होटल स्टॉक ट्रेंड में हैं और पिछले साल कई स्टॉक ने रिकॉर्ड रिटर्न दिया. कुछ तो ऐसे स्टॉक हैं जिनकी क़ीमत दोगुने से भी ज़्यादा हो गई है.
ज़बरदस्त तेज़ी
होटल शेयरहोल्डरों ने पिछले साल तगड़ा मुनाफ़ा कमाया है
कंपनी | मार्केट कैप (करोड़ ₹) | 1 साल में रिटर्न (%) |
---|---|---|
बनारस होटल्स | 1,158 | 169.5 |
EIH | 26,187 | 149.7 |
HLV | 1,545 | 133.8 |
शैले होटल्स | 14,707 | 93.9 |
इंडियन होटल्स | 80,438 | 79.1 |
लेमन ट्री होटल्स | 10,081 | 66.4 |
14 मार्च 2024 तक का प्राइज़ डेटा |
ऐसा नहीं कि ये रैली सिर्फ़ एक लहर भर थी. महामारी के बाद से इंडस्ट्री में काफ़ी तेज़ी है. लॉकडाउन की वजह से दबी हुई डिमांड में FY22 में तेज़ी आई. और पिछले दो साल में, टूरिज़्मि और इंफ़्रास्ट्रक्चर पर सरकार के बढ़ते फ़ोकस ने इस मोमेंटम को बरक़रार रखा है.
इसमें हैरानी की बात नहीं है कि होटल स्टॉक्स को बार-बार कई 'हॉट स्टॉक लिस्ट' में शामिल किया जा रहा है. इसलिए, हमने इस लेख में होटल इंडस्ट्री के एनालिसिस को लेकर वैल्यू रिसर्च (Value Research) के तरीक़े के बारे में बात की है.
होटल इंडस्ट्री का मिजाज
जब आप किसी भी इंडस्ट्री में निवेश करने की सोचते हैं, तो ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि क्या इस इंडस्ट्री की ख़ासि आपकी इन्वेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी और जोख़िम लेने की क्षमता के अनुकूल हैं या नहीं. मिसाल के तौर पर, कई निवेशकों को ज़्यादा उतार-चढ़ाव पसंद नहीं होता है और इसलिए उन्हें साइक्लिक शेयरों में निवेश करने से बचना चाहिए.
नीचे हमने होटल इंडस्ट्री की चार विशेषताएं बताई हैं जिन पर आपको निवेश करने से पहले सोचना चाहिए.
1. ये बहुत ज़्यादा साइक्लिक है
हालांकि सभी इंडस्ट्री में साइकिल होते हैं, पर होटल इंडस्ट्री बहुत ज़्यादा साइक्लिक है. सबसे पहले, इसमें डिमांड सीज़न से जुड़ी होती है; छुट्टियों और शादियों के कारण डिमांड अक्सर साल के आख़िर में बहुत ज़्यादा होती है. इसके अलावा, आर्थिक उतार-चढ़ाव इस चीज़ पर असर डालते हैं कि लोग कितना घूमते-फिरते हैं, जिससे होटल्स के रेवेन्यू में बड़ा बदलाव आता है.
2. इस इंडस्ट्री में ज़्यादा कैपिटल चाहिए
होटल बनाना काफ़ी महंगा पड़ता है. मिसाल के तौर पर, लेमन ट्री ने FY22 में शिमला और मुंबई में ₹1,006 करोड़ में दो नए होटल बनाए. इसलिए, इस इंडस्ट्री में बढ़ा हुआ डेट रेशियो एक आम बात है. हालांकि, ज़्यादा कैपिटल की ज़रूरत फ़ायदे और नुक़सान दोनों के रूप में काम करती है. इससे बड़े और जमे-जमाए खिलाड़ियों को कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता पर नए खिलाड़ियों के लिए दिक़्क़तें पैदा होती हैं.
3. रेगुलेटरी बाधाएं
भारत में होटल इंडस्ट्री को परमिट, ज़ोनिंग प्रतिबंध, सुरक्षा नियमों आदि के रूप में कई रेगुलेटरी बाधाओं का सामना करना पड़ता है. नतीजा, प्रोजेक्ट में अक्सर देरी होती है.
4. तगड़ा कॉम्पटीशन
मार्केट में कुछ बड़े खिलाड़ियों का दबदबा है. हॉर्वाथ HTL की हालिया रिपोर्ट कहती है कि टॉप 25 होटल चेन्स मीडियम से लक्ज़री कैटेगरी के लगभग 90 फ़ीसदी होटल चलाती हैं. सफलता के लिए इस तगड़े कॉम्पटीशन में टिके रहना पड़ता है.
ये भी पढ़िए- कैसे रिसर्च करें स्टॉक्स?
इंडस्ट्री के ग्रोथ फ़ैक्टर्स
किसी भी इंडस्ट्री के ग्रोथ फ़ैक्टर्स को समझे बिना उसमें निवेश करना बेवक़ूफ़ी है. वैसे तो हरेक कंपनी की ग्रोथ के अपने विशेष कारण होते हैं, पर होटल ऑपरेटरों को कुछ मोटे कारणों से फ़ायदा होता है.
1. ज़्यादा डिस्पोज़ेबल इनकम
टूरिज्म से होटल इंडस्ट्री की डिमांड बढ़ती है. होटल ऑपरेटरों के हालिया दमदार फ़ाइनेंशियल्स को 2023 में भारत के रिकॉर्ड-हाई हवाई यातायात से जोड़कर देखा जा सकता है. हालांकि, यात्रा पर किया जाने वाला ख़र्च डिस्क्रेशनरी होता है. इसलिए, होटल इंडस्ट्री आर्थिक उछाल के दौरान फलती-फूलती है जब डिस्पोज़ेबल इनकम ज़्यादा होती है.
2. फ़ूड और बेवरेज़
ज़्यादातर होटल ऑपरेटरों के लिए फ़ूड और बेवरेज़ सेगमेंट एक बड़ा रेवेन्यू जनरेटर है. EIH के कुल रेवेन्यू में फ़ूड और बेवरेज़ का योगदान क़रीब 36 फ़ीसदी है. इसलिए, एक ख़ास डाइनिंग ब्रांड बनाने से रेवेन्यू ग्रोथ में काफ़ी इज़ाफ़ा होता है.
3. एसेट-लाइट मॉडल
होटल इंडस्ट्री में "ज़्यादा कैपिटल" की ज़रूरत का मतलब है कि पूंजी की ज़रूरतों को कम करने वाले बिज़नस मॉडल कॉम्पेटेटिव फ़ायदा पहुंचाते हैं. हाल ही में, एसेट-लाइट मैनेजमेंट मॉडल काफ़ी लोकप्रिय हुआ है, जहां ऑपरेटर फ़िजिकल एसेट्स की ओनरशिप के बिना ही होटल का मैनेजमेंट करते हैं. इंडियन होटल्स कंपनी इस ट्रेंड की एक मिसाल है, जिसने दिसंबर 2023 को ख़त्म होने वाले नौ महीनों में अपने मैनेजमेंट सेगमेंट से ₹391 करोड़ का रेवेन्यू कमाया. प्रभावी रूप से, इस सेगमेंट का EBITDA मार्जिन 35 फ़ीसदी से भी ज़्यादा हो गया था, जो कंपनी के 28 फ़ीसदी के कुल मार्जिन से सात फ़ीसदी ज़्यादा है.
ये भी पढ़िए- आपका पहला Mutual Fund कैसा हो
मेट्रिक्स
होटल इंडस्ट्री का फ़ाइनेंशियल परफ़ॉरमेंस विशेष मैट्रिक्स पर निर्भर करता है, जो कि हरेक ऑपरेशन के अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानकारी देते हैं. आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली मैट्रिक्स कुछ इस तरह हैं:
1. ऑक्यूपेंसी रेट
ये मीट्रिक एक निश्चित अवधि में भरे/लगे हुए कमरों के प्रतिशत को मापता है, जिसकी कैलकुलेशन कुल उपलब्ध कमरों द्वारा भरे हुए कमरों की कुल संख्या को भाग देकर की जाती है. ज़्यादा ऑक्यूपेंसी रेट बढ़ती डिमांड और एसेट्स के बेहतर इस्तेमाल का संकेत होता है.
2. एवरेज़ डेली रेट (ADR)
ADR एक भरे हुए कमरे से हर दिन कमाए गए औसत रेवेन्यू को दर्शाता है. इसकी कैलकुलेशन कुल कमरों से कमाए गए रेवेन्यू (कमरों और संबंधित सेवाओं से रेवेन्यू) को भरे हुए कमरों की संख्या से भाग देकर की जाती है. ये मीट्रिक प्राइज़िंग स्ट्रेटेज़ी को समझने में मदद करता है.
3. रेवेन्यू पर अवेलेबल रूम (RevPAR)
RevPAR ऑक्यूपेंसी और ADR के प्रभावों को एक साथ जोड़कर दिखाता है, जिससे एक मोटी तस्वीर दिखाई पड़ती है. इसका कैलकुलेशन कुल कमरों के रेवेन्यू को उपलब्ध कमरों की कुल संख्या से भाग देकर की जाती है. ये मीट्रिक खाली कमरों के प्रभाव सहित पूरे फ़ाइनेंशियल परफ़ॉरमेंस की जांच-पड़ताल के लिए ज़रूरी है.
ऊपर दिए गए मैट्रिक्स के आधार पर हमने कुछ प्रमुख होटल ऑपरेटरों का तुलनात्मक अनालेसिस किया है.
होटलों की तुलना
होटलों की जांच-पड़ताल के लिए ज़रूरी मैट्रिक्स
कंपनी | ऑक्यूपैंसी रेट (%) | ADR (₹) | RevPar (₹) |
---|---|---|---|
इंडियन होटल्स* | 72 | 12,550 | 9,050 |
EIH | 79 | 19,985 | 16,962 |
लेमन ट्री होटल्स | 65.9 | 6,333 | 4,176 |
शैले होटल्स | 71 | 10,974 | 7,838 |
जुनिपर होटल्स# | 74.8 | 10,140 | 7,588 |
SAMHI होटल्स | 74 | 9,374 | 6,933 |
एपीजे सुर्रेंद्र पार्क होटल्स# | 93.3 | 6,059 | 5,653 |
*इंडिया बिज़नेस. FY24 की तीसरी तिमाही तक का डेटा. #H1FY24 के लिए RHP से लिया गया डेटा. RevPar को एक होटल के एवरेज डेली रूम रेट को उसके ऑक्यूपैंसी रेट से मल्टीप्लाई करके निकाला जाता है |
चेतावनी
हमारा ये लेख पूरी होटल इंडस्ट्री को लेकर है. ये ध्यान रखना ज़रूरी है कि हरेक होटल ऑपरेटर अपने आप में दूसरों से अलग है. ये लेख निवेशकों को अपने फ़ायदे के हिसाब से होटल स्टॉक चुनने में मदद कर सकता है, पर इसे अपने निवेश के फ़ैसले का एकमात्र आधार न बनाएं. निवेशक किसी भी होटल कंपनी में निवेश करने से पहले ज़रूरी जांच-पड़ताल कर लें.
ये भी पढ़िए- आपको वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग क्यों चुननी चाहिए