बड़ौदा BNP परिबास एसेट मैनेजमेंट इंडिया के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (इक्विटी) संजय चावला के साथ हमारी बातचीत में उन्होंने कंपनी की मैनेजमेंट क्वालिटी, उनके बैलेंस्ड एडवांटेज फ़ंंड के एसेट एलोकेशन मॉडल का आकलन करने के बारे में विस्तार से बताया. मुख्य अंशः
आपने 1990 में एक मैनेजमेंट कंसल्टैंट के रूप में शुरुआत की थी. एसेट मैनेजमेंट की ओर रुख कैसे किया?
वास्तविक यात्रा तब शुरू हुई जब मैं 10वीं कक्षा में था. उस दौरान मुझे एहसास हुआ कि मुझे शेयर मार्केट को समझने की ज़रूरत है, शायद ये केवल जिज्ञासावश ही था. लेकिन, इसने मुझे कुछ बैंक मैनेजर से संपर्क करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि वे 80 के दशक की शुरुआत में ये सबसे लोकप्रिय लोग थे और उन्होंने शेयर मार्केट के बारे में मेरा मार्गदर्शन किया. लेकिन, चूंकि मेरा पूरा परिवार में बड़ी संख्या में इंजीनियर थे और मैंने 12वीं कक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया था, इसलिए मैंने इंजीनियरिंग की, लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य शेयर मार्केट में उतरना था. तो मैंने इसके लिए MBA किया.
दुर्भाग्य से उस समय स्टॉक मार्केट एनालिस्ट की भूमिका अच्छी तरह से परिभाषित नहीं थी. मुझे उस बिज़नस में आने के लिए एक ज़रिये की ज़रूरत थी. इसलिए मैं डिमांड-सप्लाई को देखने और कंपनियों के लचीलेपन आदि जानने के लिए मैनेजमेंट कंसल्टैंसी में शामिल हो गया. इससे मुझे इक्विटी मार्केट में एंट्री करने का एक शानदार मौका मिला.
किस तरह के स्टॉक से आप दूर रहते हैं?
कुछ निश्चित सिद्धांत हैं, जिनका हम पालन करते हैं. रिटर्न पैरामीटर के आधार पर हम वास्तव में कुछ सेक्टर को पसंद नहीं कर सकते हैं. भरोसेमंद बिज़नस, मैनेजमेंट की जवाबदेही और वैल्युएशन सही होनी चाहिए, ये तीन चीज़ें हैं जिन पर हम गौर करते हैं. मैं आपको एक उदाहरण देता हूं. 2010 में चीनी उद्योग सभी पैरामीटर के आधार पर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा था. इस दौरान घरेलू कीमतें बढ़ रही थीं, और वैश्विक स्तर पर कमी बनी हुई थी, लेकिन भारत में इन्फ्लेशन इतनी ज़्यादा थी कि सरकार ने आगे आकर उन पर भारी दबाव डाला. यानी आपके पास एक अच्छा बिज़नस था, जिसे अगर अकेला छोड़ दिया जाता तो और भी अच्छा प्रदर्शन करता. लेकिन आपने सेलिंग से जुड़े दिशानिर्देशों पर फोकस किया. सरकार ये तय कर रही थी कि आप किस फील्ड में बेच सकते हैं और गन्ने का मूल्य क्या होगा. तो ऐसी ख़ामियों को हम देखते हैं. किसी सेक्टर को देखते समय, हम उन सभी फ़ैक्टर्स को देखने की कोशिश करते हैं जो मैनेजमेंट के कंट्रोल में हैं और जो नहीं हैं. यदि बहुत सारे फ़ैक्टर बाहर से तय होते हैं, तो हम वहां रिस्क प्रोफ़ाइल को बढ़ा देते हैं.
कंपनियों के भीतर हमें मैनेजमेंट की क्वालिटी पर ध्यान देने और बहुत सावधान रहने की जरूरत है. हम मैनेजमेंट पर बहुत अधिक फोकस करते हैं. लोग कॉरपोरेट गवर्नैंस को एक समस्या के रूप में देखते हैं; हमारे लिए किसी कंपनी में निवेश से पहले का एक फ़िल्टर है. हम मैनेजमेंट को बहुत गहरे अर्थों में देखते हैं. वे छोटे शेयरहोल्डर और अपने कर्मचारियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? मैनेजमेंट की गहराई क्या है? सभी स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया कितनी अच्छी तरह चल रही है? इसलिए, यदि मैनेजमेंट के मामले में किसी ख़तरे का संकेत है, तो हम बहुत सावधान हो जाते हैं.
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तो, कब और किस प्रकार का स्टॉक आपके लिए आकर्षक बन जाता है?
आमतौर पर, हम ये देखते हैं कि क्या हमें बिज़नस पसंद है और क्या इसकी वैल्युएशन अच्छी है. इसे एक अलग सीमा तक ले जाने पर, हम देखते हैं कि हमारी रिसर्च और मार्केट की राय के बीच कोई बड़ा अंतर है या नहीं. जब अंतर सबसे ज़्यादा होता है, तो आपको एक बड़ा निर्णय लेना होता है, क्योंकि उस दौरान पूरा मार्केट एक अलग ही दिशा में होता है. और, फिर चाहे बात बिज़नस की हो या स्टॉक प्राइस की, आप मान लेते हैं कि कुछ बड़ा होने वाला है. पिछले 30 वर्षों में न केवल ख़रीद, बल्कि बिक्री के लिहाज से भी ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जिन्हें एक समय कोई देखने तक को तैयार नहीं था.
सोलर इंडस्ट्रीज नाम की एक कंपनी है; पहले इसे सोलर एक्सप्लोसिव कहा जाता था. ये 2010-2011 की बात है. उनके पास जिस तरह का बिजनेस मॉडल था, उस पर लोगों को विश्वास नहीं था. मैंने कंपनी को हाथों हाथ लिया, पब्लिक लिस्टिंग देखी और उसके बाद, कंपनी ने लिस्टिंग के समय बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. इसका मार्केट कैप उस समय ₹450-500 करोड़ था. आज, ये ₹50,000 से अधिक है. हमने समय के साथ पूरी कंपनी को बढ़ते देखा है, एक स्थानीय कंपनी से वैश्विक कंपनी में परिवर्तित होने के साथ, इसे एक मुश्किल बिजनेस में प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी को चुनौती देते हुए देखा.
मेरे करियर के बहुत शुरुआती दौर में एक बात और देखने को मिली थी. उस समय केवल केल्विनेटर और गोदरेज के फ्रिज हुआ करते थे, और कोक पहले से ही मार्केट में था. इसी समय पेप्सी की भी एंट्री हुई थी. वे एक नया ओपन-ग्लास रेफ्रिजरेटर लेकर आए. आपको बस उन रेफ्रिजरेटरों के पीछे देखना था और देखना था कि विनिर्माता कौन था. उस समय रेफ्रिजरेटर का कुल मार्केट लगभग 50-75 हजार यूनिट प्रति वर्ष था. यहां तक कि अगर आप सभी मर्चेंट्स को सप्लाई करने की संभावनाओं पर ग़ौर करते हैं, तो आपके पास एक 10-बैगर था.
कौन सी चिंताएं आपको 'बेचने' का फैसला लेने के लिए प्रेरित करती हैं?
हमारे लिए सबसे बड़ा ख़तरा हमेशा मैनेजमेंट होता है. अगर हमें कुछ ऐसा पता चलता है जो सही नहीं है, या कुछ ऐसा जो हमें बाद में पता चलता है जो सही नहीं है, या ऐसे कोई आर्टिकल दिखते हैं, जो इसका संकेत देते हैं तो ये हमारे लिए एक बड़े ख़तरे का संकेत है. एक और ख़तरा कारोबारी माहौल के बारे में है. जहां सरकार की पॉलिसी में बदलाव होता है, जिससे कंपनी का बिज़नस ख़ासा प्रभावित हो सकता है. सबसे सरल बात ये है कि जब हम किसी कंपनी में इन्वेस्ट करते हैं, तो हमारे पास इन्वेस्टमेंट की एक थीसिस होती है जिसके आधार पर हमने इन्वेस्टमेंट किया होता है.
हालांकि, हम इसे लंबे समय के नज़रिये से देखते हैं, लेकिन छोटे-छोटे पीरियड में बांटना होता है, और हम निगरानी करते हैं कि ये कैसे आगे बढ़ेगा. सबसे आसान बात ये है कि हम जिन ग्रोथ नंबर की उम्मीद कर रहे थे, वे कंपनी द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों से अलग हैं. ये एक धीमी प्रक्रिया है; जहां हम बिल्कुल भी इंतजार नहीं करते हैं, वो ये है कि जब हम कुछ अलग ख़ोजते हैं तो इसके पीछे हमारी सोच होती है.
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आप अकाउंटिंग के आंकड़ों के अलावा मैनेजमेंट की वास्तविक क्वालिटी का आकलन कैसे करते हैं?
जब आप कंपनी के साथ बातचीत करते हैं तो कई आसान पहलुओं पर जोर देने की ज़रूरत होती है. यदि कंपनी हमारे पोर्टफ़ोलियो में है तो हम तिमाही में कम से कम एक बार कंपनी से बातचीत करते हैं. इतना ही नहीं, हम पूरी सप्लाई चेन को देखते हैं और आकलन करते हैं कि क्या हो रहा है और वे सप्लायर्स के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, क्या उन्हें समय पर पेमेंट किया गया है या नहीं.
हम अन्य कर्मचारियों आदि के साथ अनौपचारिक जांच पर भी ध्यान देते हैं. औपचारिक रूप से ये उतना ही सरल हो सकता है जितना कि सैलरी समय पर दी जा रहा है या नहीं. हमने ऐसे मामले देखे हैं जहां कुछ कंपनियां कागज पर बहुत अच्छी दिखती हैं, लेकिन वे उस तरह से काम नहीं करती हैं. हम सिर्फ़ टॉप पर बैठे शख्स से ही बातचीत नहीं करते हैं; हम कंपनी मैनेजमेंट पर ध्यान देते हैं और इस पर फोकस करते हैं कि मार्केटिंग करने वाले लोग नैतिक रूप से व्यवहार कर रहे हैं या नहीं.
मैंने गुजरात में एक प्लांट का दौरा किया, जहां सभी कर्मचारी गुजराती थे, लेकिन सेफ्टी के सभी संकेत अंग्रेजी में थे. तो आप इससे क्या समझते हैं? क्या ये संकेत मेरे लिए या फॉरेन विजिटर के लिए लगाए गए थे, या ये वर्कर के लिए थे? तो मैनेजमेंट क्वालिटी में आपको अन्य छोटी-छोटी चीज़ों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. यदि मैं सेक्टर पर ग़ौर करूं, तो सभी बड़ी कंपनियां स्पष्ट हैं. इसलिए हमें व्यावसायिक हिस्से पर ध्यान देने की ज़रूरत है. ये स्मॉल-कैप कंपनियों के लोग ही हैं, हमें जिनती मैनेजमेंट क्वालिटी पर बहुत अधिक ध्यान देने की ज़रूरत होती है.
आपके बैलेंस्ड एडवांटेज फ़ंड के लिए किस आधार पर एसेट एलोकेशन होता है?
बड़ौदा BNP पारिबास बैलेंस्ड एडवांटेज फ़ंड एक मॉडल-आधारित फ़ंड है, जहां हम ये तय करते हैं कि हमारे मॉडल के आधार पर नेट इक्विटी क्या होगी. नेट इक्विटी एलोकेशन कितना होना चाहिए, ये तय करने के लिए ख़ासी मेहनत करनी होती है, जो 30 से 100 प्रतिशत के बीच है. इसके अलावा हमें किन फ़ैक्टर्स को देखना है, इस संबंध में मॉडल को ठीक करने में काफ़ी समय लगाया गया है. हमने 47 फ़ैक्टर्स के साथ शुरुआत की और इसे चार फ़ैक्टर पर खत्म कर दिया, जिनमें PE रेशियो, PB रेशियो, डिविडेंड यील्ड और अर्निंग यील्ड शामिल हैं. हम उन्हें हर स्तर पर चुनौती देते हैं, विचार करते हैं कि हमें इन फ़ैक्टर्स को शामिल करना चाहिए या नहीं. ये अभी भी जारी है क्योंकि हमारा मानना है कि बाज़ार बहुत गतिशील है, और आपको मॉडल को चुनौती देते रहने की जरूरत है. सिर्फ इसलिए कि इसने अच्छा प्रदर्शन किया है इसका मतलब यह नहीं है कि यह अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखेगा. हर महीने, जब हम रिबैलेंसिंग कर रहे होते हैं, तो हम ख़ुद को चुनौती देते रहते हैं कि हमें इसे जारी रखना चाहिए या नहीं?
आपके फ्लेक्सी-कैप फ़ंड, ELSS और डायवर्सिफ़ाइड कैटेगरी के पोर्टफ़ोलियो में, हमने कैटेगरी एवरेज की तुलना में कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट सेक्टर पर तेजी का रुख देखा है। आप इस सेक्टर में क्या संभावनाएं देखते हैं?
हम कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट दोनों को अलग-अलग डिवाइड करते हैं. जब कंस्ट्रक्शन के बारे में बात हो रही है, तो हम एक कंपनी को देख रहे हैं जो L&T है. हमारी निवेश थीसिस तीन फैक्टर्स पर आधारित है, तीन सी (C): जोकि इस प्रकार हैं- क्रेडिट साइकिल (credit cycle), कंजंप्शन साइकिल (consumption cycle), और कैपेक्स साइकिल (capex cycle). क्रेडिट साइकिल कुछ ऐसा है जो बहुत मजबूत है और हमने पिछले डेढ़ साल में इसे देखा है. हमारा मानना है कि कंजंप्शन साइकिल मजबूत बना रहेगा. एलएंडटी कंस्ट्रक्शन साइकिल पर एक क्लासिक खेल है, और एक घर के रूप में हम आम तौर पर अपने फ़डों (funds) पर अधिक वजन डालते हैं.
रियल एस्टेट के मामले में कोविड (COVID) ने हमें बड़े घरों की ज़रूरत को अच्छे से समझाया है. IT सेक्टर के बहुत से लोग घर वापस जा रहे थे, जिससे मार्केट के विभिन्न हिस्सों में बहुत सारी खाली जगह बन गईं, जिससे नए कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में स्लोडाउन आ गया, लेकिन जब लोगों ने मार्केट में फिर से वापसी की तो ऑफिस के साथ, रेंट और प्रॉपर्टी की ख़रीद की मांग में बढ़ोतरी हुई.
कोविड के कारण यह एहसास हुआ है कि आपको एक बड़ी जगह की ज़रूरत है और इसके प्रति लोगों के नज़रिए में भी बदलाव आया है. इन दोनों फै़क्टर्स ने हमें इस सेक्टर को अनुकूल रूप से देखने के लिए प्रेरित किया है, और रियल एस्टेट सेक्टर के प्रदर्शन ने हमारे इस भरोसे को मजबूत किया है कि हमने डेढ़ साल पहले जो फैसला लिया था, वो सही साबित हुआ है.
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