आमतौर पर तीन वजहें होती हैं जब कोई ख़ुद के नाम पर निवेश करने के बजाय परिवार के किसी सदस्य के नाम पर निवेश करता है:
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अपना टैक्स कम करना
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संपत्ति को लेकर आगे की प्लानिंग आसान करना
- पैसों को लेकर बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना
आइए इस विषय में विस्तार से बात करते हैं.
#1 टैक्स कम करना
परिवार के किसी ऐसे सदस्य के नाम पर निवेश करना जिसके पास आमदनी का कोई ज़रिया न हो, आपका टैक्स बचाने में मदद कर सकता है. मान लीजिए कि आप अपने जीवनसाथी या बच्चे के नाम पर निवेश करते हैं जिसकी कोई आमदनी नहीं है. ऐसे में, आपकी आमदनी पर टैक्स कम हो सकता है.
मगर ध्यान रखें, सरकार ने इस चलन को रोकने के लिए इनकम टैक्स अधिनियम में क्लबिंग के प्रावधान लागू किए हैं.
नीचे दी गई टेबल में देखा जा सकता है, अगर आप अपने जीवनसाथी, बच्चे या बेटे की पत्नी के नाम पर निवेश करते हैं तो क्लबिंग प्रावधान लागू होते हैं. यानी आपको कुल कमाई पर टैक्स देना होगा.
परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश करने पर कर संबंधी आशय
निवेशक (वो शख्स जिससे वास्तव में पैसा संबंधित है) | जिस के नाम पर निवेश कर रहे हैं | टैक्स कौन चुकाता है? |
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पति/पत्नी | जीवनसाथी | पति/पत्नी (जो भी पैसा निवेश करे)) |
माता-पिता | बेटे की पत्नी | माता-पिता |
दादा-दादी, माता-पिता या परिवार का कोई अन्य सदस्य | नाबालिग | ऊंची टैक्सेबल इनकम वाले माता-पिता |
अगर आप अभी भी परिवार के किसी सदस्य के नाम पर निवेश करने का फ़ैसला करते हैं, तो इसे करने का तरीक़ा ये है:
निवेश का प्रकार | निवेश कैसे करें |
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स्टॉक्स और म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना |
स्टॉक के लिए, ब्रोकर को आपके परिवार के सदस्य के बैंक खाते से जुड़े एक डीमैट खाते की ज़रूरत होती है. म्यूचुअल फ़ंड के लिए, अगर आप डीमैट रूट के माध्यम से निवेश नहीं करना चाहते हैं, तो आप सीधे AMC के साथ निवेश कर सकते हैं. AMC भी ,सिर्फ़ उस व्यक्ति के बैंक खाते से निवेश लेती हैं जिसके नाम पर निवेश किया गया है, नाबालिग के मामले में कुछ अपवादों को छोड़कर. इसलिए, दो विकल्प सामने आते हैं (ये स्टॉक्स और म्यूचुअल फ़ंड दोनों पर लागू होता है): एक नया बैंक खाता बनाएं, अपने परिवार के सदस्य के लिए एक ट्रेडिंग और डीमैट खाता या AMC के साथ एक खाता शुरू करें, KYC करें और निवेश का प्रबंधन ख़ुद करें या एक संयुक्त खाता खोलें जहां से निवेश के लिए पैसा आएगा और आपके परिवार के सदस्य को प्राथमिक धारक बनाया जाएगा |
बैंक FD |
अपने परिवार के सदस्य के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफ़र करें और उन्हें उनके नाम पर FD शुरू करने के लिए कहें या अपने परिवार के सदस्य का बैंक खाता खोलें और परिवार के सदस्य के नाम पर FD शुरू करने के लिए अपने खाते से फ़ंड ट्रांसफर करें. |
रियल एस्टेट | कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि आप पार्टियों के बीच सीधे संपत्ति ख़रीदने और बेचने के लिए आज़ाद |
हालांकि, अगर आप उन छोटे-छोटे टैक्स से बचने के लिए परिवार के किसी सदस्य के नाम पर निवेश करते हैं, तो ध्यान रखें कि संपत्ति का मालिकाना हक़ या स्वामित्व उसी का होगा जिसके नाम पर निवेश किया जा रहा है.
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#2 संपत्ति को लेकर प्लानिंग आसान करना
परिवार के किसी सदस्य के निधन के बाद उत्तराधिकार का विवाद अक्सर देखने को मिलता है. इसके अलावा, वसीयत बनाने में कानूनी परेशानियां और पेंच भी आते हैं. हालांकि नॉमिनेशन बेहतर विकल्प लगता है, फिर भी वसीयत इसकी जगह ले लेती है.
अगर आप क़ानूनी पेंच और अपने इन्वेस्टमेंट के ट्रांसफ़र की मुश्किलों से बचना चाहते हैं, तो आप सीधे परिवार के सदस्य के नाम पर निवेश करने की बात सोच सकते हैं. लेकिन एक समस्या है - एक बार जब आप किसी के नाम पर निवेश कर देते हैं, तो उनकी इजाज़त के बिना कुछ भी नहीं बदला जा सकता.
जब रियल एस्टेट या अचल संपत्ति की बात आती है, तो इसमें नॉमिनेशन की सहूलियत नहीं होती. इसलिए बिना किसी मुश्किल के संपत्ति का ट्रांसफ़र पक्का करने के लिए, या तो वसीयत तैयार करें या सीधे परिवार के सदस्य के नाम पर निवेश का पुराना तरीक़ा अपनाएं.
#3 बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना
हालांकि बच्चों के नाम पर निवेश करना उनका भविष्य सुरक्षित करने का सबसे अच्छा तरीक़ा लग सकता है, लेकिन इसमें काफ़ी परेशानियां भी हैं. इसके लिए डॉक्यूमेंटेशन, माता-पिता-बच्चे का रिश्ता साबित करना, नाबालिग से बालिग होने तक ज़रूरी काग़ज़ी कार्रवाई शामिल हैं.
इसका समाधान क्या है? अपने नाम पर निवेश शुरू करें और अपने बच्चे को नॉमिनी बनाएं. इससे समय की बचत होगी, क्योंकि डॉक्यूमेंटेशन की परेशानी से गुज़रने या बच्चों के लिए एक अलग बैंक अकाउंट खोलने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. इसके बारे में और ज़्यादा समझने के लिए यहां क्लिक करें.
हमारी सलाह
हालांकि अपने प्रियजन के नाम पर निवेश करना एक स्मार्ट क़दम लगेगा, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं हैं. बेहतर होगा कि कोई फ़ैसला लेने से पहले आप इस विषय में ज़्यादा जानकारी इकट्ठा करें, इसके अच्छे-बुरे पहलुओं पर ग़ौर करें, और साथ ही ज़रूरी क़ानूनी और फ़ाइनेंशियल ज़रूरतों को ठीक से समझें.
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