किसी कंपनी में निवेश करने से पहले, हम आम तौर पर कई फ़ैक्टर्स की जांच-परख करते हैं. ऐसा ही एक फ़ैक्टर 'शेयर क्वालिटी' है.
निवेश के मक़सद से किसी स्टॉक की जांच-परख करते वक़्त क्वालिटी का ध्यान रखना सबसे ज़रूरी चीज़ों में से एक है. किसी कंपनी के मैट्रिक्स जितने बेहतर होंगे, उसकी क्वालिटी भी उतनी ही बेहतर होगी. और इसके उलट, ख़राब मैट्रिक्स वाली कंपनी की क्वालिटी भी ख़राब ही मानी जाती है.
हमारे हाल ही में लांच किए गए स्टॉक रेटिंग (Stock Ratings) टूल का इस्तेमाल करके, हमने उन कंपनियों का पता लगाया जिन्हें कभी बेहतरीन क्वालिटी वाला माना जाता था पर पिछले कुछ साल में उनकी क्वालिटी में गिरावट देखी गई है.
क्वालिटी स्कोर देने का हमारा तरीक़ा
हमने कंपनियों को क्वालिटी स्कोर देते वक़्त मोटे तौर पर दो पैरामीटर को ध्यान में रखा - बिज़नस एफ़िशिएंसी और बैलेंस शीट क्वालिटी. बिज़नस एफ़िशिएंसी किसी कंपनी की प्रॉफ़िट कमाने की क्षमता और पिछले रिटर्न (ROE, ROCE, ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट मार्जिन और डेट-टू-सेल्स जैसे मेट्रिक्स) पर आधारित होती है. वहीं दूसरी ओर, बैलेंस शीट की क्वालिटी कंपनियों के पिछले प्रदर्शन के आधार पर उनका आकलन करती है, और इस चीज़ का भी आकलन करती है कि कमज़ोर मार्केट कंडिशन के दौरान इन कंपनियों ने ख़ुद को कितनी अच्छी तरह से जमाए रखा (डेट-टू-इक्विटी रेशियो, कंटिंजेंट लायबिलिटीज़ और वर्किंग कैपिटल के इस्तेमाल से).
ऊपर बताए गए पैरामीटर्स के आधार पर हमें ऐसी 5 कंपनियां मिलीं:
FY2018 में इन कंपनियों की क्वालिटी रेटिंग 8 या उससे ज़्यादा थी, लेकिन जनवरी 2024 तक ये गिरकर 2 या उससे नीचे हो गई. सिर्फ़ एक कंपनी को छोड़कर सभी ने छह साल के दौरान नेगेटिव रिटर्न दिए हैं, जैसा कि नीचे दी गई टेबल में दिखाया गया है.
कंपनियां जिनकी चमक फीकी पड़ गई
इनमें से कोई भी कंपनी सेंसेक्स के 14 फ़ीसदी रिटर्न को मात न दे सकी
कंपनी | क्वालिटी स्कोर (FY18) | क्वालिटी स्कोर (जनवरी 2024) | 6Y रिटर्न (% प्रति वर्ष) |
---|---|---|---|
अंजनी पोर्टलैंड सीमेंट | 9 | 2 | 4.8 |
बोडल केमिकल्स | 9 | 2 | -7.2 |
रूपा एंड कंपनी | 8 | 2 | -5.6 |
शिल्पा मेडिकेयर | 8 | 2 | -6.1 |
ज़ी एंटरटेनमेंट | 8 | 1 | -20.1 |
क्वालिटी स्कोर और रिटर्न डेटा 23 जनवरी 2024 तक का है. |
आइए, इन कंपनियों के क्वालिटी स्कोर में गिरावट की वजहों पर ग़ौर करें.
ये भी पढ़िए- दूसरों से अलग 6 स्मॉल-कैप स्टॉक
अंजनी पोर्टलैंड सीमेंट
अंजनी पोर्टलैंड सीमेंट कंपनी एक साइक्लिक इंडस्ट्री में काम करती है और इसे अपने साथियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है. FY2018 के बाद से इसकी ग्रोथ ठीक-ठाक रही, पर FY22 में चीज़ों ने एक ख़राब मोड़ ले लिया -- जब कंपनी ने ₹600 करोड़ से ज़्यादा में भव्य सीमेंट्स को अक्वायर किया. इसका नतीजा ये हुआ कि कंपनी का डेट (debt) FY2011 में ₹3 करोड़ से बढ़कर सितंबर 2023 तक ₹440 करोड़ हो गया.
कंपनी के फ़ाइनेंशियल्स तब और ख़राब हो गए जब FY22 में इसका PAT (प्रॉफ़िट आफ़्टर टैक्स) 51 फ़ीसदी गिर गया (मुख्य रूप से फ़ाइनेंसिंग कॉस्ट, पॉवर और फ़्यूल एक्सपेंस और रॉ-मटीरियल की क़ीमतों में बढ़ोतरी के कारण). इससे कंपनी को FY23 में ₹59 करोड़ का घाटा हुआ. इसके अलावा, कम प्राप्तियों (प्रति यूनिट क़ीमत में गिरावट) के कारण FY2023 में इसके रेवेन्यू में लगभग 17 फ़ीसदी की कमी आई.
बोडल केमिकल्स
बोडल केमिकल्स कंपनी विश्व स्तर पर डाई इंटरमीडिएट्स, डाईस्टफ़ और बेसिक केमिकल्स के प्रमुख उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है.
पिछले कुछ साल में कंपनी को बिज़नस के दौरान एक चुनौती भरे क़ारोबारी माहौल का सामना करना पड़ा है, जिसकी मुख्य वजह रॉ-मटीरियल की कॉस्ट में उतार-चढ़ाव और कम डिमांड है. इससे कंपनी के रेवेन्यू ग्रोथ पर काफ़ी असर पड़ा, जो FY2018 से सिर्फ़ 7 फ़ीसदी बढ़ी है. इसके अलावा, FY2023 में इसका ROCE (रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड) और ROE (रिटर्न ऑन इक्विटी) घटकर क्रमश: 5 और 4 फ़ीसदी हो गया, जबकि FY2018 में ये क्रमश: 28 और 24 फ़ीसदी था.
इन मुश्किलों के बावजूद, बोडल केमिकल्स ने एग्रेसिव तरीक़े से ग्रोथ की ओर रुख़ किया और कैपेसिटी बढ़ाने के लिए अलग-अलग पहल शुरू की. नतीजतन, इसका डेट (debt) लेवल FY2018 में ₹181 करोड़ (0.3 गुना डेट-टू-इक्विटी रेशियो) से बढ़कर सितंबर 2023 तक ₹769 करोड़ (0.7 गुना डेट-टू-इक्विटी रेशियो) हो गया. इससे फ़ाइनेंसिंग कॉस्ट और बढ़ गई, जिससे कंपनी का मुनाफ़ा कम हो गया.
ये भी पढ़िए- आपको वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग क्यों चुननी चाहिए
रूपा एंड कंपनी
रूपा एंड कंपनी एक इनर, थर्मल और कैज़ुअल वियर कंपनी है जो बहुत ज़्यादा प्रतिस्पर्धी इंडस्ट्री में काम करती है. अपने प्रॉफ़िट मार्जिन को बढ़ाने के लिए, कंपनी ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ओबन फैशन (Oban Fashions) के ज़रिये 'FCUK' और 'फ़्रूट ऑफ़ द लूम' जैसे ग्लोबल ब्रांड्स को लॉन्च करने का लाइसेंस लेकर प्रीमियम इनरवियर सेगमेंट में आने की कोशिश की.
पर सहायक कंपनी को घाटा हुआ, जिससे रूपा एंड कंपनी की प्रॉफ़िटेबिलिटी पर भी असर पड़ा. COVID-19 के असर के साथ-साथ और बाक़ी फ़ैक्टर्स की वजह से कंपनी की PAT ग्रोथ में पिछले कुछ साल (FY18-22) में काफ़ी उतार-चढ़ाव आया.
इसके अलावा, FY23 में कंपनी को बहुत ज़्यादा अनप्रेडिक्टेबल रॉ-मैटेरियल कॉस्ट से जूझना पड़ा, जिस वजह से डिस्ट्रीब्यूटर लेवल पर इन्वेंट्री की डिस्टॉकिंग हो गई. इस वजह से, कंपनी के फ़ाइनेंशियल्स पर असर पड़ा, और FY2023 में रेवेन्यू और PAT में क्रमशः 23 और 72 फ़ीसदी की गिरावट आई. इसका कंपनी के ROCE और ROE पर भी गहरा असर पड़ा, जो FY2022 में क्रमशः 25 और 24 फ़ीसदी से घटकर FY2023 में 8 और 6 फ़ीसदी हो गया.
शिल्पा मेडिकेयर
शिल्पा मेडिकेयर एक्टिव फ़ार्मास्युटिकल सामग्री और फ़ॉर्मूलेशन की मैन्युफै़क्चरिंग में एक्सपर्ट है. क़ीमतों में गिरावट की वजह से, कंपनी की ग्रोथ रेट पिछले कुछ साल में उतार-चढ़ाव भरी रही.
लागत में बढ़ोतरी के साथ-साथ अनस्टेबल मैक्रोइकॉनॉमिक माहौल ने भी शिल्पा मेडिकेयर के ऑपरेशन पर असर डाला है, जिससे FY2022 में इसके PAT में 59 फ़ीसदी की गिरावट आई और FY23 में ₹31 करोड़ का नुक़सान हुआ.
कंपनी के फ़ाइनेंशियल्स तब और ख़राब हो गए जब लगातार कैपेसिटी बढ़ाने और नए प्रोडक्ट लॉन्च करने की वजह से डेट लेवल FY2020 में ₹390 करोड़ (0.3 गुना डेट-टु-इक्विटी रेशियो) से बढ़कर सितंबर 2023 तक ₹865 करोड़ (0.5 गुना डेट-टू-इक्विटी रेशियो) हो गया.
ज़ी एंटरटेनमेंट
मीडिया सेक्टर में 30 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, ज़ी एंटरटेनमेंट ने टेलीविज़न टेलिकास्ट, OTT (ओवर-द-टॉप), संगीत और बाक़ी चीज़ों में अपना प्रभुत्व बनाए रखा है. पर कंपनी ने पिछले कुछ साल में परेशानी का सामना किया, क्योंकि इसका एडवरटाइज़िंग रेवेन्यू FY2019 में ₹5,037 करोड़ से घटकर FY23 में ₹4,059 करोड़ हो गया. कंपनी के मैनेजमेंट ने रेवेन्यू में आई इस गिरावट के लिए ख़राब मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियों को ज़िम्मेदार ठहराया. इसके अलावा, FY2018-23 के दौरान सब्सक्रिप्शन और मीडिया कंटेंट की बिक्री से आने वाला रेवेन्यू सिर्फ़ 9.1 फ़ीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ा.
कंपनी का डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ZEE5 तो अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, पर लगातार किए गए निवेश ने कॉस्ट बढ़ा दी है और इसकी कुल प्रॉफ़िटेबिलिटी पर असर पड़ा है. नतीजतन, पिछले पांच साल में इसके PAT में सालाना लगभग 30 फ़ीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा, कंपनी ने कॉर्पोरेट गवर्नेंस विवाद, प्रमोटरों की हिस्सेदारी में कमी, काफ़ी ज़्यादा शेयर गिरवी रखने और SITI नेटवर्क्स (ज़ी की संबंधित पार्टी) के डेट डिफ़ॉल्ट होने जैसी समस्याओं का सामना किया. ये सब समस्याएं इसके पतन की वजह बनीं.
ये भी पढ़िए- क्या मुझे इक्विटी फ़ंड के मुनाफ़े पर टैक्स देना होगा?