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म्यूचुअल फ़ंड बेचने से पहले ख़ुद से करें ये 6 सवाल

एक अच्छे म्यूचुअल फ़ंड को ख़रीदने का क्या मतलब है अगर आप उसे अच्छे रिटर्न के साथ बेच नहीं सकते

Six questions to ask before selling your mutual fund

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"हमेशा के लिए". वॉरेन बफ़े ये जवाब दिया जब उनसे पूछा गया, "आपको अपना निवेश कितने समय के लिए होल्ड रखना चाहिए?"

भले ही धनक में हम लंबे समय के निवेश की बात करते हैं, लेकिन सच तो ये है कि किसी भी निवेश की सफलता आखिर में तभी तय होती है जब निवेश बेचने पर आपका पैसा आपको वापस मिलता है. वैल्यू रिसर्च के CEO धीरेंद्र कुमार का कहना है, "अच्छी ख़रीदारी जैसी कोई चीज़ नहीं होती; केवल सही समय में बेचना ही सबसे बड़ी बात है. असल में, अगर आप सही समय पर बेच नहीं सकते, तो निवेश करने का कोई मतलब नहीं है."

ख़ास बात ये है कि निवेश को सही तरह से कैसे बेचा जाए. तो, यहां पर वो 6 सवाल दिए जा रहे हैं जो आपको अपने म्यूचुअल फ़ंड निवेश को बेचने से पहले ख़ुद से पूछने चाहिए.

1) फ़ंड मैनेजर बदल जाए तो क्या निवेश बेच देना चाहिए?
भले ही फ़ंड हाउस, फ़ंड मैनेजर को बदलने से होने वाले असर पर कम तवज्जो देते हैं, लेकिन इससे प्रदर्शन पर ख़ासा असर पड़ सकता है.

मिसाल के तौर पर, HDFC ELSS टैक्स सेवर फ़ंड में 2022 में नए फ़ंड मैनेजर के काम संभालने के बाद बदलाव देखा गया. वहीं , मोतीलाल फ़्लेक्सी कैप फ़ंड में 2019 में लंबे समय से मौजूद रहे मैनेजर के चले जाने के बाद प्रदर्शन में गिरावट देखी गई.

ये दो उदाहरण फ़ंड हाउस में मैनेजर के बदलाव को दिखाती हैं.

यूं तो म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री में बदलाव होते रहते हैं. मगर, हर बार फ़ंड मैनेजर के बदलने पर फ़ंड से बाहर निकल जाना न तो ज़रूरी है और न ही सही है. इसके बजाय, आप अपने फ़ंड को केवल तभी बेचिए, जब कोई लॉन्ग-टर्म सर्विस देने वाला फ़ंड मैनेजर बदल जाए या जब आपने किसी फ़ंड में निवेश ही फ़ंड मैनेजर की वजह से किया हो.

अगर किसी फ़ंड हाउस के CIO (चीफ़ इन्वेस्टमेंट ऑफ़िसर) में कोई बदलाव होता है, तब आप अपने फ़ंड को बेचने के बारे में सोच सकते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि CIO अक्सर फ़ंड हाउस का इन्वेस्टमेंट स्टाइल तय करते हैं, और इस पद पर आने के बाद अपनी निवेश फ़िलॉसफ़ी लागू कर सकते हैं.

2) क्या आप अपना फ़ंड निवेश ख़ुद मैनेज कर सकते हैं?
डायरेक्ट इक्विटी प्लान आम तौर पर रेगुलर प्लान की तुलना में एक फ़ीसदी ज़्यादा का रिटर्न देते हैं, क्योंकि इसका एक्सपेन्स रेशियो (फ़ीस) कम होता है. दूसरे शब्दों में कहें, तो ये लॉन्ग-टर्म में ज़्यादा मुनाफ़ा दे सकते हैं, जैसा कि नीचे दिए ग्राफ़ में देखा जा सकता है.

इसलिए, रिटर्न को ज़्यादा करने के लिए, अपने रेगुलर फ़ंड्स को बेचकर डायरेक्ट फ़ंड में शिफ़्ट करने पर विचार करें. लेकिन ऐसा करने से पहले, ये जान लें कि क्या आपके पास इन फ़ंड्स को अपने-आप मैनेज के लिए समझ काफ़ी है या नहीं.

3) जब आप अपने फ़ाइनेंशियल गोल के क़रीब हों
म्यूचुअल फ़ंड निवेश को बेचने का सही समय तब होता है जब आप अपना वित्तीय लक्ष्य या फ़ाइनेंशियल गोल हासिल करने के क़रीब हों. क्योंकि बाज़ार में अचानक उतार-चढ़ाव आ सकते हैं, इसलिए ये रणनीति रिस्क वाली हो सकती है.

इस बात को समझने के लिए मान लेते हैं कि आप 2015 से अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए इक्विटी फ़ंड में निवेश करते रहे. और हम सब जानते हैं कि मार्च 2020 में क्या हुआ था. कोविड-19 के कारण दुनिया भर के बाज़ारों में बड़ी गिरावट आई. साल की शुरुआत में ही सेंसेक्स क़रीब 37 प्रतिशत तक गिर गया था.

अब आप कल्पना कीजिए कि अगर आपके बच्चे की पढ़ाई 2020 की अप्रैल या मार्च में शुरू होनी हो, और आपका सारा पैसा इक्विटी में लगा होता तो क्या होता. उस समय निवेश में लगे आपके ₹1 करोड़ घटकर महज़ ₹63 लाख ही रह गए होते.

तो, ऐसी भयावह स्थिति से बचने के लिए, अपने निवेश के लक्ष्य तक पहुंचने से कम-से-कम दो-तीन साल पहले SWP (सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान) से पैसा इक्विटी से निकालना शुरू कर दें. SWP आपको चरणबद्ध तरीक़े से अपने पैसे निकालने की सहूलियत देता है, और बाज़ार की गिरावट के समय पर नुक़सान झेल कर इक्विटी निवेश से बाहर निकलने से बचाता है.

तो, SWP निकाली गए पैसे को एक लिक्विड फ़ंड में निवेश करते रहें और जब ज़रूरत हो तब आसानी से वहां से निकाल कर इस्तेमाल करें.

4) अगर आपके फ़ंड की रेटिंग में भारी गिरावट आ जाए
जैसे आप फ़िल्म देखने से पहले IMDb में फ़िल्म की रेटिंग चेक करते हैं, ठीक वैसे ही, धनक पर म्यूचुअल फ़ंड की रेटिंग को चेक करना अपने फ़ंड के परफ़ॉर्मेंस के बारे में पता लगाने का आसान और क़ारगर तरीक़ा है.

अगर किसी फ़ंड की रेटिंग तेज़ी से गिरती है, तो उसे तुरंत बेच दें.

किसी फ़ंड के प्रदर्शन का इतिहास अच्छा है, ये जांचने के लिए उसके लॉन्ग-टर्म परफ़ॉर्मेंस को देखना चाहिए. शॉर्ट टर्म में प्रदर्शन का पता लगाना अक्सर ग़लत साबित होता है. आख़िर क्रिकेट में भी तो कहते हैं न कि फ़ॉर्म कुछ समय का होता है लेकिन क्लास हमेशा क़ायम रहती है.

जब आप किसी फ़ंड में पहली बार निवेश करते हैं, तो उसे तीन से छह महीने तक का समय दें. अगर उस समय के दौरान फ़ंड में कोई सुधार नहीं होता है, तो उससे निकल जाना ही सही रहता है.

5) जब आपके रिस्क प्रोफ़ाइल के हिसाब से फ़ंड स्ट्रैटेजी में कोई बदलाव हो
क्वांट के - मिड और स्मॉल-कैप - फ़ंड्स को उदाहरण के तौर पर लेते हैं. 2018 से पहले, ये एग्रेसिव और कंज़र्वेटिव हाइब्रिड हुआ करते थे. अनजान लोगों के लिए, कंज़र्वेटिव हाइब्रिड एक अपेक्षाकृत सुरक्षित फ़ंड है. ये आमतौर पर फ़िक्स्ड इनकम में 75-90 प्रतिशत और इक्विटी में एक छोटा सा हिस्सा निवेश करते हैं, जबकि स्मॉल-कैप फ़ंड इसके बिल्कुल विपरीत हैं, ये जोख़िम भरे स्मॉल-कैप स्टॉक में निवेश करते हैं.

जब कोई फ़ंड अपना ऑब्जेक्टिव या स्टाइल बदलता है, तो आपको ये समझना चाहिए कि क्या अब ये फ़ंड आपके रिस्क प्रोफ़ाइल और निवेश के लक्ष्य से मेल खाता है, और अगर नहीं तो आपको ऐसे विकल्पों की तलाश करनी चाहिए जो निवेश के लक्ष्यों से मेल खाते हों.

6) क्या आपका फ़ंड बेंचमार्क से नीचे प्रदर्शन कर रहा है?
कई निवेशक इस उम्मीद में अपना निवेश बेचने से बचते हैं कि आगे चल कर उनका फ़ंड वापसी कर लेगा.

लेकिन ऐसा कभी-कदार ही होता है. अगर कोई फ़ंड तीन साल से ख़राब प्रदर्शन कर रहा हो, तो कम ही संभावना होती है कि अगले 5 साल में उसका प्रदर्शन बिल्कुल बदल जाएगा. असल में, 77 प्रतिशत संभावना यही रहती है कि फ़ंड वापसी नहीं कर पाएगा.

संक्षेप में कहें, तो लंबे समय तक ख़राब प्रदर्शन करने वाले फ़ंड में बने रहने से आप अपने घाटे को कम करने में देर कर रहे होते हैं.

कुछ ज़रूरी आख़िरी बातें

अपने म्यूचुअल फ़ंड निवेश को बेचने के फ़ैसले को हल्के में न लें. फ़ंड के प्रदर्शन को लेकर सजग रहें और अपने निवेश के लक्ष्य के पास आने पर अपनी एग्ज़िट पॉलिसी पर सोच समझ कर अमल करें. कई बार ऐसी स्थितियां भी होती हैं जब किसी इमरजेंसी के चलते या घर या गाड़ी ख़रीदते समय या फ़िर पोर्टफ़ोलियो को री-बैलेंस करते समय फ़ंड निवेश बेचना पड़ जाता है. तो, भले ही म्यूचुअल फ़ंड बेचना छोटा या आसान काम लगे, मगर कई तरह के हालातों को ध्यान में रखते हुए फ़ैसला करना बहुत ज़रूरी होता है.

ये भी पढ़ें: म्यूचुअल फ़ंड कैसे ख़रीदें


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