लर्निंग

वॉरेन बफ़े बेन ग्राहम की इनवेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी से पीछे क्यों हट गए?

उनके मज़बूत फ़ॉलोवर होने के बावजूद, बफे़ के निवेश का तरीक़ा ग्राहम से काफ़ी अलग है

Why Buffett moved away from Ben Graham's investing philosophyAnand Kumar

बेंजामिन ग्राहम , जिन्हें 'वैल्यू इन्वेस्टिंग के जनक' के तौर में जाना जाता है, ऐसे पहले कुछ निवेशकों में से थे जिन्होंने स्टॉक में मौलिक विश्लेषण पर ज़ोर दिया. उन्होंने वॉरेन बफ़े की निवेश रणनीति को आकार देने में भी ख़ासी अहम भूमिका निभाई, जैसा कि बफे़ ने अक्सर माना भी है.

अक्सर ग्राहम के लिए उनकी खुले दिल से की गई तारीफ़ों को देखते हुए, कोई भी मान सकता है कि बफ़े ने अपने निवेश करियर में उनके नक्शेक़दम पर चलते हुए काम किया. फिर भी, बफ़े के ज़्यादातर निवेश, ग्राहम की निवेश शैली से अलग हैं. आइये समझते हैं क्यों.

Quantitative Investing: मात्रात्मक निवेश की कमियां
ग्राहम के बेसिक निवेश सिद्धांतों में से एक, जिसके बफ़े प्रशंसक नहीं थे, प्योर क्वांटिटेटवि इन्वेस्टिंग थी. ग्राहम ने उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित किया जो अपने आंतरिक वैल्यू (intrinsic value) से नीचे क़ारोबार करती थीं और उनकी गलत क़ीमत पर दांव लगाती थीं. इसके अलावा, उन्होंने मुनाफ़े की उम्मीद बढ़ाने के लिए पोर्टफ़ोलियो डाइवर्सिफ़िकेशन की अहमियत को हाई लाइट किया.

हालांकि, इस रणनीति की कुछ सीमाएं थीं. ये देखते हुए कि ये ख़ास तौर से उन फ़ैक्टर्स पर ध्यान केंद्रित करता है जिनकी मात्रा तय की जा सकती है (एसेट, डिविडेंड, अर्निंग), कंपनी के मैनेजमेंट या सामान्य तौर से बिज़नस की क्वालिटी पर बहुत कम, या कोई ज़ोर नहीं था.

इसके अलावा, रणनीति सिर्फ़ तभी काम करेगी जब वैल्यू अनलॉकिंग के लिए कोई ट्रिगर हो या अगर बाज़ार को थोड़े समय के भीतर स्टॉक की वास्तविक क़ीमत का एहसास हो. आइए बेहतर ढंग से समझने के लिए एक मिसाल लेते हैं. मान लीजिए कि ₹10,000 करोड़ की संपत्ति वाली एक कंपनी ₹8,000 करोड़ की मार्केट वैल्यू पर क़ारोबार करती है अगर बाज़ार को कंपनी की इंट्रिंसिक वैल्यू का एहसास करने में लंबा वक़्त लगता है, मान लीजिए 10 साल, तो ये निवेशकों के लिए बेकार होगा.

ये देखने के लिए कि क्या ये सच है, हमने ये विश्लेषण करने के लिए एक अध्ययन किया कि क्या प्योर क्वांटिटेटिव नज़रिया भारतीय बाज़ारों में काम करता है. हमने ₹1,000 करोड़ से ज़्यादा के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन, एक से कम के P/B (प्राइज़-टू-बुक) रेशियो और कैश प्लस करंट इन्वेस्टमेंट वाली कंपनियों को चुना, जो मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के 50 फ़ीसदी से ज़्यादा हैं. फिर, हमने FY15 से FY23 तक पांच साल की रोलिंग पीरियड लिया और सेंसेक्स रिटर्न की तुलना हमारे द्वारा बनाई गई वैल्यू बास्केट से की.

वैल्यू VS सेंसेक्स

वैल्यू पोर्टफ़ोलियो ने 5 में से 3 पीरियड में सेंसेक्स से कमज़ोर प्रदर्शन किया

रिटर्न (% प्रतिवर्ष) सेंसेक्स रिटर्न (%) वैल्यू पोर्टफ़ोलियो रिटर्न उन कंपनियों का % जिन्होंने सेंसेक्स से कमज़ोर प्रदर्शन किया है
FY19-23 11.9 12.6 25
FY18-22 14.6 -3.2 100
FY17-21 14.3 13.2 60
FY16-20 1.1 2.2 57
FY15-19 11.6 10.9 55
वैल्यू पोर्टफ़ोलियो के लिए रिटर्न का कैलकुलेशन एक जैसे वेट (equal weighted) पर किया जाता है

टेबल से पता चलता है कि वैल्यू पोर्टफ़ोलियो ने 5 में से 3 पीरियड में सेंसेक्स से कम प्रदर्शन किया. इस रणनीति के आधार पर, अगर आपने वित्त वर्ष 2015 में ₹10 लाख का निवेश किया होता और इसे वित्त वर्ष 23 तक बनाए रखा होता, तो आपका प्रदर्शन सेंसेक्स से क़रीब ₹1.18 लाख कम होता. इससे पता चलता है कि अगर आपने लंबी अवधि के लिए ग्राहम के सिद्धांतों के मुताबिक़ निवेश किया होता, तो भी आपका पोर्टफ़ोलियो सेंसेक्स से कम रिटर्न देता.

ये भी पढ़िए: म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कैसे करें? निवेश शुरू करने वालों के लिए इन्वेस्टमेंट गाइड

मात्रा से ज़्याद गुणवत्ता
ग्राहम की रणनीति की सीमाओं की वजह से, बफ़े धीरे-धीरे फ़िलिप फ़िशर की निवेश शैली की ओर झुक गए. ग्राहम के उलट, फ़िशर ने मैनेजमेंट क्वालिटी और बिज़नस की संभावनाओं जैसे क्वालिटेटिव पहलुओं, जिसे आसानी से नहीं मापा जा सकता है, उस पर किसी कंपनी का मूल्यांकन करने के महत्व पर ज़ोर दिया, बफे़े के शब्दों में, "सिगार अप्रोच" [बेन ग्राहम के नज़रिए] के साथ, आप ज़मीन पर एक ख़राब सिगार पा सकते हैं, एक कश के बचे होने पर, इसे उठा सकते हैं, जला सकते हैं, और आपको एक मुफ़्त का कश मिल सकता है. आप ऐसा करते रह सकते हैं और कई मुफ़्त के कश पा सकते हैं. ये एक नज़रिया है, यही मैंने किया. मैंने क्वांटिटेविट तौर से बहुत सस्ते शेयरों की तलाश की. [फ़िलिप] फ़िशर और चार्ली [मुंगर] के संपर्क के बाद, मैंने बेहतर कंपनियों की तलाश शुरू कर दी. पहले, मैं दोनों काम कर रहा था. अब हम सिर्फ़ सस्ती कंपनियां ही नहीं, बल्कि अच्छी कंपनियों की तलाश कर रहे हैं. "

क्या बफे़े ने ग्राहम की के तरीक़े को पूरी तरह से छोड़ दिया?
ज़रूरी नहीं है.

इसके उलट, बफे़े ने ग्राहम से दो महत्वपूर्ण सीख मिलना स्वीकार किया है जिन्हें वो अपनी निवेश शैली पर लागू करते हैं: शेयर बाज़ार में सेफ़्टी मार्जिन और भावनाओं का महत्व. इसके अलावा, बफे़े अपनी निवेश रणनीति को ग्राहम और फ़िशर की फ़िलॉसफ़ी के मिक्स के तौर पर परिभाषित करते हैं.

ये भी पढ़ें: जोएल ग्रीनब्लाट के साथ वैल्यू इन्वेस्टिंग के अहम सबक़


टॉप पिक

Nasdaq FOF: दूसरों से 60% ज़्यादा रिटर्न देने वाला फ़ंड?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

एक असंभव लक्ष्य का फ़ायदा

पढ़ने का समय 4 मिनटधीरेंद्र कुमार

Stock Rating Update: 5 हाई ग्रोथ स्टॉक्स में बने निवेश के मौक़े

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

स्पेशलाइज़्ड इन्वेस्टमेंट फ़ंड क्या है? SEBI का बड़े इन्वेस्टर्स के लिए तोहफ़ा

पढ़ने का समय 3 मिनटचिराग मदिया

HDFC Bank: अब परफ़ॉर्मेंस कैसा होगा?

पढ़ने का समय 8 मिनटKunal Bansal

दूसरी कैटेगरी