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कंपनियां जो हीरो से ज़ीरो बन गईं

BSE 500 की कुछ कंपनियों की रेटिंग में अचानक गिरावट की वज़ह

कंपनियां जो हीरो से ज़ीरो बन गईं

लगातार ग्रोथ हासिल करना हर किसी के बस की बात नहीं. किसी एक साल में मज़बूत फ़ाइनेंशियल मेट्रिक्स के साथ प्रदर्शन करना एक अलग बात है, पर लंबे वक़्त तक कंपनी की क्वालिटी और ग्रोथ क़ायम रखना पूरी तरह से अलग चुनौती है.

इसलिए, हमने सोचा कि क्यों न हम अपने हाल ही में लॉन्च हुए 'स्टॉक रेटिंग' के टूल का इस्तेमाल करके उन कंपनियों का पता लगाएं, जो पहले तो टॉप परफ़ॉर्मर थीं, पर अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही हैं. हमने BSE 500 में उन कंपनियों की तलाश की जिनकी स्टॉक रेटिंग, मार्च 2018 के आख़िर में चार या उससे ज़्यादा थी, पर नवंबर 2023 के आख़िर तक घटकर दो या उससे कम रह गई. हमने ऐसी तीन कंपनियों का पता लगाया.

कमज़ोरी के दौर तक का सफ़र

कंपनियां जिनकी रेटिंग में 5 साल के अंदर भारी गिरावट आई

कंपनी FY18 की क्वालिटी रेटिंग FY18 की स्टॉक रेटिंग करंट क्वालिटी रेटिंग करंट स्टॉक रेटिंग 5Y रिटर्न (% प्रति वर्ष)
ल्यूपिन 8 4 3 2 9.5
ज़ी एंटरटेनमेंट 8 5 1 1 -10.3
रैमको सीमेंट्स 8 4 5 2 9.7
29 दिसंबर 2023 तक रिटर्न

आइए, इनमें से हरेक स्टॉक के बारे में जानें और उनकी रेटिंग में गिरावट की वज़ह की जांच-पड़ताल करें.

ल्यूपिन (Lupin)

एक वक़्त था जब ल्यूपिन भारत की सबसे प्रमुख दवा कंपनियों में से एक मानी जाती थी. पर, कंपनी के मैनेजमेंट ने अमेरिका में $880 मिलियन के दो हाई-प्रोफ़ाइल एक्विज़ेशन या अधिग्रहण का फ़ैसला किया. यही फ़ैसाल इसकी बर्बादी की वज़ह बना.

ये अधिग्रहण उम्मीदों के मुताबिक़ प्रदर्शन करने में असफल रहा, और कंपनी ने FY18 और FY20 के बीच ₹2,500 करोड़ से ज़्यादा की इम्पेयरमेंट कॉस्ट (एसेट्स की वैल्यू में स्थायी गिरावट) दर्ज़ की. नतीजा ये हुआ कि ल्यूपिन का PAT (प्रॉफ़िट आफ़्टर टैक्स) FY17 में ₹2,564 करोड़ से गिरकर FY20 में –400 करोड़ रुपए रह गया. कंपनी को, पहले से ही कंपेटिटिव अमेरिकी जेनरिक मार्केट में क़ीमतों में आई गिरावट का भी सामना करना पड़ा. इसलिए, अमेरिकी मार्केट में मेडिकल प्रेस्क्रिप्शन सेगमेंट की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी होने के बावजूद, ये अपने रेवेन्यू और प्रॉफ़िट बढ़ाने में नाक़ामयाब रही.

ज़ी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment)

जब से OTT (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म लॉन्च हुए, तब से दुनिया भर में मीडिया और एंटरटेनमेंट कंपनियों का काम करने का तौर-तरीक़ा ही बदल गया. अमेज़न और नेटफ़्लिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों ने भारतीय एंटरटेनमेंट मार्केट में बड़ी धूम मचाई, पर घरेलू कंपनियां इस मौके़ को भुनाने में नाक़ामयाब रही.

ज़ी का एडवरटाइज़िंग रेवेन्यू FY19 में ₹5,037 करोड़ से गिरकर FY23 में ₹4,059 रुपये हो गया, और सब्सक्रिप्शन और फ़िल्म प्रोडक्शन से इसका रेवेन्यू मामूली सा ही बढ़ा. नतीज़ा ये हुआ कि पिछले पांच साल में इसके रेवेन्यू में सिर्फ़ 3.9 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई, और PAT में –29.8 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज़ हुई. इसके अलावा, बिज़नस के बदलते माहौल और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के विवादों ने कंपनी की ग्रोथ में रुकावटें पैदा कीं.

रैमको सीमेंट्स (Ramco Cements)

रैमको ने पिछले दशक में ज़्यादातर वक़्त प्रॉफ़िट और ग्रोथ दर्ज़ की. हालांकि, सीमेंट इंडस्ट्री की सायक्लीसिटी (cyclicality) और हाई कैपिटल-इंटेंसिव व्यवहार ने पिछले तीन सालों में कंपनी के प्रदर्शन पर असर डाला है.

कच्चे माल की ज़्यादा लागत सहित बाक़ी मैक्रो कारणों ने रैमको और इंडस्ट्री के बाक़ी सभी प्लेयर्स पर भी असर डाला. नतीजा ये हुआ कि रैमको का EBIT (अर्निंग बिफ़ोर इंटरेस्ट एंड टैक्स) FY11 में ₹1,201 करोड़ से गिरकर FY13 में ₹680 करोड़ हो गया. इसके अलावा, कंपनी के मैनेजमेंट ने एक नए ग्रीनफ़ील्ड प्रोडक्शन प्लांट को मंजूरी दी, जिस पर FY13 में ₹1,765 करोड़ का ख़र्च (capex) आया. इस ख़र्च का कुछ हिस्सा लोन लेकर पूरा किया गया था, जिससे कंपनी के इंटरेस्ट एक्सपेंस में क़रीब 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई, जिससे इसके PAT में और भी गिरावट आ गई.

ये भी पढ़िए- आपको वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग क्यों चुननी चाहिए


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