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आज़ादी और ख़ुशी

जीवन में आर्थिक आज़ादी जल्दी पाने का रास्ता बचत, जीवन-शैली और अकांक्षाओं के संतुलन से होकर जाता है

आज़ादी और ख़ुशीAnand Kumar

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6:48

पैसों को लेकर, सामान्य समस्याओं की तुलना में ख़ास समस्याओं से निपटना हमेशा काफ़ी आसान होता है. अगर कोई मुझसे पांच से 10 साल के निवेश के लिए किसी म्यूचुअल फ़ंड की सिफ़ारिश करने के लिए कहता है, तो उसका जवाब न केवल सीधा होता है, बल्कि जिस प्रक्रिया के ज़रिए जवाब तक पहुंचा जाता है वो क़रीब-क़रीब स्वतः सिद्ध है. हालांकि, बड़ी और ज़्यादा वैचारिक समस्याओं पर तर्क करना इतना आसान नहीं है. उदाहरण के लिए, "मेरी पूरी फ़ाइनेंशियल स्ट्रैटजी क्या होनी चाहिए?" आप इस सवाल पर विचार करें. जवाब के लिए आपको अपने लंबे समय के लक्ष्य, ख़र्च की आदतों, आमदनी के स्तर और पारिवारिक स्थितियों को एक व्यापक योजना में शामिल करना होगा जो समय के साथ बदलती भी है. जबकि, किसी ख़ास निवेश का चुनाव एक 'प्लग-एंड-प्ले' जैसा हो सकता है, वहीं एक व्यापक वित्तीय योजना के लिए आपको लगातार तालमेल बैठाने और पुनर्मूल्यांकन करने की ज़रूरत होती है.

मूल रूप से, इस सवाल को कुछ ऐसे समझा जा सकता है "कृपया मेरे पूरे जीवन के फ़ाइनांस की योजना बनाएं." ये एक सवाल कम है और परामर्श का विषय ज़्यादा है, लेकिन लोग ये सवाल पूछते हैं. और इसके अलावा भी, एक और वैचारिक प्रश्न है जो अब काफ़ी पूछा जा रहा है, और वो है, "मैं X वर्ष की आयु तक वित्तीय स्वतंत्रता या फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम कैसे पा सकता हूं?". X का मूल्य आम तौर पर कुछ ऐसा होता है जो सामान्य रिटायरमेंट की उम्र से काफ़ी कम होता है. इसका जवाब देने के लिए न केवल फ़ाइनेंशियल प्लानिंग की ज़रूरत है, बल्कि जीवनशैली में भी बदलाव की आवश्यकता है. इसमें बचत दरों को एडजस्ट करना, आक्रामक तरीक़े से निवेश करना, ख़र्चों को कम करना और संभावित रूप से आमदनी के गैर-पारंपरिक स्रोतों पर विचार करना शामिल है. अक्सर जीवन के सभी बड़े फ़ैसलों को लेकर सलाह देते हुए इस सब पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है.

हालांकि, 'फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम' की अवधारणा ख़ुद ही बहुत ज़्यादा व्यक्तिगत और व्यक्तिपरक है और इसकी कोई स्पष्ट, सार्वभौमिक स्वीकृत परिभाषा नहीं हो सकती. अलग-अलग लोगों के लिए एक निश्चित उम्र तक इसे हासिल करना उनके व्यक्तित्व, रुचियों, ज़िम्मेदारियों और जीवन के प्रति दृष्टिकोण के आधार पर बहुत अलग मतलब होगा. तो वास्तव में, शुरुआती फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम पाने का सवाल प्रेरणाओं और आकांक्षाओं को समझने के बारे में भी है और संख्याओं के बारे में भी. फ़ाइनेंशियल प्लानिंग, जीवन की प्लानिंग के साथ-साथ होती है, इसके विपरीत नहीं.

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बहुत से लोग जीवन की शुरुआत में ही फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम पाने का सपना देखते हैं. पैसा कमाने के लिए काम करने की दिनचर्या हमारे जीवन का एक प्रमुख हिस्सा है, और इससे आज़ाद होना मुक्ति का एक महत्वपूर्ण रूप दर्शाता है. फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम अलग-अलग स्तरों पर आती है, जिसमें आमदनी के लिए काम किए बिना जीवन जीने की क्षमता सबसे बड़ी बात है. कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें अपनी विरासत की वजह से काम करने की ज़रूरत नहीं होती. लेकिन, ज़्यादातर लोगों के लिए, फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम के इस स्तर तक पहुंचने के लिए जीवन भर काम करने की ज़रूरत होती है.

फिर भी, समझदारी से की गई बचत और निवेश के ज़रिए जीवन में पहले ही फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम पाना संभव है. इसका ये मतलब नहीं कि काम से पूरी आज़ादी मिल जाए, लेकिन हां, ये इससे काफ़ी हद तक आपके जीवन में शांति आ सकती है. कुछ दशक पहले की तुलना में आज, वेतन पाने वालों के लिए अपने करियर की शुरुआत में ही एक स्तर की फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम पाना ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया है.

भले ही भारत, सामान्य तौर पर, एक या दो दशक पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा समृद्ध है, मगर पेशे को लेकर और पैसों की अस्थिरता को लेकर बहुत से लोगों के मन में डर अब भी बैठा रहता है. नौकरी से संबंधित कई तरह की चुनौतियों के बीच, एक बात पर कोई विवाद नहीं है कि जिन व्यक्तियों के पास अच्छी बचत होती है वे सबसे ज़्यादा तनाव मुक्त होते हैं. दुर्भाग्य से, बचत करने वाले युवा वेतनभोगियों - जिनकी उम्र 20 और 30 साल के बीच है - उनका अनुपात काफ़ी कम है. युवा पीढ़ी में लगभग सभी नकारात्मक बचत के प्रति समर्पित है! जैसे ही लोग कमाना शुरू करते हैं, वो क़िश्तों पर कुछ ख़रीद लेते हैं, यानी ये लोग भविष्य की बचत ख़र्च करते हैं.

ये वही घटिया सलाह लग सकती है जिसे बूढ़े लोग युवाओं को हमेशा देते हैं, लेकिन यही सच है और सही भी. नौकरियों का मार्केट चाहे जैसा भी हो, शुरुआती करियर में की गई बचत, बाद के जीवन की खुशी में महत्वपूर्ण योगदान देती है. जिन व्यक्तियों के पास लोन की क़िश्तों सहित एक या दो साल के ख़र्च को कवर करने के लिए अच्छी बचत होती है, वो आम तौर पर अपने करियर के विकल्पों के बारे में ज़्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं. इसके अलावा, पैसों को लेकर सुरक्षा का भाव उन्हें बेहतर रोज़गार की शर्तें तय करने के लिए सशक्त बनाता है, क्योंकि ऐसे लोग जोख़िम उठा सकते हैं.

वास्तविकता ये है कि पैसों को लेकर सुरक्षा के इस स्तर को पाना कई लोगों के लिए फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम के सबसे क़रीब होगा. इसे समझना आसान है: पहला क़दम बचत शुरू करना है, और दूसरा पर्याप्त बचत करना. हालांकि, इसे शुरू करना चुनौती भरा है, विशेष रूप से एक अति-लुभावनी उपभोक्ता संस्कृति के बीच, जो आपको लगातार ख़र्च करने के लिए सम्मोहित करती है. बहरहाल, ये ज़्यादातर लोगों के लिए सच्ची फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम का रास्ता है.

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