इंटरव्यू

हज़ारों करोड़ संभालने वाले शख़्स के बताए 3 मंत्र

कोटक महिंद्रा के हर्ष उपाध्याय बता रहे हैं कि स्टॉक को चुनने के लिए कुछ बातों का ख़याल रखना ज़रूरी है

हज़ारों करोड़ संभालने वाले शख़्स के बताए 3 मंत्र

कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चीफ़ इन्वेस्टमेंट ऑफ़िसर (इक्विटी) भारत के जाने-माने फ़ंड मैनेजरों में शामिल हैं. वो लगभग ₹78,704 करोड़ के कुल एसेट्स वाली सात स्कीमें मैनेज करते हैं. हर्ष उपाध्याय ने एक ख़ास बातचीत में अपने तीन मंत्रों के बारे में बताया, जिन्हों वो स्टॉक या बिज़नस चुनते समय ध्यान में रखते हैं. यहां हम उनकी बताई बातें आपके सामने रख रहे हैं.

पहला मंत्रः कॉम्पिटिटिव एडवांटेज क्या है

हर्ष उपाध्याय के मुताबिक़, "सबसे पहला और सबसे ज़रूरी काम ये है कि हम बिज़नस को देखते हैं और इसके कॉम्पिटिटिव एडवांटेज़ को समझने की कोशिश करते हैं, यानी क्या ये एक स्केलेबल बिज़नस है और क्या ये मज़बूत ग्रोथ रेट के साथ आगे बढ़ेगा. हम ये भी जांचते हैं कि क्या बिज़नस के पास अपने सेक्टर में प्राइसिंग पॉवर है, क्योंकि आख़िरकार यही चीज़ बिज़नस की प्रॉफ़िटेबिलिटी तय करती है. इसलिए, बिज़नस के बारे में सब कुछ पहले ही समझ लेना ज़रूरी है".

दूसरा मंत्रः मैनेजमेंट कैसा है

क्या मैनेजमेंट छोटे निवेशक का ध्यान रखता है: हर्ष का कहना था, "इसमें हम ये देखने की कोशिश करते हैं कि बिज़नस का मैनेजमेंट माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हितों के साथ कितना और किस तरह से जुड़ा हुआ है. ये बात कहना आसान है पर करना मुश्किल, क्योंकि इसके लिए कोई हार्ड-कोड वाले नंबर या फ़ैक्ट्स उपलब्ध नहीं हैं. हमारी रिसर्च टीम के अनुभव और हमारे ख़ुद के अनुभव के ज़रिये ही हम ये जांचते हैं कि मैनेजमेंट माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हिसाब से काम कर रहा है या नहीं".

कैपिटल एलोकेशनः हर्ष उपाध्याय ने कहा कि "हम मैनेजमेंट द्वारा लिए गए कैपिटल एलोकेशन संबंधी पुराने फ़ैसलों को भी देखते हैं, क्योंकि इससे ये पता लगता है कि कंपनी की ग्रोथ के साथ-साथ मैनेजमेंट ने कितनी कुशलता से कैपिटल का इस्तेमाल किया है. कैपिटल एलोकेशन की जांच करना हमारे लिए बहुत ज़्यादा ज़रूरी विषय है".

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तीसरा मंत्रः वैल्यूएशन और परफ़ॉर्मेंस

इस विषय पर उपाध्याय का कहना था कि "उसके बाद, हम वैल्यूएशन को लेकर अपना काम शुरू करते हैं, जिसमें इंडस्ट्री सेगमेंट के आधार पर अलग-अलग वैल्यूएशन मैट्रिक्स को देखा जाता है. जब वैल्यूएशन की बात आती है, तो हम फ़ाइनेंशियल परफॉरमेंस के अलग-अलग पहलुओं को देखते हैं और फिर ये तय करते हैं कि उस स्टॉक में निवेश करना सही फ़ैसला होगा या नहीं. हमारे फ़ैसले पूरी तरह से बेसिक फ़ंडामेंटल्स के आधार पर लिए जाते हैं बजाय इसके कि किसी ख़बर के आधार पर दांव लगा दिया जाए".

उन्होंने आगे कहा कि "जब तक हमारे निवेशक हमारे फ़ंड में पैसा लगा रहे हैं, तब तक हम सिर्फ़ उन्हीं बिज़नस और सेक्टरों में निवेश करेंगे जो हमें सबसे सुरक्षित, बेहतर और मज़बूत लगेंगे. अगर हम वैल्यूएशन और कुछ मैक्रो-फ़ैक्टर्स को लेकर संतुष्ट नहीं हैं, तो हम कोई भी नई पोज़िशन नहीं लेंगे".

कैसे स्टॉक में निवेश को होते हैं मजबूर?

हर्ष उपाध्याय ने कहा कि अच्छे शेयरों की पहचान के लिए साफ़ तौर से कंपाउंडिंग क्षमता को ध्यान में रखा जाता है.

उन्होंने कहा, "आम तौर पर, हम ग्रोथ एट ए रीज़नेबल प्राइस या उचित दामों पर ग्रोथ की (GARP) स्ट्रैटेज़ी अपनाते हैं. ये भारत जैसे उभरते मार्केट में एक 'बीच के रास्ते' की तरह है, जहां हमेशा ग्रोथ को ध्यान में रखा जाता है. इस स्ट्रैटेज़ी के तहत, अगर आप साइकिल या भविष्य में संभावित ग्रोथ का आकलन करने में ग़लत भी हों, तो आपको आपकी उम्मीदों के हिसाब से शायद कुछ कम रिटर्न मिले. हालांकि, अगर आप ग्रोथ-ओरिएंटेड प्रोसेस अपनाते हैं तो आपके द्वारा पैसा कमाने की संभावना बनी रहती है".

उपाध्याय का मानना है कि ग्रोथ की ओर थोड़ा झुकाव रखना भारतीय बाज़ार के लिहाज़ से एक अच्छी स्ट्रैटेज़ी है. और, साथ ही वैल्यूएशन को भी ध्यान में रखना होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि अच्छी ग्रोथ की उम्मीद में किसी भी भाव में स्टॉक ले लिया जाए. कोई भी वैल्यूएशन, चाहे कम हो या ज़्यादा, वैल्यूएशन के लिए पेमेंट, रेंज के हिसाब से होना चाहिए. इसलिए, अगर आप उचित वैल्यूएशन वाले ग्रोथ वाले शेयरों में निवेश करते हैं, तो काफ़ी उम्मीद है कि वक़्त के साथ आप मार्केट से बेहतर प्रदर्शन करेंगे.

कोटक महिंद्रा AMC के CIO हर्ष उपाध्याय का इंटरव्यू विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


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