क्या आप अपने निवेश पोर्टफ़ोलियो में कई सारे म्यूचुअल फ़ंड्स मैनेज कर रहे हैं? काफ़ी हद तक यही हो सकता है, क्योंकि क़रीब 48,000 निवेशकों के पोर्टफ़ोलियो अनालेसिस से पता चला है कि उनमें से लगभग 38 प्रतिशत लोगों के पास 10 से ज़्यादा फ़ंड्स हैं. यानी, हर 10 में से क़रीब 4 निवेशकों के साथ ऐसा है!
गहराई से अनालेसिस करने पर हमें ये पता चला कि 10 से ज़्यादा फ़ंड्स रखने वाले 97 प्रतिशत लोगों के पास आम तौर पर 5 से ज़्यादा इक्विटी फ़ंड्स होते हैं, जबकि उनमें से लगभग 30 प्रतिशत लोगों के पास 3 से ज़्यादा डेट फ़ंड्स भी होते हैं. दिलचस्प ये है कि जिन लोगों के पास शुरुआत में 5 इक्विटी फ़ंड होते हैं, वे अक्सर अलग-अलग कैटेगरी में 16 फ़ंड्स शामिल करने के लिए अपने पोर्टफ़ोलियो को बढ़ाते हैं, यहां तक कि बड़े रिस्क वाले ऑप्शन में भी उतर जाते हैं. इसी तरह से, 3 डेट फ़ंड्स से शुरुआत करने वाले लोग 8 फ़ंड्स मैनेज करते हैं.
डाइवर्सिफ़िकेशन की अति करने का एक उदाहरण हमें देखने को मिला जिसमें एक ही पोर्टफ़ोलियो में चौंका देने वाले 260 फ़ंड्स थे.
लेकिन ख़राब तरीक़े से ख़ूब सारे फ़ंड्स से भरे गए पोर्टफ़ोलियो के कई नुक़सान होते हैं.
इसका पहला नुक़सान है कि आप भूल जाते हैं कि आपके पास कौन-कौन से फ़ंड्स हैं, और हर एक फ़ंड पर नज़र रखना नामुमकिन सा हो जाता है.
दूसरा, ये आपके पोर्टफ़ोलियो की मुनाफ़ा देने की क्षमता पर असर डाल सकता है. ये असर कुछ इस तरह से हो सकता है:
24 फ़ंड्स वाला पोर्टफ़ोलियो
ज़्यादा फ़ंड्स वाले पोर्टफ़ोलियो का प्रदर्शन
निवेश राशि (लाख ₹) | 24 |
निवेश की वैल्यू (लाख ₹) | 49.12 |
रिटर्न (प्रतिशत सालाना) | 13.6 |
कॉस्ट (एक्सपेंस रेशियों - प्रतिशत सालाना) | 0.78 |
रखे गए स्टॉक का नंबर (अप्रत्यक्ष) | 500+ |
डेट इन्वेस्टमेंट का नंबर (अप्रत्यक्ष) | 400+ |
ध्यान दें: हर कैटेगरी के लिए फ़ंड की संख्या का आधार है कि सिर्फ़ डायरेक्ट स्कीम वाले ज़्यादा फ़ंड्स का एवरेज पोर्टफ़ोलियो कैसा दिखता है.निवेश की वैल्यू, रिटर्न और कॉस्ट, औसत के तौर पर ली गई हैं, जो बिना किसी ख़ास पैमाने के चुने गए 10,000 फ़ंड पोर्टफ़ोलियो हैं.
जैसा कि ऊपर टेबल में हमने देखा कि, 1 जनवरी 2014 से 14 जनवरी 2024 के बीच 16 इक्विटी फ़ंड्स में ₹14,000 मंथली एलोकेट करने से 500+ स्टॉक वाले पोर्टफ़ोलियो ख़त्म होते है. ये पूरे BSE 500 में निवेश करने जितना ही अच्छा है.
इसके बजाय, कोई भी व्यक्ति केवल इंडेक्स फ़ंड का ऑप्शन चुन सकता है. ये न केवल ज़्यादा आसान है, बल्कि ये कम ख़र्चीला भी साबित होता है, जिसमें मौजूदा पोर्टफ़ोलियो के 0.78 प्रतिशत की तुलना में बहुत कम ख़र्च होता है.
इस बीच, 1 जनवरी 2014 से 14 जनवरी 2024 तक 8 डेट फ़ंड्स में से ₹6,000 मंथली निवेश का मतलब है कि निवेशक 400+ डेट इंस्ट्रूमेंट्स (debt instruments) का मालिक है.
इसके अलावा, अगर आप सोचें कि बात अगर ज़्यादा रिटर्न पाने की ही है, तो ये काम आसान तरीक़े से कम जटिलता वाले पोर्टफ़ोलियो से क्यों न किया जाए?
अपने पोर्टफ़ोलियो को आसान कैसे बनाएं
अपना पोर्टफ़ोलियो छोटा करना चुनौती भरा हो सकता है. और क्या रखना है, क्या बेचना है इसे समझना एक मुश्किल काम है. साथ ही, आपको अपने फ़ंड्स को बेचते समय टैक्स की मुश्किलों पर भी विचार करना होगा है.
लेकिन चिंता मत कीजिए. हम आपके पोर्टफ़ोलियो को छोटा रखने और प्रॉफ़िट बनाने वाली मशीन में बदलने में मदद करने के लिए 3 रेडीमेट सॉल्यूशन पेश कर रहे हैं.
ऑप्शन 1: सरल मगर प्रभावी रणनीति
2 अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड + 1 लिक्विड फ़ंड
ये फ़ंड लगभग 70 फ़ीसदी इक्विटी और 30 फ़ीसदी डेट का बैलेंस मिक्स पेश करते हैं.
इमर्जेंसी के लिए, छह महीने के ख़र्च को लिक्विड फ़ंड में एलोकेट करें.
ये बाज़ार की अनिश्चितताओं से जूझ रहे नए निवेशकों के लिए आदर्श.
रिस्क फैक्टर:
तीनों ऑप्शन में सबसे कम है.
ऑप्शन 2: फ़्लेक्सी वाली अप्रोच
2 फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड + 1 शॉर्ट-ड्यूरेशन फ़ंड + 1 लिक्विड फ़ंड
अलग-अलग निवेश शैलियों वाले दो
फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड
चुनें, एक ग्रोथ-ओरिन्टेड अप्रोच के साथ और दूसरा वैल्यू-ओरिन्टेड स्ट्रैटजी के साथ. निवेश शैलियों में विविधता लाने से आपके पोर्टफ़ोलियो में जोख़िम और संभावित रिटर्न को संतुलित करने में मदद मिलती है.
एक से तीन साल के लक्ष्य के लिए एक शॉर्ट-ड्यूरेशन का डेट फ़ंड जोड़ें और आपात स्थिति के लिए एक लिक्विड फ़ंड रखें.
पोर्टफ़ोलियो की सालाना मॉनिटरिंग और दोबारा बैलेंसिंग करने वाले निवेशकों के लिए ये सही विकल्प है.
रिस्क फ़ैक्टर:
पहले ऑप्शन की तुलना में थोड़ा ज़्यादा, मगर लंबे समय में इक्विटी के उतार-चढ़ाव सहज हो जाते हैं.
ऑप्शन 3: कम ख़र्च वाली अप्रोच
1 इंडेक्स फ़ंड + 2 मिड-कैप + 2 स्मॉल-कैप + 1 शॉर्ट-ड्यूरेशन फ़ंड + 1 लिक्विड फ़ंड
निफ़्टी या सेंसेक्स-ट्रैकिंग इंडेक्स फ़ंड चुनें, जिसमें दो
मिड-कैप
और
स्मॉल-कैप
फ़ंड शामिल हों.
डेट कम करने के लिए एक शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड और एक
लिक्विड फ़ंड
शामिल करें. ऐसा करने से आपके पोर्टफ़ोलियो में डाइवर्सिफ़िकेशन और लिक्विडिटी आएगी.
कम ख़र्च को प्राथमिकता देते हुए कुछ रिस्क लेने वाले और फ़ैसलों पर नियंत्रण चाहने वाले एग्रेसिव निवेशकों के लिए सही है.
रिस्क फैक्टर:
पिछले दोनों ऑप्शन्स की तुलना में थोड़ा ज़्यादा, लेकिन लंबे समय में जोख़िम आमतौर पर कम हो जाता है.
तीन आसान और सुलझे हुए पोर्टफ़ोलियो पेश करने के बाद, आइए उनके लॉन्ग-टर्म परफ़ॉर्मेंस पर ग़ौर करें.
साइज़ में बड़ा पोर्टफ़ोलियो बनाम तीन सरल और छोटे पोर्टफ़ोलियो
छोटे पोर्टफ़ोलियो (ऑप्शन 1, 2 और 3) लंबे समय में बहुत नहीं, तब भी ज़्यादा रिटर्न दे सकते है
ऑप्शन 1 (हाइब्रिड) | ऑप्शन 2 (फलेक्सी) | ऑप्शन 3 (लो कॉस्ट) | बढ़ा हुआ पोर्टफ़ोलियो | |
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इन्वेस्टमेंट अमाउन्ट (लाख ₹) | 24 | 24 | 24 | 24 |
इवेस्टमेंट वैल्यू (लाख ₹) | 49.12 | 53.08 | 52.13 | 49.12 |
रिटर्न (प्रतिशत सालाना) | 13.6 | 15.1 | 14.7 | 13.6 |
कॉस्ट (एक्सपेन्स रेशियों - प्रतिशत साला) | 0.92 | 0.73 | 0.38 | 0.78 |
रखे गए स्टॉक का नंबर (अप्रत्यक्ष) | 97 | 60 | 268 | 500+ |
डेट निवेश का नंबर (अप्रत्यक्ष) | 113 | 142 | 142 | 400+ |
ध्यान दें: हर एप्रोच के लिए फ़ंड 1 जनवरी 2014 तक उनके लॉन्ग टर्म प्रदर्शन के आधार पर चुने गए हैं. फ़ंड का चुनाव करते समय डाइवर्सिफ़ाई करने के तरीक़े पर विचार किया गया है. सभी चुने गए फ़ंड डायरेक्ट प्लान हैं.
तो, कौन सा विकल्प सबसे अच्छा है?
छोटा पोर्टफ़ोलियो, बड़े पोर्टफ़ोलियो से बेहतर प्रदर्शन करता है.
दो एग्रेसिव हाइब्रिड और एक लिक्विड फ़ंड का ऑप्शन 1 भी कई फ़ंड्स के पोर्टफ़ोलियो जैसा रिटर्न दे सकता है.
बाक़ी के दो विकल्प, बहुत से फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो से 1.5 फ़ीसदी तक बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
अगर आपको लगता है कि अंतर अभी भी कम है, तो इस बात पर सोचिए: 1.5 प्रतिशत का अंतर आपको 15 साल में ₹1.04 करोड़ तक कमा के दे सकता है.