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घबरा जाना और हार मान लेना

शांत रहें और जब घबराहट फैली हो, तो निवेश करें

घबरा जाना और हार मान लेनाAnand Kumar

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5:40

कुछ दिन पहले, HDFC बैंक के शेयर में एक तरह की गिरावट आई. एक दिन में 8 प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट रही और फिर अगले कुछ दिनों में कुछ और गिरावट हुई. हालांकि छोटी कंपनियों के शेयरों में ऐसी गिरावट आम बात है, लेकिन लार्ज-कैप कंपनियों में ऐसा बहुत कम ही होता है. सामान्य तौर पर, बड़े स्टॉक स्थिर होते हैं. इसके कई कारण हैं, लेकिन सामान्य तौर पर, बड़ी लिस्टिड कंपनियों के पास अच्छा इन्फ़ॉर्मेशन फ़्लो होता है और निवेशक उसे अच्छी तरह समझते हैं.

हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि झटके नहीं लग सकते और चौंकाने वाली बातें नहीं हो सकती - अचानक होने वाली घबराहट की वजह से आने वाली गिरावट असामान्य ज़रूर है लेकिन फिर भी कभी-कभार आती रहती है. हालांकि, क्वालिटी स्टॉक के तौर पर पहचाने जाने वाले स्टॉक में अचानक आने वाली घबराहट, छोटे इक्विटी निवेशक को परेशान करने वाली हो सकती है. ये सवाल उठ सकते हैं कि ये गिरावट महज़ घबराहट ही है या असल में कोई बात हो सकती है, यानी - किसी कंपनी की क़िस्मत में एकतरफ़ा उलटफेर. ये ठीक-ठीक बता पाना मुश्किल ही होता है.

इस तरह की सबसे बड़ी घटना कुछ साल पहले फ़ेसबुक स्टॉक के साथ घटी थी. जनवरी और फ़रवरी 2022 में, स्टॉक ने कुछ ही दिनों में अपनी वैल्यू का एक चौथाई से ज़्यादा गंवा दिया, जो 200 बिलियन डॉलर की भारी रक़म थी. उस समय, इसका कारण निवेशकों को अचानक ये एहसास होना था कि ऐप्पल के आईफ़ोन ऑपरेटिंग सिस्टम के नए एडिशन में प्राइवेसी के ऐसे फ़ीचर थे जो प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद फ़ेसबुक ऐप के विज्ञापन रेवेन्यू को तेज़ी से कम कर सकते थे.

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क्या ये शक़ सही निकले? अचरज की बात लगेगी पर ये बताना मुश्किल है, पर स्टॉक कुछ समय के लिए काफ़ी नीचे गिर गए. फ़ेसबुक स्टॉक के साथ इतनी सारी चीज़ें ग़लत और फिर सही हुईं कि किसी एक फ़ैक्टर के असर का पता नहीं लगाया जा सकता. हालांकि, अब, दो साल बाद, स्टॉक पहले से कहीं ऊंचाई पर है. पीछे मुड़कर देखने पर, कोई भी ये निष्कर्ष निकाल सकता है कि फ़ेसबुक स्टॉक जिस गहरे गर्त में गिरा, वो कंपनी में विश्वास रखने वाले निवेशकों के लिए ख़रीदारी का एक बड़ा मौक़ा था.

निवेशक जब घबराते हैं तो एक बुनियादी बात भूल जाते हैं कि बड़ी कंपनियों के क़ारोबार में बहुत गति होती है. वे यूं ही बड़ी नहीं होती हैं - इन कंपनियों के हर पहलू में हमेशा ही एक गहरी ताक़त होती है, जिन्हें ख़त्म होने और उलटने में लंबा समय लगता है. कोई एक घटना, कुछ डेटा प्वाइंट्स, या शायद किसी एक साल में होने वाली कमाई को लेकर निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहना चाहिए. फिर भी, किसी भी तरह से, एक विशाल बिज़नस को अचानक टाटा, बाय-बाय, और उसके ख़त्म होने की घोषणा नहीं की जा सकती. एक चौथाई या एक साल एक लंबी कहानी का सिर्फ़ एक चैप्टर है. जब तक आप एक डे-ट्रेडर या शॉर्ट-टर्म सट्टेबाज़ नहीं हैं, तब तक कुछ ऐसा नहीं होने वाला कि इस उतार-चढ़ाव का मतलब किसी स्टॉक से अंतिम विदाई का संकेत हो.

महत्वपूर्ण बात ये है कि दिमाग़ खुला रखें और खुला दिमाग़ रखने का तरीक़ा ये है कि हमेशा अपनी प्रवृत्ति के खिलाफ़ बहस करें. बस अपने आप से पूछें--क्या होगा अगर घबराहट ग़लत हो और अपने आप को, अपनी प्रवृत्ति के खिलाफ़ बहस करने और कहानी के दोनों पक्षों की जांच करने के लिए मजबूर करें.

ध्यान दें कि मैं आपको HDFC बैंक, फ़ेसबुक या किसी दूसरे स्टॉक के भविष्य के बारे में सलाह नहीं दे रहा हूं. ये तो सामान्य सिद्धांत हैं, जो किसी भी बड़े बिज़नस पर लागू होते हैं. बड़ी बात ये है कि लार्ज-कैप स्टॉक स्थिर दिखते हैं लेकिन ये भी अचानक गिरावट से अछूते नहीं हैं. घबराहट एक भूमिका निभा सकती है, जैसा कि इनमें से कई तेज़ गिरावटों के साथ देखा गया है, लेकिन इन कंपनियों की अंतर्निहित क्षमता और गति को याद रखना महत्वपूर्ण है. छोटे समय में होने वाले उतार-चढ़ाव, ख़ासतौर से घबराहट में बिक्री के दौरान, किसी कंपनी की लॉन्ग-टर्म की क्षमता के बारे में अपने फ़ैसले को फीका न पड़ने दें. याद रखें, कंपनियों के लिए लॉन्ग-टर्म के रुझान पर टिके रहना और बढ़ते रहना बहुत आम बात है. विनाशकारी लगने वाली घटना कोई चलन या ट्रेंड नहीं होता है. हालांकि हम भविष्यवाणी नहीं कर सकते, पर ये सिद्धांत बाज़ार की अस्थिरता से निपटने और अस्थायी झटकों के आधार पर जल्दबाज़ी में लिए गए निर्णयों से बचने के लिए हमें एक क़ीमती नज़रिया देते हैं.

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