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'Growth' vs 'Value' funds: इनमें कौन बेहतर है?

ग्रोथ और वैल्यू में से कौन सा निवेश का तरीक़ा आपको ज़्यादा मुनाफ़ा दे सकता है

'Growth' vs 'Value' funds:  इनमें कौन बेहतर है?

'ग्रोथ' और 'वैल्यू' फ़ंड एक-दूसरे से अलग कैसे हैं? इन दोनों में से किसे चुनना चाहिए? - योगेश

बात जब स्टॉक चुनने की हो, तो ज़्यादातर म्यूचुअल फ़ंड्स की अपनी अलग-अलग फ़िलॉसफ़ी होती है. कुछ 'ग्रोथ' शैली अपनाते हैं, तो कुछ 'वैल्यू' को प्राथमिकता देते हैं.

'ग्रोथ' शैली में उन कंपनियों में निवेश किया जाता है जिनके औसत से ज़्यादा तेज़ बढ़ने की संभावना होती है. माना ये जाता है कि इन स्टॉक्स की क्षमता ज़्यादा है, इसलिए ये अक्सर ज़्यादा क़ीमत (प्रीमियम) पर मिलते हैं.

दूसरी ओर, वैल्यू फ़ंड्स कम क़ीमत वाले ऐसे स्टॉक की तलाश में रहते हैं, जो आगे जाकर बढ़ें.

आमतौर पर, ग्रोथ स्टॉक का वैल्यूएशन औसत से ज़्यादा होता है. आप प्राइस-टू-अर्निंग (P/E) और प्राइस-टू-बुक वैल्यू (P/B) रेशियो देखकर किसी स्टॉक के वैल्यूएशन की जांच कर सकते हैं.

इसके उलट, वैल्यू फ़ंड्स अपने साथियों की तुलना में कम P/E रेशियो वाली कंपनियों की तलाश में रहते हैं.

मिसाल के तौर पर, अगर इक्विटी फंड्स की बात करें, तो एक्सिस म्यूचुअल फ़ंड अपनी ग्रोथ शैली वाले निवेश के लिए जाना जाता है. जैसा कि एक्सिस ELSS टैक्स सेवर फ़ंड के P/E रेशियो से पता चलता है (जो जनवरी के आख़िर में 37 से ऊपर था, जबकि कैटेगरी का औसत 25 था). इसके उलट, टाटा इक्विटी PE फ़ंड 'वैल्यू' निवेश को प्रथमिकता देता है और इस फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो का औसत P/E 15 से नीचे है.

हालांकि, ग्रोथ और वैल्यू फ़ंड्स का स्वभाव बदलता रहता है. जब किसी वैल्यू स्टॉक की असल क़ीमत का पता चल जाता है, तो फ़िर वो अंडरवैल्यू नहीं रह जाता. इसी तरह, अगर कोई ग्रोथ स्टॉक सपाट प्रदर्शन करता है या शेयर की क़ीमत में बड़ी गिरावट आ जाती है, तो फ़िर इसे वैल्यू स्टॉक की तरह देखा जा सकता है.

किसी फ़ंड की निवेश शैली की जांच कैसे करें?

मार्केट रेग्युलेटर SEBI ने 'वैल्यू फ़ंड' के लिए एक ख़ास कैटेगरी बनाई है, पर 'वैल्यू' ख़रीद की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है. 'वैल्यू' ख़रीद की परिभाषा व्यक्तिगत नज़रिए से अलग-अलग होती है.

इसलिए, जब आप "धनक" पर कोई फ़ंड तलाशेंगे, तो 'पोर्टफ़ोलियो' टैब के नीचे आपको 'फ़ंड स्टाइल' शीर्षक वाला एक स्टाइल बॉक्स मिलेगा. ये बॉक्स बताता है कि वो फ़ंड ग्रोथ वाली निवेश की शैली अपनाता है या वैल्यू वाली निवेश की शैली. बीच के बॉक्स में आने का मतलब है कि वो फ़ंड स्टॉक चुनते समय दोनों ही शैलियों का इस्तेमाल करता है.

ग्रोथ बनाम वैल्यू: बेहतर कौन?

हाल के कुछ साल में, 'वैल्यू' निवेश शैली का प्रदर्शन 'ग्रोथ' से बेहतर रहा है. उससे पहले, 'ग्रोथ' का प्रदर्शन ज़्यादा अच्छा था. जिसका मतलब ये है कि कोई भी शैली लगातार सफलता की गारंटी नहीं देती है.

इसलिए, आपको अपने पोर्टफ़ोलियो में मिली-जुली शैली वाले फ़ंड शामिल करने चाहिए. ये आपको मार्केट में मंदी के दौरान बड़े नुक्सान के जोख़िम को कम करने में मदद करेगा.

ये भी पढ़िए- Tax बचाने के लिए कहां करें ज़्यादा निवेश?

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