लिए आपको अपनी टैक्सेबल इनकम से कुल टैक्स बेनेफ़िट घटाने होंगे. तो, इसका फॉर्मूला है: आपकी कर योग्य आय = आपकी कुल कर योग्य आय - आपके कुल टैक्स बेनेफ़िट्स

स्टेप 4: अपनी कुल टैक्स लायबिलिटी का पता लगाएं: अब, आप ख़ुद पर लागू स्लैब रेट के अनुसार फ़ाइनेंशियल ईयर के लिए अपनी इनकम टैक्स की लायबिलिटी पता लगा सकते हैं. आप नए या पुराने टैक्स रीज़ीम. में से कोई एक विकल्प चुन सकते हैं.
बजट 2020 में घोषित नए टैक्स रीज़ीम में स्लैब रेट कम हैं. लेकिन याद रखें कि अगर आप नई टैक्स रीज़ीम चुनते हैं, तो आपको सेक्शन 80C और HRA सहित कई कटौतियां नहीं मिल सकती हैं. नीचे दी गई टेबल से ये समझने में मदद मिलेगी कि आपको पुरानी और नई टैक्स रीज़ीम में कितना टैक्स देना होगा.TAX Calculator

पुरानी टैक्स रीज़ीम के तहत उपलब्ध कटौती/ छूट

अगर आप पुरानी टैक्स रीज़ीम चुनते हैं, तो आपको निम्नलिखित कटौती और छूट का फ़ायदा मिलेगाः

सेक्शन कटौती/ छूट
1. सेक्शन 16 सैलरी पाने वाले लोगों के लिए ₹50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन
2. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 का सेक्शन 10 (5) LTA
3. सेक्शन 80C ₹1,50,000 तक
4. सेक्शन 80D मेडिकल ख़र्च
5. सेक्शन 80E हाइयर एजुकेशन लोन का ब्याज
6. सेक्शन 80G चैरिटी का डोनेशन या दान
7. सेक्शन 80TTA सेविंग अकाउंट से ब्याज की आय पर रु. 10,000 तक
8. सेक्शन 24 जिस घर में रह रहे हैं उसके होम लोन के ब्याज पर रु. 2 लाख तक

नई टैक्स रिज़ीम के तहत कटौती/छूट

ये कुछ कटौतियां और छूट हैं, जो नई टैक्स रिज़ीम के तहत मिलती हैं:

सेक्शन कटौती/ छूट
1. सेक्शन 24 (b) किराए पर दिए घर का लोन पर जो ब्याज दिया गया
2. 80CCD (1B) NPS पर इंप्लॉयर का योगदान
3. सेक्शन 80C सुकन्या समृद्धि योजना और PPF ब्याज और मेच्योरिटी के फ़ायदे
4. सेक्शन 80CCH कॉर्पस फ़ंड के डिडक्शन या कटौती
5. सेक्शन 80CCH अग्निवीर C में आपका योगदान
6. सेक्शन 57(iia) पारिवारिक पेंशन की आमदनी की डिडक्शन
7. सेक्शन 16 रु. 50,000 वेतन पाने वालों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन

वैल्यू रिसर्च धनक का इनकम टैक्स कैलकुलेटर कैसे इस्तेमाल करें?

वैल्यू रिसर्च धनक पर हमारा इनकम टैक्स कैलकुलेटर इस्तेमाल में बेहद आसान है. इसमें आप अपने टैक्स के दायरे में आने वाली आमदनी पर टैक्स कैलकुलेट कर सकते हैं. हमारा इनकम टैक्स कैलकुलेटर पुरानी या नई टैक्स रिज़ीम के तहत आपके कुल टैक्स का अंदाज़ा लगाने के लिए आपकी उम्र, बेसिक मासिक वेतन, HRA, सकल वार्षिक आय और टैक्स-बचत के निवेश सहित सभी ज़रूरी फ़ैक्टर्स शामिल करता है. यहां हमारे कर कैलकुलेटर का इस्तेमाल करने के लिए स्टेप-बाइ-स्टेप गाइड दी गई है.

  1. यहां क्लिक करें: https://dhanak.valueresearchonline.com/calculators/ और टैक्स कैलकुलेटर टूल ‘ज़रूरी टूल्स’ टैब के नीचे मिलेगा.Essential Tools
  2. टैक्स कैलकुलेटर आइकन पर क्लिक करें, और पेज खुल जाएगा.Tax Calculator in India
  3. अब ज़रूरी जानकारी दिए गए बॉक्स में भरें और ‘अगला’ टैब पर क्लिक करें.Income Tax Calculator
  4. दिए गए बॉक्स को भरें और ‘अगला’ टैब पर क्लिक करें.New Tax Regime Calculator
  5. इस पेज पर, आपको कुछ और जानकारियां देनी होंगी और फिर ‘अगला’ टैब पर क्लिक करें.Tax Calculator Declaration
  6. अब, आपको सेक्शन 80C के तहत आने वाली सारी कटौतियां (deductions) सबमिट करनी हैं. इनमें पूरे फ़ाइनेंशियल ईयर की आपकी ELSS की SIPs और दूसरे निवेश शामिल हैं. एक बार आप सबमिट कर देते हैं, तो ‘अगला’ टैब पर क्लिक करें.Deductions Under Section 80
  7. इस पेज पर, आपको दूसरे डिडक्शन सब्मिट करने होंगे. अगर आप पर टैक्स बनता है तो ‘कैलकुलेट टैक्स’ टैब पर क्लिक करें. आपको कुछ सेकंड के भीतर नतीजे मिल जाएंगे.Calculate Tax

वैल्यू रिसर्च धनक का इनकम टैक्स कैलकुलेटर इस्तेमाल करने के फ़ायदे

बात जब आपके आर्थिक लक्ष्यों की हो, तो उन्हें हासिल करने के लिए आपको सावधानी से प्लान करना चाहिए. इस काम में वैल्यू रिसर्च धनक का इनकम टैक्स कैलकुलेटर आपकी काफ़ी मदद करेगा. हमारे इनकम टैक्स कैलकुलेटर के कुछ फ़ायदे इस तरह हैं.

  • आपके लिए बेहतर टैक्स रिज़ीम चुनने में आपकी मदद करेगा: अब, आप नई या पुरानी टैक्स रिज़ीम के तहत टैक्स फ़ाइल कर सकते हैं. हमारे इनकम टैक्स कैलकुलेटर से, आप दोनों रिज़ीम के तहत आपकी टैक्स देनदारी कितनी होगी इसे समझ सकते हैं.. इसके अलावा, हमारा टैक्स कैलकुलेटर आपको टैक्स बचाने के आइडिया भी देगा.

  • इस्तेमाल में आसान: हमारा इनकम टैक्स कैलकुलेटर इस्तेमाल में बेहद आसान है. आपको सिर्फ़ अपनी कुछ बेसिक डिटेल देनी होंगी, जो कि आसानी से उपलब्ध है. इसमें बस कुछ ही क्लिक लगेंगे. आप इसे कभी भी और कहीं से भी कर सकते हैं, और वो भी फ़्री!

  • आपकी फ़ाइनेंशियल प्लानिंग में मदद करता है: हममें से ज़्यादातर लोगों को टैक्स बचाने के तरीक़े नहीं पता होते, जिसमें ELSS स्कीम हैं होम लोन पर मिलने वाला टैक्स का फ़ायदा है, NPS और इसी तरह के और तरीक़े हैं. हमारा इनकम टैक्स कैलकुलेटर इन सभी फ़ीचर्स को ध्यान में रख कर आपको ये बताता है कि आप टैक्स कैसे बचा सकते हैं.

इनकम टैक्स कैलकुलेटर के कुछ आम इस्तेमाल होने वाले टर्म

  • एग्ज़मशन या छूट: छूट का मतलब है आपकी आमदनी की ऐसी कुल रक़म जिसे टैक्स कैलकुलेट करने में शामिल नहीं किया जाता. छूट के कुछ उदाहरणों में से आपके वेतम में शामिल LTA (Leave Travel Allowance) का हिस्सा, टैक्स-फ़्री बॉन्ड से कमाया गया ब्याज और इसी तरह से कुछ और छूट.

  • डिडक्शन या कटौती: चैप्टर VI-A पर आधारित, और साथ ही सेक्शन 80 के तहत आपको, टैक्स के दायरे में आने वाली कुल आमदनी पर कटौती की छूट मिलती है. आप ये टैक्स कटौती अपने बच्चे की ट्यूशन फ़ीस की मद में ले सकते हैं, अपनी, लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी की एवज में और इसी तरह की कुछ और मद में पाते हैं.

  • फ़ाइनेंशियल ईयर या वित्त-वर्ष: इस अवधि में, आपको अपने सभी निवेशों के डिटेल इकट्ठा करने और सबमिट करने होंगे. ये विचाराधीन या किसी विशिष्ट वर्ष की 01 अप्रैल को शुरू होता है और अगले साल की 31 मार्च को ख़त्म होता है.

  • असेसमेंट ईयर या आकलन वर्ष: विचाराधीन या किसी विशिष्ट वित्तीय वर्ष के लिए आपकी सभी आमदनी का मूल्यांकन अगले वित्तीय वर्ष में किया जाता है. इसे असेसमेंट ईयर कहा जाता है.

  • प्रीवियस ईयर या पिछला वर्ष: एक निर्धारण वर्ष में पिछले वित्तीय वर्ष की आमदनी का आकलन किया जाता है. फिर, पिछले वित्तीय वर्ष को पिछले वर्ष के रूप में जाना जाता है.

अन्य टूल और कैलकुलेटर और देखेंright-arrow

संबंधित आलेख

इनकम टैक्स कैलकुलेटर: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

इनकम टैक्स कैलकुलटेर TDS को शामिल नहीं करता है. हालांकि, आकलन वर्ष (असेसमेंट ईयर) के लिए टैक्स की सारी देनदारी इसमें तय की जाती है.

जब वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए छूट सीमा की बात आती है, तो ये HUFs और NRIs सहित सभी के लिए 2.5 लाख रुपये तक है.

केंद्रीय बजट 2022 में कुछ प्रमुख कर प्रावधान प्रस्तुत किए गए. इनमें शामिल हैं:

  • अगर आप अपडेट किए रिटर्न दाखिल करना चाहते हैं, तो आप इसे पिछले मूल्यांकन वर्ष (असेसमेंट ईयर) से शुरू होने वाले दो वर्षों के भीतर दाखिल कर सकते हैं.
  • एसेट्स (परिसंपत्तियों) पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन के लिए, 15 प्रतिशत सरचार्ज (अधिभार) लागू होगा.
  • जब NPS, में इंप्लॉयर (नियोक्ता) के योगदान की बात आती है, तो राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारी 14 प्रतिशत तक की कटौती (डिडक्शन) का फ़ायदा ले सकते हैं.
  • अगर आपको उपहार के तौर पर कोई वर्चुअल डिजिटल एसेट मिलता है, तो इसके लिए पाने वाले को टैक्स देना होगा.
  • विभिन्न डिजिटल एसेट से मिलने वाली आय पर 30 प्रतिशत टैक्स होता है.
  • अगर आप कोई वर्चुअल डिजिटल एसेट बेचते हैं, तो 1 प्रतिशत का TDS लगाया जाएगा.

नहीं, नई टैक्स रिज़ीम अनिवार्य नहीं है. हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में, आप नई या पुरानी टैक्स व्यवस्था को अपना सकते हैं.

नई टैक्स रिज़ीम का कोई कैलकुलेटर मार्केट में उपलब्ध नहीं है. 2023-24 के लिए अपनी इनकम कैलकुलेट करने के लिए आप किसी भी इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

अगर आप नई टैक्स रिज़ीम का विकल्प चुनते हैं, तो आपको चैप्टर VIA के तहत कोई डिडक्शन नहीं मिलेगा. इनमें शामिल है 80CCD, 80C, 80CCC, 80GG, 80GGC, 80GGA, 80DDB, 80G, 80DD, 80E और 80D. इसके अलावा, अगर आपकी पारिवारिक पेंशन से कोई आमदनी है या हाउसिंग लोन है, तब भी आपको कोई डिडक्शन नहीं मिलेगा. साथ ही, LTA और HRA जैसे अलाउंस की भी अनुमति नहीं है.

इनकम टैक्स (आयकर) की गणना हमेशा नेट सैलरी पर की जाती है. इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते समय, आपको अपनी नेट सैलरी तब मिलेगी जब आप अपने कुल वेतन से अपनी सभी कटौतियाँ और भत्ते घटा देंगे.

आपकी कर योग्य आय या टैक्स के दायरे में आने वाली आमदनी को कम करने के कई तरीक़े हैं. आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत आप 1,50,000 रुपये तक की छूट पा सकते हैं. हालांकि, याद रखें कि यदि आप नई कर व्यवस्था चुनते हैं, तो आपको ये कटौतियाँ नहीं मिलेंगी. इसके अलावा, आप मकान किराया, होम लोन, NPS योगदान और स्वास्थ्य बीमा पर छूट का दावा कर सकते हैं.

अपनी कुल कर योग्य आय और कुल देय कर की गणना करें. कर प्रतिशत की गणना का सूत्र इस प्रकार है:

कर प्रतिशत = कुल देय कर शुद्ध कर योग्य आय

किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए अपना कुल कर योग्य आय लें और फिर इसे 12 महीने से विभाजित करें.

यदि आपकी कर योग्य आय एक वित्तीय वर्ष में मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये से अधिक हो जाती है, तो आपको आयकर रिटर्न. दाखिल करना चाहिए. हालांकि, अगर आप नई टैक्स रिज़ीम या नई कर व्यवस्था चुनते हैं और आपकी कुल कर योग्य आय 3 लाख से अधिक हो जाती है, तो आपको आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा. इसके अलावा कुछ अन्य मामले भी हैं. निम्न तालिका बेहतर तरीक़े से समझाएगी.

Other's who need to file tax return

हालांकि, कुछ अन्य अपवाद भी हैं.

आपको कई विवरण जमा करने होंगे. इसमें शामिल है:

  • आपका पता, पैन नंबर और आधार नंबर सहित बुनियादी जानकारी.
  • आपकी आय के सभी विवरण, जिसमें आपके वेतन, गृह संपत्ति और अन्य स्रोतों से मिलने वाली आय शामिल है.
  • वित्तीय वर्ष का बैंक विवरण
  • यदि आपने कोई TDS या अग्रिम कर का भुगतान किया है, तो भुगतान प्रमाण
  • चैप्टर VIA के अंतर्गत आने वाली कटौतियों के बारे में सभी जानकारी

आपको अपना आयकर रिटर्न 31 जुलाई तक दाखिल करना होगा. हालांकि, सरकार तारीख बढ़ा सकती है.

यदि आप समय सीमा चूक जाते हैं लेकिन 31 दिसंबर तक भुगतान करते हैं, तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा. अगर आपकी आय 5 लाख रुपये से ज़्यादा है तो जुर्माना 5,000 रुपये होगा और अगर आपकी आय 5 लाख रुपये से कम है तो जुर्माने की रक़म 1,000 रुपये होगी.

इसके अलावा, हर महीने आपसे 1 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूला जाएगा. इसके अलावा, आपसे आपकी बक़ाया कर राशि पर हर महीने 1 प्रतिशत का ब्याज लिया जाएगा. इसलिए, यदि आपकी कर देनदारी 10,000 रुपये है और आप समय सीमा चूक जाते हैं, तो आपका जुर्माना हर गुजरते महीने 100 रुपये बढ़ जाएगा.

इसके अलावा, अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दिसंबर 31 तक फ़ाइल नहीं करते हैं, तो आपको इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.