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बड़े बैंकों के मुसीबत में पड़ने की वजह

भारत के दो प्रमुख बैंकों के कमज़ोर होने की वजह क्या रही है

बड़े बैंकों के मुसीबत में पड़ने की वजह

हमें हाल ही में अपने बिल्कुल नए स्टॉक रेटिंग टूल का इस्तेमाल करते समय एक दिलचस्प जानकारी मिली. फ़ाइनेंशियल ईयर 2014 में क्वालिटी, ग्रोथ और वैल्युएशन में पांच या उससे अधिक रेटिंग वाली कंपनियों को देखते हुए, हमें एहसास हुआ कि वे सभी बैंक थे!

लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्य की बात ये थी कि यस बैंक और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) को तब स्टॉक रेटिंग पांच मिली थी.

ये आश्चर्य की बात क्यों है? पिछले कुछ वर्षों में यस बैंक और पीएनबी ने शेयर होल्डर्स की संपत्ति कम कर दी है, जिससे उनकी स्टॉक रेटिंग घटकर केवल एक रह गई है. इन बैंकों को क्या हुआ? आइए जानते हैं.

यस बैंक: धोखाधड़ी का मामला
अगले HDFC के रूप में जाना जाने वाला यस बैंक फ़ाइनेंशियल ईयर 2018 तक अपनी कैटेगरी में बेहतर रिज़ल्ट देकर हाई लेवल पर था. फिर भी इसके अच्छे दिन लंबे समय तक नहीं टिके, क्योंकि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पाया कि बैंक अपने नॉन परफ़ॉर्मिंग एसेट (NPA) को कम करके बता रहा था.

एक बार जब यस बैंक को जांच के दायरे में लाया गया, तो उसके बढ़ते NPA के आंकड़े सामने आए, जिससे उसकी फ़ाइनेंशियल कंडीशन ख़राब हो गई और उसका बॉटम लाइन रेड हो गया.

संकटग्रस्त बैंक तब और मुसीबत में पड़ गया जब एमडी और सीईओ राणा कपूर को मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वत लेने का दोषी पाया गया. इसके अलावा हाई इंटरेस्ट रेट पर जोख़िम भरी कंपनियों को क़र्ज़ देने के कपूर के सफल फ़ॉर्मूले ने बैंक के शेयर प्राइस को काफ़ी नुक़सान पहुंचा, जो पिछले 10 वर्षों में 72 प्रतिशत गिर गया, और 2005 के IPO स्टॉक प्राइस तक घट गया. इसके अलावा हमारे स्टॉक रेटिंग टूल ने फ़ाइनेंशियल ईयर 2017 से अपनी स्टॉक रेटिंग में गिरावट के संकेत दिखाना शुरू कर दिया था.

ये भी पढ़िए- मज़बूत एसेट या बड़ी लोन बुक: क्या ज़्यादा मायने रखता है बैंकों के लिए?

पंजाब नेशनल बैंक: एक हीरा व्यापारी ने धोखाधड़ी की
PNB पहले से ही संघर्ष कर रहा था जब उसे एहसास हुआ कि इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम, सोसाइटी फ़ॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फ़ाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशन के ज़रिए नीरव मोदी को कई लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग्स (LOUs) जारी किए गए थे, जो उसके इंटरनल सिस्टम में किसी भी रिकॉर्ड के बिना थे.

शुरुआत में LOU का कुल मूल्य लगभग 280 करोड़ रुपये माना गया था. हालांकि, वास्तविक आंकड़ा 14,000 करोड़ रुपये बताया गया था. ये भारत की अब तक की सबसे बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी साबित हुई, और PNB ने फाइनेंशियल ईयर 2020 में यस बैंक के अधिग्रहण तक किसी भी भारतीय बैंक द्वारा अब तक का सबसे अधिक घाटा दर्ज किया.

अपने ख़राब प्रदर्शन के कारण, PNB के स्टॉक ने पिछले 10 वर्षों में 28 प्रतिशत का नेगेटिव रिटर्न दिया है. 2022 के बाद से शेयर की क़ीमत में उछाल के बाद भी इसके रिटर्न में कोई खास सुधार नहीं हुआ है.

वर्तमान स्थिति क्या है
PNB ने कई अन्य पब्लिक सेक्टर के बैंकों की तरह अपने अधिकांश बैड लोन के लिए प्रावधान किया है और इसमें सुधार के संकेत दिख रहे हैं. हालांकि, इसकी ग्रॉस नॉन परफ़ॉर्मिंग एसेट (GNPA) हाई बनी हुई है.

दूसरी ओर, यस बैंक को अभी भी बहुत कुछ देखना बाकी है. बैंक को अलग अलग फैक्टर्स के कारण एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) को बेचे गए बैड लोन अभी तक वसूल नहीं हुए हैं.

ये सुझाव दिया जाता है कि आप इन बैंकों के स्टॉक में इन्वेस्टमेंट करने से पहले सावधानी बरतें और अच्छे से रिसर्च करें.

निवेशकों के लिए
हमारी प्रैक्टिस इस बात को ज़ाहिर करती है कि कैसे हमारी स्टॉक रेटिंग इन्वेस्टर्स को मार्केट के उत्साह से बचने और बेहतर निवेश निर्णय लेने में मदद कर सकती है. हमारी रेटिंग ने इन बैंकों के गिरते फ़ाइनेंशियल हेल्थ को सफलतापूर्वक उजागर किया, जैसा कि ऊपर दिए गए ग्राफ़ में दिखाया गया है. (ग्राफ़ 'लाइनों के बीच पढ़ना' और LOU से नुक़सान हो रहा है') देखें.

संक्षेप में कहें तो सेक्टर या कंपनी की परवाह किए बिना, निष्पक्ष अनालिसिस सबसे ज़रूरी है. हमारी स्टॉक रेटिंग का लक्ष्य इन्वेस्टर्स को ऐसे ख़राब बिज़नस से दूर करना और प्रचार और बाज़ार के शोर से बचना है.

ये भी पढ़िए- आपको वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग क्यों चुननी चाहिए


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