क्या प्रॉपर्टी बेचकर मिले पैसे पर टैक्स देकर बाकी रकम को इक्विटी आधारित निवेश के दूसरे विकल्पों में लगाने के बजाय रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (REC), पावर फ़ाइनांस कॉर्पोरेशन (PFC) और इंडियन रेलवे फ़ाइनांस कॉर्पोरेशन (IRFC) के द्वारा जारी सेक्शन 54EC बॉन्ड में पैसा लगाना बेहतर है? -(अनिल मिश्रा)
अगर आप दो साल से ज़्यादा समय तक होल्ड करने के बाद कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं, तो उससे हुए फ़ायदे पर इंडक्सेशन के बाद 20 प्रतिशत टैक्स लगता है.
हालांकि, अगर आप अपनी प्रॉपर्टी बेचकर 6 महीने के अंदर कैपिटल गेन बॉन्ड में निवेश करते हैं, तो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 54EC के तहत ₹50 लाख तक के प्रॉफ़िट पर डिडक्शन ले सकते हैं.
इसका मतलब है कि ऐसे बॉन्ड में निवेश करने से आप ₹10 लाख तक टैक्स (यानी ₹50 लाख का 20 प्रतिशत) बचा सकते हैं.
क्या होते हैं कैपिटल गेन बॉन्ड्स?
ये बॉन्ड रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (REC), पावर फ़ाइनांस कॉर्पोरेशन (PFC) और इंडियन रेलवे फ़ाइनांस कॉर्पोरेशन (IRFC) जैसी सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर फ़ाइनांस कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं.
कैपिटल गेन बॉन्ड्स में 5 साल का लॉक-इन होता है और हर साल 5.25 प्रतिशत तक का ब्याज़ मिलता है. इस ब्याज़ को सालभर की कमाई में जोड़ा जाता है और टैक्स स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स भी लगता है.
सीधे तौर पर कहें तो 30 प्रतिशत के टैक्स ब्रेकेट में आने वालों को टैक्स देने के बाद महज 3.68 प्रतिशत ही रिटर्न मिलता है.
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क्या आपको इनमें इन्वेस्ट करना चाहिए?
इक्विटी फ़ंड्स की तुलना में सिर्फ़ 5.25 प्रतिशत का सालाना रिटर्न काफ़ी कम है. पिछले 5 साल के दौरान एवरेज फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड का SIP रिटर्न 20 फ़ीसदी से ज्यादा रहा है.
अगर आपने ₹10 लाख टैक्स (₹50 लाख में से 20 प्रतिशत) अग्रिम देकर, बचे हुए ₹40 लाख को अगले 5 साल तक बराबर किश्तों में फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स में लगाया होता तो आपका पैसा बढ़कर ₹70 लाख के करीब पहुंच गया होता. (ध्यान रखें कि आमतौर पर इन्वेस्टमेंट को स्प्रेड करने यानी बांटकर निवेश करने के लिए 3 साल का समय पर्याप्त होता है).
इसके विपरीत, कैपिटल गेन बॉन्ड में लगाए गए ₹50 लाख, बढ़कर ₹63 लाख से कुछ ज़्यादा ज़्यादा ही हो पाते.
इसीलिए, तर्कों और आंकड़ों के आधार पर टैक्स की मार सहना और इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में पैसा लगाना सही रहता है.
वैसे, इक्विटी से ज़्यादा फ़ायदा पाने की उम्मीद में ₹10 लाख का अग्रिम भुगतान करना मुश्किल हो सकता है. दूसरी तरफ, भले ही ये गारंटीड नहीं हो, लेकिन 5 से 7 साल में तुलनात्मक रूप से अच्छा रिटर्न पाने की उम्मीद की जा सकती है और उससे भी ज़्यादा अहम इसमें ज़्यादा उतार-चढ़ाव की आशंका रहती है.
दूसरी ओर, कैपिटल गेन बॉन्ड में आपको सुनिश्चित रिटर्न मिलता है.
इसके अलावा, अगर हम दोनों ऑप्शन की तुलना करें तो कैपिटल गेन बॉन्ड में निवेश से टैक्स के तौर पर ₹10 लाख की बचत होती है, जो आपको इक्विटी फ़ंड में इन्वेस्ट करने की स्थिति में टैक्स के रूप में चुकानी पड़ती है. इस बचत के साथ, कैपिटल गेन बॉन्ड का सालाना रिटर्न वास्तव में 10 प्रतिशत से ज़्यादा होता है न कि 5.25 प्रतिशत. ये रिटर्न 5 साल के किसी फ़िक्स्ड इनकम के विकल्प की तुलना में ज़्यादा है.
हमारी राय
अगर आप सुरक्षित और कम जोख़िम वाले ऑप्शन की तलाश में है और 5 आपको साल बाद पैसों की ज़रूरत है तो आप कैपिटल गेन बॉन्ड में ही निवेश कीजिए.
लेकिन, अगर आप थोड़ा जोख़िम लेते हुए तर्क और आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए फैसला करना चाहते हैं और निवेश की अवधि को 5 साल से ज़्यादा बढ़ाने को राजी हैं तो टैक्स का बोझ उठाइए और एक इक्विटी फ़ंड में पैसा लगाइए.
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