जैसे-जैसे बाज़ार नई ऊंचाइयों पर चढ़ता है, निवेशक उत्साह और चिंता की मिलीजुली भावनाओं का सामना करते हैं. वे ख़ुद को एक ऐसे दोराहे पर पाते हैं जहां से आगे के सफ़र की दिशा उन्हें समझ में नहीं आती.
वैसे ये कोई चौंकने वाली बात नहीं है कि हमारे इनबॉक्स ऐसे वक़्त में मार्गदर्शन मांगने वाले हमारे पाठकों के सवालों से भर जाते हैं. इस आर्टिकल का मक़सद निवेशकों के कुछ आम सवालों का जवाब देना है.
मेरे पास कुछ नक़द पैसा रखा है. जब बाज़ार अपने चरम पर हो तो क्या एकमुश्त पैसा निवेश करना अच्छा है?
वैल्यू रिसर्च में, हम एकमुश्त निवेश की वक़ालत नहीं करते, भले ही बाज़ार नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा हो या नहीं. इसके बजाए, हम आपके निवेश को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के ज़रिए इसे एक अर्से के दौरान निवेश की सलाह देते हैं. SIP आपकी निवेश लागत को औसत पर ले आती है, चढ़ते बाज़ार के लालच को कम करती है और बाज़ार के उतार-चढ़ाव का बुरा असर कम करने में मदद करती है. इसके अलावा, SIP अनुशासित और लगातार निवेश की आदत डालती है.
हालांकि, अगर आप एकमुश्त पैसा निवेश करना चाहते हैं, तो हम ज़्यादा समझदारी भरे विकल्प के तौर पर सिस्टमैटिक ट्रांसफ़र प्लान (STP) चुनने का सलाह देते हैं. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसे समझने के लिए यहां क्लिक करें.
क्या मुझे बाज़ार की ऊंचाई के दौरान अपनी SIP को बंद कर देना चाहिए और 'गिरावट में ख़रीदारी' का इंतज़ार करना चाहिए?
'गिरावट में ख़रीदें' (buy the dip) का मतलब है यूनिट तब ख़रीदी जाए जब यूनिट की क़़ीमत कम हो और सस्ती हो, यानी सस्ता ख़रीदो, महंगा बेचो (buy low, sell high).
हालांकि, एक ज़बर्दस्त सलाह और है: बाज़ार में (निवेशित रह कर) बिताया गया टाइम बाज़ार को टाइम करने (बाज़ार के हाई या लो होने की अटकल लगाने) के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा बेहतर और कम पेचिदा है.
कई निवेशक अपनी म्यूचुअल फ़ंड SIP के साथ बाज़ार के उतार-चढ़ाव से बचने की कोशिश करते हैं. जब बाज़ार चढ़ता है तो वे अपनी SIP रोक देते हैं और गिरावट के दौरान में फिर से शुरू कर देते हैं. निचले स्तर पर निवेश करना यक़ीनन फ़ायदेमंद हो सकता है. लेकिन हक़ीकत में इस पर सही तरीक़े से और लगातार अमल करना बड़ा मुश्किल काम है.
मिसाल के तौर पर, मान लीजिए आपने 1 जनवरी 2000 से सेंसेक्स में ₹5,000 महीने की SIP शुरू की थी, और हर बार जब बाज़ार अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा, तो इसे तीन महीने के लिए रोक दिया. फिर आपने रोकी गई रक़म को तीन महीने के बाद एकमुश्त निवेश में डाल दिया. ऐसे में आपके पोर्टफ़ोलियो की रक़म ₹95.7 लाख होगी. इसके विपरीत, अगर आपने बाज़ार की परवाह किए बिना अपनी SIP लगातार जारी रखी होती, तब भी आपका पोर्टफ़ोलियो ₹95.8 लाख रुपये तक जमा होता.
इस तरह, SIP को रोकने और फिर से शुरू करने से बहुत थोड़ा ही फ़ायदा मिलता है. यहां सबक़ साफ़ है: अपनी निवेश योजना पर क़ायम रहें. ज़्यादा जानकारी के लिए, ये वीडियो देखें.
मिड- और स्मॉल-कैप फ़ंड्स ने रैली में अविश्वसनीय रिटर्न दिया है जिससे बाज़ार काफ़ी ऊंचा हो गया है. क्या इन फ़ंड्स को बेचकर मुनाफ़ा बना लेना सही होगा?
स्मॉल-कैप और मिड-कैप म्युचुअल फ़ंड ने 2023 में क्रमशः 45 और 40 फ़ीसदी का शानदार रिटर्न दिया है.
अगर आप एक नए निवेशक हैं और आपका निवेश लंबे समय का नहीं है, तो इन फ़ंड्स को बेचना अकलमंदी भरा फ़ैसला हो सकता है. वहीं अगर आप लंबी अवधि का निवेश कर रहे हैं तो आपको अपने फ़ंड बेचने की कोई ज़रूरत नहीं है. फिर भी, अपने पोर्टफ़ोलियो को री-बैलेंस करना हमेशा सही रहता है.
आम तौर पर सलाह दी जाती है कि आपको अपने निवेश का 50-70 फ़ीसदी लार्ज-कैप फ़ंड्स में, 20-30 फ़ीसदी मिड-कैप फ़ंड्स में और 10-20 फ़ीसदी स्मॉल-कैप फ़ंड्स में एलोकेश करना अच्छा रहेगा. रिटर्न को एडजस्ट करने के लिए, पोर्टफ़लियो री-बैलेंस को समय-समय पर करते रहना चाहिए. जब स्मॉल-कैप में उछाल आए, तो स्मॉल कैप निवेश में से कुछ बेचने के बारे में सोचें क्योंकि आपके पोर्टफ़ोलियो में स्मॉल कैप का अनुपात और वैल्यू बढ़ जाएगा. मिसाल के लिए, अगर शुरू में आपके पोर्टफ़ोलियो में स्मॉल-कैप 20 प्रतिशत था, लेकिन अब बढ़कर 25 या 30 प्रतिशत हो गया है, तो आपको 20 प्रतिशत के शुरुआती एलोकेशन पर वापस लाने के लिए कुछ स्मॉल कैप फ़ंड बेचने पर ग़ौर करना चाहिए.
अपने पोर्टफ़ोलियो में स्मॉल-कैप का सटीक रेशियो जानने के लिए यहां क्लिक करें.
स्मॉल कैप फ़ंड्स की स्ट्रैटजी पर ज़्यादा जानने के लिए ये वीडियो देखें.
जब बाज़ार अपने सबसे ऊंचे स्तर पर हो तो क्या मुझे सेफ़ एसेट क्लास की ओर जाने पर विचार करना चाहिए?
सेफ़ एसेट क्लास की ओर ट्रांसफ़र का फ़ैसला आपकी रिस्क लेने की क्षमता, रिटर्न की उम्मीद और आपके निवेश की समय सीमा पर निर्भर करता है. हालांकि बाज़ार के हाई होने पर प्रतिक्रिया करना और कथित सेफ़ एसेट्स की ओर बढ़ना आकर्षक लगता है, लेकिन अगर बाज़ार बढ़ता ही रहा तो आप आगे मिलने वाले लाभ से चूक जाएंगे.
इसलिए, अपने निवेश निवेश रणनीति पर बने रहें और एक डाइवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो बनाएं जो आपके निवेश के लक्ष्यों और आपकी रिस्क लेने की क्षमता के मुताबिक़ हो. ये स्वाभाविक है कि नियमित रूप से अपने मूल पोर्टफ़ोलियो में री-बैलेंसिंग करना ज़रूरी होता है, क्योंकि बाज़ार में हर एसेट क्लास के कुछ अलग-अलग उतार-चढ़ाव का साइकल चलता ही रहता है.
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