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डिविडेंड के दम पर 35% रिटर्न, लेकिन इस कंपनी से रहें सतर्क?

इतना ज़्यादा डिविडेंड बांटने के पीछे की वजह आपको हैरान कर सकती है

डिविडेंड के दम पर 35% रिटर्न, लेकिन इस कंपनी से रहें सतर्क?

मार्केट के नए ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंचने के साथ, हमने भारी भरकम डिविडेंड देने वाली कंपनियों को देखा और एक दिलचस्प मामला सामने आया.

मौजूदा मार्केट में वैल्यू की पहचान करने की चुनौती के बीच, दो कंपनियों हिंदुस्तान ज़िंक और वेदांता के स्टॉक्स के कम क़ीमतों (P/E 20 से नीचे) पर क़ारोबार के बावजूद डिविडेंड यील्ड, क्रमशः 15 प्रतिशत और 35 प्रतिशत रही. यानी दोनों स्टॉक्स ने डिविडेंड के दम पर ही अपने इन्वेस्टर्स को इतना रिटर्न दिया.

दिलचस्प ये है कि हिंदुस्तान ज़िंक , वेदांता की ही सब्सिडियरी कंपनी है.

इससे हमें भी उत्सुकता हुई. हमने ये समझने का फ़ैसला किया कि मार्केट अभी तक इस भारी भरकम डिविडेंड यील्ड के साथ एडजस्ट क्यों नहीं हुआ है. अपनी ख़ोज के ज़रिए हमने इन स्टॉक्स के अलग-अलग पहलुओं को समझने की कोशिश की.

हाई डिविडेंड यील्ड की वजह

वेदांता के प्रमोटर ग्रुप पर क़र्ज बढ़कर क़रीब 10 अरब डॉलर हो गया था, जो जल्द ही मेच्योर होने जा रहा था. इस समस्या से निबटने के लिए, लंदन स्थित प्रमोटर ग्रुप ने इन देनदारियों को चुकाने के लिए अपनी भारतीय एसेट के फ़ाइनेंशियल रिसोर्स का इस्तेमाल किया. हालांकि, इन देनदारियों को चुकाने के लिए कंपनी द्वारा चुना गया ये एकमात्र तरीक़ा नहीं था.

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अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली कंपनी ने 2020 में वेदांता को ₹87.25 पर डीलिस्ट करने की भी कोशिश की. इसके तहत, 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इस क़दम को, कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर सरल बनाने और भारत में लिस्टेड वेदांता को लंदन स्थित यूनिट के साथ विलय करने की कोशिश की गई थी. हालांकि, ये कोशिश नक़ाम रही, क्योंकि 6 फ़ीसदी हिस्सेदारी वाले प्रमुख शेयर होल्डर LIC ने प्रति शेयर ₹320 की मांग की.

अग्रवाल ने ओपन मार्केट से शेयर ख़रीदकर एक विकल्प अपनाया और अंततः शेयरहोल्डिंग 70 प्रतिशत तक बढ़ा ली. 2021 की शुरुआत में शेयर होल्डिंग में ख़ासी बढ़ोतरी के बाद, भारी भरकम डिविडेंड देने का दौर शुरू हो गया.

इतनी बड़ी हिस्सेदारी के साथ, ज़्यादातर डिविडेंड पेआउट कंपनी को ही मिला.

वेदांता की वित्तीय स्थिति

कमोडिटी से मोटी कमाई के बावजूद कैपेसिटी पर कम ख़र्च

विवरण (करोड़ ₹) FY23 FY22 FY21 FY20
नेट प्रॉफ़िट 14503 23710 15032 -4744
उधारी 43476 36205 37962 36724
डिविडेंड आउटफ़्लो -29959 -16681 -3519 -1444
प्रॉपर्टी, प्लांट और इक्विपमेंट 93607 91990 89429 88022

हिंदुस्तान जिंक की वित्तीय स्थिति

भरपूर कैश से कर्ज़ के बोझ तक

विवरण (करोड़ ₹) FY23 FY22 FY21 FY20
नेट प्रॉफ़िट 10511 9629 7980 6805
डिविडेंड आउटफ़्लो -31901 -7606 -15972 0
नेट डेट (-) / नेट कैश (+) -10429 2940 2199 1307

फ़ंड के लिए दूसरे विकल्प तलाशना

कमोडिटी रैली का मोमेंटम कमज़ोर होने और रिज़र्व में कमी होने के कारण वेदांता अब डिविडेंड पेआउट का विकल्प चुन रही है. इनमें ब्रांड फ़ीस पेआउट में बढ़ोतरी (फ़ाइनेंशियल ईयर 2021 में रेवेन्यू का 0.75 से बढ़ाकर 2 प्रतिशत करना), इंटर कॉरपोरेट बॉरोइंग बढ़ाना, भारतीय एंटिटीज़ को डि-मर्ज करना और प्रीमियम वैल्यूएशन पर एंटिटीज़ के भीतर ग्रुप एसेट्स की क्रॉस-सेलिंग की कोशिश शामिल हैं.

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प्रमोटरों ने 2020-21 के दौरान ख़रीदे गए कुछ शेयरों की बिक्री भी शुरू कर दी है. इसके अलावा हिंदुस्तान ज़िंक के डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन की फ्रीक्वेंसी और स्तर में धीरे-धीरे कमी आई है.

इन सभी कोशिशों का मक़सद अतिरिक्त धन जुटाना है.

क्या है इसका मतलब

भले ही फ़्री कैश फ़्लो से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन करना एक पॉज़िटिव साइन है, लेकिन वेदांता की एग्रेसिव डिविडेंड स्ट्रैटजी ने हिंदुस्तान जिंक को नेट कैश से नेट डेट कंपनी में बदल दिया है.

भले ही हाई डिविडेंड यील्ड शेयरहोल्डर के लिए फ़ायदेमंद लग सकती है, लेकिन ये स्पष्ट हो जाता है कि प्रमोटर्स की प्रमुख मंशा बड़े शेयरधारक आधार को फ़ायदा पहुंचाने के बजाय कंपनी के सभी डिविडेंड पर कब्जा करना था. समस्या कम होने की धारणा के बावजूद, प्रमोटर कंपनी अभी भी 6.4 अरब डॉलर के भारी नेट डेट से जूझ रही है.

इसके अलावा, कंसेशन सहित बॉन्ड होल्डर के साथ बातचीत, समय सीमा बढ़ाने के कंपनी के प्रयासों को दर्शाती है. कमोडिटी की क़ीमतों से समर्थन के अभाव और संभावित रूप से हाई डिविडेंड का दौर समाप्त होने के कारण, इन इंडियन लिस्टेड कंपनियों का आउटलुक कमज़ोर ही नज़र आता है.

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