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स्पेशलाइज़्ड इन्वेस्टमेंट फ़ंड क्या है? SEBI का बड़े इन्वेस्टर्स के लिए तोहफ़ा

इसमें न्यूनतम ₹10 लाख का कर सकते हैं निवेश

क्या है 'स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड'? Hindi meAI-generated image

क्या आपको याद है कि मार्केट रेग्युलेटर SEBI ने इस साल की शुरुआत में निवेशकों के लिए निवेश का एक नया विकल्प तैयार करने की घोषणा की थी. बताया गया था कि ये एक ऐसी एसेट क्लास होगी जो म्यूचुअल फ़ंड और पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज की ख़ूबियों को जोड़ती हो?

अब रेग्युलेटर ने निवेश विकल्प को 'स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फ़ंड' (SIF) नाम दिया है और इसे ₹10 लाख के न्यूनतम टिकट साइज़ वाले सभी निवेशकों के लिए इलिजिबल बनाया है.

इस स्ट्रैटजी के लिए कुछ इन्वेस्टमेंट रूल्स और रेग्युलेशन भी तय किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • कोई भी SIF अपने नेट एसेट्स वैल्यू (NAV) का 20 फ़ीसदी से ज़्यादा किसी एक इश्युअर द्वारा जारी किए गए डेट इंस्ट्रूमेंट्स में एलोकेट नहीं कर सकता है, जिन्हें इन्वेस्टमेंट ग्रेड से नीचे रेटिंग नहीं दी गई है.
    हालांकि, अगर स्ट्रैटजी सरकारी सिक्योरिटीज़ और ट्रेजरी बिलों में निवेश करती है तो 20 फ़ीसदी का नियम लागू नहीं होता है. ये लिमिट बोर्ड ऑफ ट्रस्टी और एसेट मैनेजमेंट कंपनी के निदेशक मंडल से पहले मंजूरी लेने के साथ 25 फ़ीसदी तक बढ़ाई जा सकती है.
  • इसके अलावा, SIF वोटिंग राइट्स के साथ कंपनी की पेड-अप कैपिटल के 15 प्रतिशत से ज़्यादा का निवेश नहीं कर सकते हैं. और, न ही वे किसी कंपनी के इक्विटी शेयरों में उसके NAV के 10 फ़ीसदी से ज़्यादा का निवेश कर सकते हैं.
  • जब REITs (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स) और InvITs (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स) की बात आती है, तो SIF इन इंस्ट्रूमेंट्स में अपनी कुल एसेट्स का 20 फ़ीसदी तक निवेश कर सकते हैं, लेकिन किसी एक REIT या InvIT में 10 फ़ीसदी से ज़्यादा नहीं.
  • SEBI ने एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (म्यूचुअल फ़ंड हाउस) को ब्रांडिंग, विज्ञापन, डिस्क्लेमर गाइडलाइंस और दो निवेश विकल्पों के लिए अलग-अलग वेबसाइट बनाए रखकर SIF को म्यूचुअल फ़ंड से स्पष्ट रूप से अलग करने का निर्देश दिया है।

कुछ अन्य खबरों के मुताबिक़, SEBI ने म्यूचुअल फ़ंड लाइट की भी शुरुआत की. इन नए नियमों से नई इकाइयों को पैसिव फ़ंड स्पेस में उतरने के लिए प्रोत्साहन मिलने की संभावना है.

इस सितंबर में बोर्ड की बैठक में, रेग्युलेटर ने नेटवर्थ, ट्रैक रिकॉर्ड और अन्य ज़रूरी डिस्क्लोजर से संबंधित शर्तों में ढील देकर पैसिव फ़ंड में संभावित रूप से उतरने वाली इकाइयों के लिए प्रोसेस को सरल बनाया.

कुल मिलाकर, मार्केट रेग्युलेटर ने निष्क्रिय और बिना दावे वाले म्यूचुअल फ़ंड फ़ोलियो का पता लगाने के उद्देश्य से निवेशकों के लिए म्यूचुअल फ़ंड इन्वेस्टमेंट ट्रेसिंग एंड रिट्रीवल असिस्टेंट (MITRA) नामक एक सर्विस प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किया.

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ये भी पढ़िए- ₹10 लाख का इन्वेस्टमेंट है तो अब आपके लिए है एक नई 'हाई रिस्क-रिटर्न' एसेट क्लास

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